अपटा निज संवाददाता
उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा द्वारा मे. कोनार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी को उल्हासनगर शहर के हर घर से कचरा जमाकर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाने का ठेका रुपये ३०,०३,८०४०० प्रति वर्ष 5% बढ़त के हिसाब से जाती हुई उमनपा स्थायी समिति ने अपने आखिरी दिनों में प्रस्ताव पारित कर चली गयी, और इस भ्रष्टाचार से परिपूर्ण निर्णय पर मुहर लगाने का काम एक मोटी रकम लेकर जाते-जाते आयुक्त/प्रशासक डॉ. राजा दयानिधि कर गये, बिना महासभा की मंजूरी लिए।
. मुख्मंत्री एकनाथ शिंदे
ज्ञात हो कि कोणार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी के पास शहर की साफ-सफाई और कचरा उठाने का ठेका पिछले आठ वर्षों से दिया गया था। जो कई नियमों और शर्तों के साथ दिया गया था। परंतु कंपनी ने नियमों और शर्तों को ताक पर रखकर सिर्फ रुपये कमाने पर ध्यान दिया न कि शहर की साफ-सफाई पर जिसके कारण एक भी नियम और शर्त का पालन नहीं हुआ, फिर भी स्थायी समिति में पदासीन कुछ कथित नगरसेवकों ने अपने हितों को साधने के लिए उसी कंपनी को फिर से आठ वर्षों के लिए ठेका देने की सिफारिश कर दी और जिस कोनार्क कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करना था उसी कोनार्क कंपनी को आयुक्त/प्रशासक डॉ.राजा दयानिधि ने अपने तबादले से कुछ दिन पूर्व जाते-जाते लाखों रुपये की मोटी रकम रिश्वत के रूप में लेकर कार्यादेश (Work order) भी दे गये दोगुने से ज्यादा दाम पर महासभा में प्रस्ताव पारित होने का इंतजार भी नहीं किया।
बतादें कंपनी को ठेका देते समय यह शर्त रखी गयी थी कि हर घर से सूखा गिला कचरा अलग-अलग जमा कर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाया जाना था परंतु पूरे आठ वर्षों के दरम्यान कंपनी ने कचरा जमा करने के काम के लिए एक भी कामगार नियुक्त नहीं किया। इसी तरह एक करोड़ रुपये शहर में धर्मार्थ (Charity) खर्च करने थे वह भी नहीं किया। शहर में जगह-जगह कचरा पड़ा रहा गंदगी फैली रही, जीरो गार्बेज की गारंटी देने के बावजूद शहर कचरे की समस्या से जूझता रहा, शिकायतों पर शिकायत आती रही फिर भी उसी कोनार्क कंपनी को ठेका दिया जाना भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है? शहर में चर्चा है ठेके के एवज में उमनपा के सभी पूर्व नगरसेवकों को उनकी औकात के हिसाब से रुपयों से भरे लिफाफे उनके घर पहुंचाये गये, एक भी नगरसेवक द्वारा ठेके का विरोध न किया जाना यह साफ-साफ दर्शाता है कि लोगों ने रुपये लेकर अपने मुख पर टेप चिपका लिया।
भ्रष्ट आयुक्त/प्रशासक राजा दयानिधि
बतादें कंपनी को ठेका देते समय यह शर्त रखी गयी थी कि हर घर से सूखा गिला कचरा अलग-अलग जमा कर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाया जाना था परंतु पूरे आठ वर्षों के दरम्यान कंपनी ने कचरा जमा करने के काम के लिए एक भी कामगार नियुक्त नहीं किया। इसी तरह एक करोड़ रुपये शहर में धर्मार्थ (Charity) खर्च करने थे वह भी नहीं किया। शहर में जगह-जगह कचरा पड़ा रहा गंदगी फैली रही, जीरो गार्बेज की गारंटी देने के बावजूद शहर कचरे की समस्या से जूझता रहा, शिकायतों पर शिकायत आती रही फिर भी उसी कोनार्क कंपनी को ठेका दिया जाना भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है? शहर में चर्चा है ठेके के एवज में उमनपा के सभी पूर्व नगरसेवकों को उनकी औकात के हिसाब से रुपयों से भरे लिफाफे उनके घर पहुंचाये गये, एक भी नगरसेवक द्वारा ठेके का विरोध न किया जाना यह साफ-साफ दर्शाता है कि लोगों ने रुपये लेकर अपने मुख पर टेप चिपका लिया।
भ्रष्ट आयुक्त/प्रशासक राजा दयानिधि
घनकचरा व्यवस्थापन अधिनियम २०१६ अंतर्गत हर दिन निर्माण होने वाले कचरे को घर घर जाकर जमाकर डीपीआर द्वारा मिले वाहनों और नये वाहन खरीद कर उन वाहनों के खराब होने पर उसको सुधारने की जिम्मेदारी कंपनी की होगी इसी तरह जो मनुष्य बल लगाकार कचरा व्यवस्थापित किया जायेगा उनके सुरक्षा व वेतन की जवाबदेही कोनार्क कंपनी की होगी इन शर्तो के साथ आठ वर्षों के लिए ई निविदा क्र. 2022- UMC - 758824 -1 स्थायी समिति ठराव क्र.153, दि. 30/3/2022, अनुसार यह ठेका दिनांक 27/04/2022, और करारनामा (Agreement) दिनांक 01/07/2022 को किया गया जिसमें अंदाजा रकम वार्षिक रुपये 30,03,80,400/प्रत्येक वर्ष 5% बढ़त के साथ बिना जीएसटी मंजूर किया गया। कार्य शुरू करने की तारीख 03/10/2022, है और पूर्ण करने की अवधी आठ वर्ष है। पिछली बार दिये गये ठेके से, दुगुने से भी ज्यादा दर में दिया गया है यह ठेका, यही नहीं आसपास की महानगरपालिकाओं से भी ज्यादा दर है। उल्हासनगर मनपा क्षेत्रफल सिर्फ 13.5/ वर्गकिलोमीटर है जबकि अन्य मनपाओं का क्षेत्रफल भी कई गुना ज्यादा है।
इस तरह उल्हासनगर में सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार का शासन है यही कारण है कि शहर न तो गंदगी से उबर पाता है और न ही विकास की ओर अपना कदम आगे बढ़ा पाता है। ऐसे में क्या महाराष्ट्र के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जो पूर्व में ठाणे जिले के पालकमंत्री भी रहे हैं, इसलिए सारा भ्रष्टाचार उनके संज्ञान है क्या उल्हासनगर मनपा को भ्रष्टाचार से मुक्त करा पायेंगे? या फिर युं ही जनचिंतक और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के पदचिन्हों पर चलने का झूंठा आश्वासन देते रहेंगे यह चर्चा उल्हासनगर के जनसामान्य में चल रही है। अब देखना होगा कि इन भ्रष्ट लोगों की जांच कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जाता है या फिर भ्रष्टाचार इसी तरह फलता फूलता रहता है।
इस तरह उल्हासनगर में सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार का शासन है यही कारण है कि शहर न तो गंदगी से उबर पाता है और न ही विकास की ओर अपना कदम आगे बढ़ा पाता है। ऐसे में क्या महाराष्ट्र के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जो पूर्व में ठाणे जिले के पालकमंत्री भी रहे हैं, इसलिए सारा भ्रष्टाचार उनके संज्ञान है क्या उल्हासनगर मनपा को भ्रष्टाचार से मुक्त करा पायेंगे? या फिर युं ही जनचिंतक और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के पदचिन्हों पर चलने का झूंठा आश्वासन देते रहेंगे यह चर्चा उल्हासनगर के जनसामान्य में चल रही है। अब देखना होगा कि इन भ्रष्ट लोगों की जांच कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जाता है या फिर भ्रष्टाचार इसी तरह फलता फूलता रहता है।
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