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१५ करोड़ के कुशीवली बांध भूमि अधिग्रहण घोटाले के मुख्य आरोपियों पर कब होगी कार्यवाही?

अंबरनाथ कुशीवली बांध भूमि अधिग्रहण व सनद घोटाले के मास्टर माइंड जगतसिंह गिरासे फिर भी गिरफ्तारी से बचे हुए हैं?

कल्याण पूर्व के विधायक गणपत गायकवाड़ कर रहे थे गिरफ्तारी की मांग क्यों साधी चुप्पी!

अपटा निज संवाददाता
उल्हासनगर : उल्हासनगर में एक ही नामपर दी गयी फर्जी सनद हो या फिर कुशीवली भूमि अधिग्रहण घोटाले में फर्जी दस्तावेज जमा करनेवाले सेवानिवृत्त उप तहसीलदार की नियुक्ति का मामला सबमें जगतसिंह गिरासे फिर भी कानून की गिरफ्त और जांच से बाहर! उप तहसीलदार और पंचायत समिति सभापति के पति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अब अंबरनाथ तालुका के एक बड़े नेता का नाम सामने आने पर यह सवाल उठता है कि क्या नेता की मध्यस्थता के कारण ही भूमि अधिग्रहण घोटाला हुआ है, कथित नेता का प्रांत कार्यालय में काफी दबदबा था! इसलिए अब पुलिस जांच में कथित बड़े नेता का नाम उजागर होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

कुशीवली डैम घोटाला

गौरतलब हो कि अंबरनाथ तालुका में कुशीवली बांध निर्माण के लिए किये जाने वाले भूमि अधिग्रहण मामले में अब तक पांच करोड़ रुपये का वित्तीय धोखाधड़ी का पांच मामला दर्ज किया गया है। घोटाले में शामिल ४२ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें प्रांतीय कार्यालय में अनुबंध के आधार पर कार्यरत सेवानिवृत्त उप तहसीलदार शामिल हैं। हालांकि जाल में भले ही छोटी मछलियां फंसी हों पर इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है कि घोटाला सुनियोजित तरीके से न किया गया हो, ऐसे में सवाल यह बनता है कि घोटाले का मुख्य सुत्राधार कौन है? गिरफ्तार आरोपियों में तालुका के एक राजनीतिक दल के कुछ पदाधिकारी शामिल हैं। इसलिए इस घोटाले में वरिष्ठ अधिकारियों कोंकण आयुक्त, सेटलमेंट कमिश्नर और राजनीतिक लोगों के शामिल होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। अंबरनाथ पंचायत समिति पूर्व पदाधिकारी और नेता का संबंध घोटाले से जुड़ रहा है इसलिए इन लोगों के खिलाफ कार्यवाही की तलवार लटक रही है।

उल्हासनगर सनद घोटाला

उल्हासनगर एसडीओ द्वारा दिये गये ७९ अल्टरनेट सनदों पर जमाबंदी आयुक्त महाराष्ट्र राज्य द्वारा उल्हासनगर मनपा आयुक्त को पत्र लिखकर सूचित किया है कि, उल्हासनगर के प्रांत अधिकारी जगतसिंह गिरासे द्वारा आबंटित ३५४ में से ७९ सनदों के मामले में जांच व कार्यवाही चल रही है, जिन्हें अल्टरनेट सीडी के नाम दिया गया है, जांच करने हेतु ठाणे जिलाधिकारी महोदय प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त किया गया था परंतु उनके पास समय व मनुष्यबल का अभाव होने के कारण यह जांच जमाबंदी आयुक्त द्वारा की गई, अपीलीय अधिकारी होने के नाते उन्होंने जांच की और ३५४ सनदों में से ७९ सनदों को संदेहास्पद पाया, वह ७९ सनद जो अल्टरनेट के नाम पे पूर्व उपविभागीय अधिकारी जगतसिंह गिरासे द्वारा दी गयी है। उनपर तुरंत प्रभाव से स्थगनआदेश देते हुए उपायुक्त कोंकण विभाग द्वारा सुनवाई के लिये उपस्थित रहने कहा गया है। यह ख़बर आते ही जिनकी ज़मीनों पर धोके से अल्टरनेट सनद दी गयी है वह सभी लोग लामबन्द हो गये। उल्हासनगर ५ में मुस्लिम दफ़नभूमि के लिये १९७४ से आरक्षित भूखंड क्र. २४४/२४५ जो कब्रस्तान के लिये दी गयी थी उस ज़मीन पर अल्टरनेट सनद के नाम पे नया प्रॉपर्टी कार्ड बनाकर पूर्व उपविभागीय अधिकारी गिरासे द्वारा भूमाफियाओं को दे दिया गया है। इसी तरह मथुरा गांधी चौक, कुलगांव बदलापुर रेल्वे स्टेशन के पास रहनेवाले अभिजीत खड़कबन नामक व्यक्ति को छह जगह पर सनद दी गई है वह इस प्रकार है (१) सीडीआर नं. एसडीओ/प्लाट/सी-३/सीडीआर ३५४/२०१९, दि. २५/११/२०१९, सीटीएस क्र. १००३७ का भाग, सीट क्र. ४८, उल्हासनगर-३, में १०७ वर्गवार, उसी नाम और पते को (२) एसडीओ/प्लाट/सी-४/सीडीआर-२८५/२०१९, दि. २३/०७/२०१९, प्लाट क्र.२४९ का हिस्सा, सीटीएस क्र. २३५५८ का हिस्सा सीट क्र. ४१, उल्हासनगर-४ में ८७६ वर्गवार, फिर उसीको (३) एसडीओ/प्लाट/सी-३/सीटीआर-३४७/२०१९, दि. २५/११/२०१९ को सीटीएस क्र. १००३७ का हिस्सा,सीट क्र. ४८ उल्हासनगर-३ में १०० वर्गवार,(४) एसडीओ/प्लाट/सी-३/सीडीआर -२००/ २०१९ दि.२६/०२/२०१९, सीटीएस क्र. १२११०,का हिस्सा सीट क्र. ३९,उल्हासनगर-३, १८३१ वर्गवार (५) एसडीओ/प्लाट/सी-३/सीडीआर-३४९/२०१९, दि. २५/११/२०१९, सीटीएस क्र. १००३७ का हिस्सा, सीट क्र. ४८, उल्हासनगर-३, में १०० वर्गवार, इसी समान क्रमांक पर १०० वर्गवार के दो प्लाट दिया गया। खड़गबन जो बदलापुर रहते हैं उनके पते में चाल या फ्लैट नंबर नहीं है। जब हमने खड़गबन को ढूंढने की कोशिश की तो ढूंढ नहीं पाये। खड़गबन ने किससे प्लाट लिया जिसका कब्जा १९६५ से पहले का था या फिर उन्होंने पहले से ही यह छह भूखण्ड कब्जा कर रखा था इसका जवाब जांच के पिटारे में बंद है।

जगतसिंह गिरासे की गिरफ्तारी के लिए आवाज बुलंद करनेवाले विधायक चुप क्यों हो गये इन सब बातों के लिए कहीं वह गुप्त मिटिंग तो जवाबदेह नहीं है जिसमें गिरासे को बचाने का सौदा हुआ बताया जाता है। अपुष्ट सूत्रों ने बताया कि सारा मामला किसी अधिनस्थ अधिकारी के मत्थे मढ़कर उसका मुंह रुपयों से भरकर लिपापोती कर सभी नेता व वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने की साजिश रची जा रही है, अब देखना यह है कि सफलता कहां तक मिलती है। 

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