उल्हासनगर :उल्हासनगर महानगरपालिका अंतर्गत आने वाले कैम्प क्रमांक-३, सेक्सन २२, बैरेक नंबर ९४६ के पास सांई सदन नामक इमारत का हिस्सा पड़ोस के मकान पर गिरने से मकान में सो रहे पति-पत्नी दोनों हुए घायल, दोनों को उल्हासनगर के मध्यवर्ती अस्पताल में दाखिल कराया गया जहाँ चिकित्सा की पुरी सुविधा न मिल पाने के कारण ६३ वर्षीय दोडेजा को निजी अस्पताल ले जाया गया, वहां पहुंचते ही डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
. यही वह इमारत है जिसका हिस्सा गिरा
उल्हासनगर शहर में इमारतों का गिरना एक आम सी बात हो गयी है, अब इस विषय में कोई चिंतित नजर नहीं आता। आयुक्त व कुछ नेता घटनास्थल पर जाकर कुछ रटे रटाये शब्दों में "दो दिन की लगातार बरसात के कारण मकान का हिस्सा गिर गया हमने आस पास के खतरनाक अवस्था स्थिति वाले मकानों को खाली करा लिया है" जैसे शब्दों के साथ संवेदना व्यक्त कर चले आते हैं। परंतु यह नहीं बताते की हर बार मकान खाली कराए जाने के बाद भी यह जर्जर मकान कहाँ से आ जाते हैं। जिसमें हर बार कोई न कोई निरपराध अपनी जान गंवा बैठता है। . इस मकान पर गिरा
आप गिरे हुए मकान की छवि(फोटो) में साफ़ साफ देख सकते हैं मकान के बाहर बारजा (बाल्कनी) लिया गया है और उस बारजे पर ईंटों से नौ इंच की जोड़ाई कर मकान में शामिल कर लिया गया है। वह बारजा दिवार का बोझ उठाने में सक्षम नहीं था। इसलिए मकान का कमजोर हिस्सा पास के मकान पर गिर गया और दो निरपराध घायल हुए जिसमें एक पुरुष की जान चली गयी और उसकी जिवन साथी महिला जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है।
. इस तरह रिस्कबेस के नाम बनती है इमारतें
घटित हुई सारी घटना का जिम्मेदार उल्हासनगर मनपा प्रशासन है जो अवैध निर्माणों को रोकने के बजाय उनसे कमाई कर रहा है। अवैध निर्माणों से भारी कमाई शासन प्रशासन और कथित समाज सेवकों को हो सकती है यह बताने वाले या युं कहें की शहर का दोहन कर अवैध कमाई की जा सकती है यह रास्ता दिखाने वाले विकास पुरुष पप्पू कालानी शहर के मसीहा बने हुए हैं। इस कार्य में उल्हासनगर के आमदार कुमार आयलानी भी पीछे नहीं थे उन्होंने भी कई अवैध इमारतों का निर्माणकार्य किया है। अब जब वही इमारतें धराशायी हो रही हैं तो वह मुद्दा विधानसभा से लेकर मनपा के गलियारों तक दिखाई दे रहा है। फिर भी सिर्फ और सिर्फ एफएसआई बढ़ाने के लिए ताकि फिर से उन इमारतों को या जमीन को औने-पौने दामों पर खरीद कर बड़ी अट्टालिकाओं का निर्माण किया जा सके और फिर कुछ गिने चुने लोग मालामाल हो सकें।
जो इमारतें गिर रही हैं या गिराये जाने योग्य हैं, उन इमारतों के रहवासियों को बसाये जाने के लिए विस्थापितों के लिए अल्पकालिक निवास स्थान कहाँ है? अगर लोगों को रहने के लिए कोई योग्य व्यवस्था मिले तो कोई भी अपनी जान जोखिम में डालकर खतरनाक इमारतों में नहीं रहेगा। आज भी दो इमारतों के बीच जगह छोड़ने का चलन उल्हासनगर में नहीं है। आज भी जोखिम आधारित नक्शे के नाम पर बिना उचित नक्शे के सात आठ मंजिला इमारतों का निर्माण हो रहा है। पहले सिंगल टियर गाटर अवैध निर्माण किया जाता था। अब तलमंजिल सहित दो मंजिला बन रहा है, वह भी गलियों और खाली पड़ी जगह को कब्जाकर। इसलिए इमारतों के गिरने की और हो रही मौत की जांच की जानी चाहिए और वह जानकारी सार्वजनिक करना चाहिए न की हो रही वर्षा को जिम्मेदार ठहरा कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाना चाहिए। आखिर शासन प्रशासन रुपयों का मोह छोड़, कब होगा आम जनता के लिए चिंतित यह सवाल शासन प्रशासन से है।
जो इमारतें गिर रही हैं या गिराये जाने योग्य हैं, उन इमारतों के रहवासियों को बसाये जाने के लिए विस्थापितों के लिए अल्पकालिक निवास स्थान कहाँ है? अगर लोगों को रहने के लिए कोई योग्य व्यवस्था मिले तो कोई भी अपनी जान जोखिम में डालकर खतरनाक इमारतों में नहीं रहेगा। आज भी दो इमारतों के बीच जगह छोड़ने का चलन उल्हासनगर में नहीं है। आज भी जोखिम आधारित नक्शे के नाम पर बिना उचित नक्शे के सात आठ मंजिला इमारतों का निर्माण हो रहा है। पहले सिंगल टियर गाटर अवैध निर्माण किया जाता था। अब तलमंजिल सहित दो मंजिला बन रहा है, वह भी गलियों और खाली पड़ी जगह को कब्जाकर। इसलिए इमारतों के गिरने की और हो रही मौत की जांच की जानी चाहिए और वह जानकारी सार्वजनिक करना चाहिए न की हो रही वर्षा को जिम्मेदार ठहरा कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाना चाहिए। आखिर शासन प्रशासन रुपयों का मोह छोड़, कब होगा आम जनता के लिए चिंतित यह सवाल शासन प्रशासन से है।
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