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उल्हासनगर में बन रही साई लिजेंड नामक इमारत संकुल प्राकृतिक नाला पाटकर बनाया जा रहा है। प्रशासक और शहर रचनाकार जोखिम आधारित इमारतों को दे रहे हैं नोटिस !!

उल्हासनगर में नियम कानून को ताक पर रखकर बनाई जा रही है इमारतें, शहर विकास मंत्री की हिस्सेदारी इसलिए नहीं होती जांच व कार्यवाही?

हादसे से निपटने के संसाधन सिर्फ 7 मंजिलों के लिए, इमारत बन रही है 36 मंजिला ! 
.       प्रकाश मुले.                                             डॉ. राजा दयानिधि 

उल्हासनगर : उल्हासनगर प्रभाग-1, में पैराडाइज कंपनी द्वारा हरमन मोहता नामक औद्योगिक इकाइ के भूखण्ड पर 36 मंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। प्लाट व्यापारिक संकुल के लिए आरक्षित था। नया शहर विकास नक्शा पारीत होने के बाद इस भूखण्ड को रहवासी घोषित किया गया, ऐसा शहर विकास नक्शे में दिखाई दे रहा है। ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी थी कि व्यापारिक संकुल के लिए आरक्षित भूखण्ड को रहवासी करना पड़ा?

इस रहवासी संकुल का नाम "साई वर्ल्ड लिजेंड" है और यह कल्याण मुरबाड राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भूखण्ड क्रमांक 6, 7 और 8, पर निर्माणाधीन है। यह इमारत एक प्राकृतिक नाला पाटकर बनायी जा रही है। वंही पास ही सेन्चुरी रेयान नामक रसायनों (Chemicals) से कृत्रिम सूत निर्मित करने वाली औद्योगिक इकाई है, इस इकाई से अक्सर विषैली गैसों का रिसाव होता रहता है, कुछ वर्षों पूर्व तो गैसों का रिसाव इतना ज्यादा हुआ की 7, 8 लोगों की जान चली गयी, कई जानवर जैसे गाय भैंस आदि मर गये और आसपास के लोगों के मकान छोड़कर भागने की नौबत आ गयी थी।

शहर रचनाकार प्रकाश मुले ने शहर की 63 जोखिम आधारित नक्शे पर निर्भर इमारतों की जांच संबंधित सूचना (Notice) निर्माणकर्ताओं के पास भेजी गयी है, क्या उपरोक्त इमारत के पते की जानकारी नहीं है? या कथित पिता के डाट के डर से इस इमारत की जांच नहीं की जा रही है? बतादें इस जगह पर एक लोहे का कारखाना था तो क्या मजदूर आयुक्त (Labour Commissioner) से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लिया गया है। उल्हासनगर एम एम आर परिमंडल में आता है तो क्या एमएमआरडीए से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लिया है? इमारत 36 मंजिला है तो क्या पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया है? क्या राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया है? क्या अग्निशमन दल से अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया गया है? 36 मंजिला इमारत बनाने का निर्णय किन वास्तुविशारदों की सलाहकार समिति से सलाह लेकर बनायी जा रही है उनके नाम पूछने पर नगर रचनाकार प्रकाश मुले इमारत का पता भूल जाते हैं और हमसे पता पूछते हैं! जबकि निर्माताओं को इमारतों के बाहर सारी सूचनाएं प्रेषित करने के लिए बाध्य नहीं करते हैं।

प्रकाश मुले का कहना है कि "प्लान पूर्व रचनाकार गुरगूले ने पास किया था, तुम उनसे जाकर पूछो" परंतु इमारत का निर्माण कार्य तो आपके कार्यकाल में शुरू हुआ, अब उस जगह पर क्या बन रहा है? पास नक्शे के अतिरिक्त निर्माण तो नहीं हो रहा है यह जांचने गुरगूले आयेंगे क्या? क्योंकि नक्शा उनके द्वारा पास किया गया है? इमारत का पूर्णता (CC) (OC) प्रमाण पत्र गुरगूले को बुलाकर उनके हाथों दिलवाया जायेगा? तब फिर गुरगूले के प्लान वाली इमारतों को नोटिस और कंपलीशन क्यों दे रहे हो? इसका क्या जवाब है। 

इन सब सवालों का जवाब कौन देगा? मुख्यमंत्री, शहरी विकास मंत्री, मुख्य रचनाकार, जिलाधिकारी, उमनपा आयुक्त या फिर उप रचनाकार प्रकाश मुले मैं यह खुलासा जनसूचना अधिकार के तहत, एक समाचारपत्र के संपादक के नाते या फिर शहर का एक जागरूक नागरिक होने के नाते मांग रहा हूँ। जनता के लिए उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों को लूटकर तथाकथित नेता व जनसेवक अपना घर भर रहे हैं तब न्याय कहाँ मिलेगा अब तो हमारे देश का न्यायालय भी शिकायतकर्ता को ही सक की निगाह से देख रहा है! अब इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भगवान को जमीन पर उतरना होगा? अगर सब कुछ आइने की तरह साफ सुथरा है तो खुले मंच पर साबित करें उपरोक्त अधिकारी और नेता वर्ना झूंठ बोलने के लिए प्रकाश मुले मुझसे लिखकर माफी मांगे। मुले से मैं यह भी जानना चाहता हूँ की कितने पत्रकारों को वे लिफाफा देते हैं? मुझे भी कभी लिफाफा दिया होगा तो वह विभाग की डायरी में दर्ज होगा अगर हिम्मत है तो वह डायरी प्रदर्शित करें। हमारे शहर में बहुत से पर्यावरण प्रेमी व समाज सेवी संस्थायें है। इस तरह से समाज को ठगने वाले और फिर आंखें दिखाने वाले जन सेवकों के बारे में मौन क्यों हैं? प्रकाश मुले अंबरनाथ में क्या गुल खिलाकर आया है वह दंतकथायें मैने सुनी है। उस भ्रष्टाचार का प्रशस्ति पत्र देखकर ही शहर विकास मंत्री ने प्रकाश मुले की नियुक्ति उल्हासनगर महानगर पालिका में करवाया है?

राजनीतिक पार्टियों को जनता व शहर से कुछ लेना देना नहीं है। इसीलिए ऐसे मूद्दो पर वे आंखे मूंद लेती हैं। यह राजनीतिक लोग चुनाव जीतने के लिए पैसों का बंदोबस्त कर रहे हैं। आपने देखा होगा कोणार्क के खिलाफ विधानसभा से लेकर हर संभावित जगह पर सवाल उठाए गये, जांच शुरू की गयी अवैध निर्माण के सदनिकाओं की कुंजी मंत्रीयों और नेताओं ने बांटी। कोणार्क रेसीडेंसी, रिजेंसी एंटिलिया और मोनार्च व कोहिनूर का क्या बिगड़ा सिर्फ जनता ठगी गयी है। जब नियम कानून मानने नहीं हैं। शहर विकास के आरक्षण मानना नहीं है, तो बनाया व दर्शाया क्यों जाता है? भवन निर्माताओं और खरीदारों को ठगने के लिए? इमारत की उम्र सिर्फ 45-50 वर्ष होती है। उसके बाद रहवासियों के हाथ में शुन्य ही आना है। उल्हासनगर में 20 - 22 वर्ष पूर्व बनी इमारतों के गिरने का सिलसिला जारी है। क्या हो रहा है यह सब देख रहे हैं? रहवासी या तो मर रहे हैं या फिर शहर छोड़कर जा रहे हैं और नेता फिर ठेका लेकर कमा रहे हैं।

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