आयुक्त अजीज शेख
उल्हासनगर : ऐसा सिर्फ उल्हासनगर में होता है कि चार नंबर प्रभाग अधिकारी का पद खाली करवाने के लिए गणेश शिंपी ने अपने चहेते भू-माफियाओं से सांठगांठ कर प्रभाग चार के प्रभाग अधिकारी महेंद्र पंजाबी सहित तीन लोगों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के हाथों फंसाया गया, क्योंकि शिंपी को प्रभाग चार का प्रभाग अधिकारी बनना था। शिंपी का मानना है कि अब एक नंबर प्रभाग में कमाई बची नहीं, सब सरकारी जमीनें कब्जा हो चुकी हैं।अभी प्रभाग चार में अवैध निर्माण करने के लिए स्कोप बाकी है और वहां कमाई भी है और शिंपी जैसा चाहता था वैसा ही हुआ। शिंपी प्रभाग चार का प्रभाग अधिकारी बना दिया गया है।
जबकि शिंपी के ऊपर दर्जनों इल्ज़ाम है। जैसे १ लाख २५ हजार रुपये लेकर धोखादायक डबल टीजी अवैध निर्माण को मंजूरी देना, रिजर्व प्लाट नंबर 705 पर बनी दुकान और मकान पर एमआरटीपी दाखिल होने के बावजूद तोड़ू कार्यवाही न करने का, न जाने कितने अवैध निर्माणों में गणेश शिंपी की छिपी हुई हिस्सेदारी होने की बात कही जाती है। इस तरह अगर शिंपी को भू-माफिया कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति न होगी ऐसे अधिकारी की जांच कर कार्यवाही करने की बजाय, उसको उसकी चहेती जगह पर प्रभाग अधिकारी बनाया जाना, यह रिश्ता क्या कहलाता है? इसलिए अब "चोर गये महाचोर कुर्सी पर बैठे" कहा जाने लगा।
उल्हासनगर प्रभाग-१, के बैरेक नंबर ३३३ रुम नंबर ३, के बगल में नानिक पंचायती हाल के पीछे उल्हासनगर नंबर-२, में अनिल पापड़ कर रहा है गैरकानूनी, धोखादायक डबल टियर गाटर का अवैध निर्माण, रिजर्व प्लाट नंबर 705 पर हो रहा अवैध निर्माण इसी तरह उल्हासनगर कैम्प क्रमांक एक को अवैध निर्माणों से पाट कर अब गणेश शिंपी पहुंचे प्रभाग चार में, शिंपी की बड़े दिनों की मनोकामना को उमनपा आयुक्त अजीज शेख ने पूरी की। उल्हासनगर कैम्प एक से पांच तक सभी अवैध निर्माणों को अनुमति देने का कार्य गणेश शिंपी द्वारा किया जाता था यह किसी से छिपा नहीं है भले ही कागजातों पर दर्ज न हो। मध्यवर्ती अस्पताल के सामने टेलिफ़ोन और टेलिग्राफ के लिए रिजर्व साइट पर हो रहे अवैध निर्माण के आड़े आनेपर अनिल खतुरानी को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पकड़ा वह अवैध बांधकाम अब पूरा होने को आया है। इस अवैध निर्माण का ठेकेदार राजू शेरा है। इसी तरह प्रभाग चार के प्रभाग अधिकारी महेंद्र पंजाबी को रास्ते से हटा दिया गया। अब एकमेव गणेश शिंपी की चलेगी कोई आड़े आया तो वह भ्रष्टाचार निरोधक द्वारा धरा जायेगा! जबकि गणेश शिंपी की जांच अगर ईडी या सीबीआई द्वारा करायी जाय तो अकूत संपत्ति का मालिक निकलेगा। परंतु ऐसा होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है क्योंकि "चोर गये महाचोर बैठे कुर्सी पर"
ज्ञात हो गणेश शिंपी वह भ्रष्ट अधिकारी है जो उल्हासनगर महापालिका आयुक्त के लिपिक पद पर रहते हुए पच्चीस हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार विरोधी पथक द्वारा रंगे हाथों पकड़े जा चुके हैं। शिंपी पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८ की कलम ६, (१३)(१)(ड)(२) के तहत मुकदमा पंजिकरण संख्या २, दिनांक १५/२०१३ सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा शिंपी पर महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ के अलावा अनेकों गंभीर आरोप हैं जैसे उक्त महिला के भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला उल्हासनगर मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में अपराध सं. १, १४८/२०११ भादसं की धारा ३०६/३४ के तहत दर्ज है साथ ही अपराध रजि.क्र.१, १७७/२०११ में भादसं की धारा ३५४, ५०९ ५०४,५०६/३४ और इसी तरह अ.जा.ज.अधि. १९८९ की धारा ३ (१)(१०)(११)(१२) २(७) जैसे कई संगीन गुनाह दर्ज हैं। इस तरह की खबर लिखे जाने के बाद उल्हासनगर १४१, विधानसभा से विधायक कुमार आयलानी ने भी गणेश शिंपी को उनके पद से हटाये जाने की मांग की परंतु तत्कालीन नगरविकास मंत्री और अब के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को गणेश शिंपी से न जाने कितना प्यार है कि उनपर कोई कार्यवाही करना ही नहीं चाहते जिस गणेश शिंपी को सलाखों के पीछे होना चाहिए था वह गणेश शिंपी सहायक आयुक्त पद पर बैठा हुआ है। क्या इस तरह की कारगुजारी हमारी सरकार व शहर के तमाम नेताओं और समाज सेवियों के लिए शर्मनाक और चुल्लू भर पानी में डूब मरने के समान नहीं है।
भ्रष्टाचारी गणेश शिंपी पर कई और मुकदमें न्यायालयों में विचाराधीन है। क्या भाजपा द्वारा नवनियुक्त मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गणेश शिंपी जैसे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री बने हैं या आम जनता की भलाई के लिए भी समय निकालेंगे, यह सवाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पद चिन्हों पर चलने का दम भरने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी से है।
उल्हासनगर प्रभाग-१, के बैरेक नंबर ३३३ रुम नंबर ३, के बगल में नानिक पंचायती हाल के पीछे उल्हासनगर नंबर-२, में अनिल पापड़ कर रहा है गैरकानूनी, धोखादायक डबल टियर गाटर का अवैध निर्माण, रिजर्व प्लाट नंबर 705 पर हो रहा अवैध निर्माण इसी तरह उल्हासनगर कैम्प क्रमांक एक को अवैध निर्माणों से पाट कर अब गणेश शिंपी पहुंचे प्रभाग चार में, शिंपी की बड़े दिनों की मनोकामना को उमनपा आयुक्त अजीज शेख ने पूरी की। उल्हासनगर कैम्प एक से पांच तक सभी अवैध निर्माणों को अनुमति देने का कार्य गणेश शिंपी द्वारा किया जाता था यह किसी से छिपा नहीं है भले ही कागजातों पर दर्ज न हो। मध्यवर्ती अस्पताल के सामने टेलिफ़ोन और टेलिग्राफ के लिए रिजर्व साइट पर हो रहे अवैध निर्माण के आड़े आनेपर अनिल खतुरानी को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पकड़ा वह अवैध बांधकाम अब पूरा होने को आया है। इस अवैध निर्माण का ठेकेदार राजू शेरा है। इसी तरह प्रभाग चार के प्रभाग अधिकारी महेंद्र पंजाबी को रास्ते से हटा दिया गया। अब एकमेव गणेश शिंपी की चलेगी कोई आड़े आया तो वह भ्रष्टाचार निरोधक द्वारा धरा जायेगा! जबकि गणेश शिंपी की जांच अगर ईडी या सीबीआई द्वारा करायी जाय तो अकूत संपत्ति का मालिक निकलेगा। परंतु ऐसा होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है क्योंकि "चोर गये महाचोर बैठे कुर्सी पर"
ज्ञात हो गणेश शिंपी वह भ्रष्ट अधिकारी है जो उल्हासनगर महापालिका आयुक्त के लिपिक पद पर रहते हुए पच्चीस हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार विरोधी पथक द्वारा रंगे हाथों पकड़े जा चुके हैं। शिंपी पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८ की कलम ६, (१३)(१)(ड)(२) के तहत मुकदमा पंजिकरण संख्या २, दिनांक १५/२०१३ सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा शिंपी पर महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ के अलावा अनेकों गंभीर आरोप हैं जैसे उक्त महिला के भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला उल्हासनगर मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में अपराध सं. १, १४८/२०११ भादसं की धारा ३०६/३४ के तहत दर्ज है साथ ही अपराध रजि.क्र.१, १७७/२०११ में भादसं की धारा ३५४, ५०९ ५०४,५०६/३४ और इसी तरह अ.जा.ज.अधि. १९८९ की धारा ३ (१)(१०)(११)(१२) २(७) जैसे कई संगीन गुनाह दर्ज हैं। इस तरह की खबर लिखे जाने के बाद उल्हासनगर १४१, विधानसभा से विधायक कुमार आयलानी ने भी गणेश शिंपी को उनके पद से हटाये जाने की मांग की परंतु तत्कालीन नगरविकास मंत्री और अब के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को गणेश शिंपी से न जाने कितना प्यार है कि उनपर कोई कार्यवाही करना ही नहीं चाहते जिस गणेश शिंपी को सलाखों के पीछे होना चाहिए था वह गणेश शिंपी सहायक आयुक्त पद पर बैठा हुआ है। क्या इस तरह की कारगुजारी हमारी सरकार व शहर के तमाम नेताओं और समाज सेवियों के लिए शर्मनाक और चुल्लू भर पानी में डूब मरने के समान नहीं है।
भ्रष्टाचारी गणेश शिंपी पर कई और मुकदमें न्यायालयों में विचाराधीन है। क्या भाजपा द्वारा नवनियुक्त मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गणेश शिंपी जैसे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री बने हैं या आम जनता की भलाई के लिए भी समय निकालेंगे, यह सवाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पद चिन्हों पर चलने का दम भरने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी से है।
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