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उल्हासनगर का मेडिकल कालेज सरक गया अंबरनाथ, पालकमंत्री व सांसद शिंदे ने किया छल!!

नगरविकास/पालक मंत्री एकनाथ शिंदे का उल्हासनगर के मतदाताओं के साथ विश्वासघात! 

पुर्व मंत्री रविंद्र चव्हाण द्वारा उल्हासनगर को मेडिकल कॉलेज दिए जाने के वादे को तोड़ा !! 
         पूर्व मंत्री रविंद्र चव्हाण 

उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा क्षेत्र को विकसित करने के साथ ही उल्हासनगर, मुरबाड़, कल्याण डोंबिवली व कर्जत से कसारा तक के ग्रामीण व शहरी विद्यार्थियों के लिए पुर्व भाजपा शिवसेना सरकार में मंत्री रहे रविंद्र चव्हाण की ओर से वैद्यकीय महाविद्यालय का एक महत्वपूर्ण उपहार देने का प्रयोजन था उस उपहार को विश्वासघात करते हुए अब के शहर विकास व पालक मंत्री एकनाथ शिंदे व उनके सांसद पुत्र उठा ले गये अंबरनाथ के कंसाई गांव में, उल्हासनगर को दिया धोखा? 
        पालकमंत्री एकनाथ शिंदे.                             सांसद श्रीकांत शिंदे 

उल्हासनगर शहर के मध्य स्थित सेंट्रल अस्पताल जिसको की सिविल अस्पताल का दर्जा भी प्राप्त हो चुका है और इस अस्पताल का कैंपस लगभग छह एकड़ से ज्यादा का है, जिसमें कुछ कर्मचारियों की आवासीय बैरकें हैं। इसके बगल में राज्यबीमा कर्मचारियों के आरोग्य सेवा हेतु पुरानी अस्पताल है जिसको अब तोड़ दिया गया है उस स्थान पर सौ बिस्तरों की एक नवीन वैद्यकीय इमारत बनने जा रही है, जिसका भूमिपूजन पालक मंत्री एकनाथ शिंदे व पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के कर कमलों द्वारा संपन्न कराया गया था। उस समय भूमिपूजन कार्यक्रम में उपस्थित भारतीय जनता पार्टी नेता चंद्रकांत मिश्रा ने पालक मंत्री एकनाथ शिंदे से जब प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज का जिक्र किया तब उन्होंने आश्वासन दिया था कि हम मध्यवर्ती अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बनायेंगे परंतु वह वादा तोड़ते हुए उन्होंने उल्हासनगर की जनता के साथ विश्वासघात कर अस्पताल को अंबरनाथ के कंसाई में विस्थापित कर दिया। जहाँ सारा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना पड़ेगा भूमी खरीदने से लेकर इमारत निर्माण में खर्च करना होगा, जबकि उल्हासनगर शहर में इमारत के साथ 70% वैद्यकीय सुविधाएं उपलब्ध थी, इस तरह बहुत सारा सरकारी रुपया खर्च होने से बचाया जा सकता था। 
          भाजपा पूर्व महामंत्री चंद्रकांत मिश्रा    व    उपाध्यक्ष जय कल्याणी 

सरकारी अनुदेश के अनुसार एक वैद्यकीय संस्थान के लिए कमसे कम 500 बिस्तर वाले अस्पताल की आवश्यकता होती है। उल्हासनगर के मध्यवर्ती अस्पताल में खुली जमीन के साथ तीन सौ बिस्तर की इमारत उपलब्ध है तथा उसी कैम्पस से सटा हुआ 100 बिस्तरों का राज्य कामगार बीमा योजना का एक अस्पताल भी मौजूद है। उल्हासनगर 4 में सौ बिस्तर वाला मैटरनिटी अस्पताल भी है, इस तरह कुल मिलाकर 5 सौ बिस्तर पूरे हो जाते हैं जो कि मेडिकल कॉलेज के मापदंड को पूरा करते हैं। इसके अलावा 22 नवजात अपरिपक्व बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी विषेश सेवा उपलब्धता के साथ 6 से अधिक डायलिसिस, सोनोग्राफी मशीन, अल्ट्रा सोनोग्राफी मशिनों के साथ ही थलेसीमिया बिमारी के उपचार के अलावा शवविच्छेदनगृह व सवसंरक्षण हेतु व्यवस्था उपलब्ध है। इतनी सारी व्यवस्थाओं के बावजूद पता नहीं क्यों? पालक मंत्री व स्थानीय सांसद महोदय ने उल्हासनगर की जनता के साथ छल करते हुए बगैर इंफ्रास्ट्रक्चर वाले अंबरनाथ कंसाई गांव को किस मजबूरी के तहत चुना यह तो वही जाने। ज्ञात हो कि भाजपा पूर्व महामंत्री चंद्रकांत मिश्रा व तत्कालीन भाजपा उपाध्यक्ष जय कल्याणी ने जनसूचना अधिकार के तहत जानकारी इकट्ठा की थी कि वर्ष में कितने अपघात मामले के मरीज व शवविच्छेदन हेतु प्रतिवर्ष कितनी केसेस आती है और वह जानकारी संबंधित मंत्रालय व तत्कालीन राज्य शहरी स्वास्थ्यमंत्री रवींद्र चव्हाण को दिया था, फलस्वरूप उन्होंने आश्वासन दिया था कि हमारा भी सपना है कि उल्हासनगर में एक मेडिकल कॉलेज आधुनिक सुविधाओं से सज्ज होना चाहिए, जिसके लिए शासन द्वारा आवश्यक मंजूरी हेतु प्रयत्न करुंगा। परंतु खेद है कि शिवसेना भाजपा युति के शासन के अंतिम वर्ष मंत्रालय की जवाबदेही एकनाथ शिंदे के पास चली गयी और उन्होंने आश्वस्त करने के बावजूद उल्हासनगर की जनता के साथ छल किया, क्या यही दायित्व बनता है उल्हासनगर की जनता के साथ? यह प्रश्न आनेवाले चुनाव में जरूर उठेगा। 

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