कैपिटल व रेटेबल वैल्यू दर में कोई फर्क नहीं, संपत्ति के मूल किमत के प्रति १० हजार पर ०.४२१% था वह कैपिटल वैल्यू में बढ़ाकर सत्ताधारियों ने ०.९२१% कर दिया है।
उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगरपालिका द्वारा कैपिटल वैल्यू के हिसाब से मालमत्ता कर मांगे जाने को हव्वा बनाकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है, सत्ता में रहते इन्हीं नगरसेवकों ने कर की दर ०.४२१ से बढ़ाकर ०.९२१ कर दिया। जिन्होंने अपना मालमत्ता कर भुगतान मांग अनुसार भुगतान कर दिया है उनसे आज के बढ़े हुए कर को बकाया बताकर ब्याज के साथ वसूला जा रहा है जबकि यह गलती कोलंब्रो कंपनी की है जो समय पर कार्य संपन्न नहीं कर पायी। अब चुनावी फायदे के लिए कुछ बेरोजगार नगरसेवकों ने वोट बटोरने के लिए अपनी दुकान शुरू कर ली है।
कोनार्क व कोलंब्रो के भागीदार पूर्व नगरसेवक राजेश वधरिया
बतादें कर निर्धारण (GI Maping) का ठेका कोलंब्रो नामक कंपनी को भारी महंगी दर (रुपये 750) प्रति संपत्ति अनुसार दिया गया था जबकि आस पास की नगरपालिकाओं में इसी जी आई मैपिंग हेतु अधिकतम शुल्क रुपये ४५०/ से अधिक नहीं था। इस तरह तात्कालिक नगरसेवकों, अधिकारियों द्वारा कमीशन लिए जाने की चर्चा को नकारा नहीं जा सकता है। उस कंपनी ने अपना कार्य समय पर नहीं किया जो कि इनको २०१६/१७ में साफ्टवेयर तैयार करते हुए लागू करना चाहिए था। लेकिन प्रशासन व पार्षद कुंभकर्णी नींद सोते रहे लेकिन जैसे ही मनपा का कार्यकाल खत्म हुआ आयुक्त/प्रशासक ने अपना तुगलकी फरमान जारी करते हुए वर्ष २०१६/१७ से ब्याजसह कैपिटल वैल्यू आधारित संपत्तिकर वसूली नोटिस वसूली हेतु जारी कर दिया। फलस्वरूप संपत्तिकर मे दो से तीन गुनी वृद्धि की कर नोटिस मिलते ही जनता में कोहराम मच गया है। व्यापारी वर्ग व जनता ने जगह जगह बैठक कर अपना विरोध पत्र आयुक्त को देना प्रारंभ कर दिया तो उससे बौखलाए आगामी मनपा चुनाव को देखते हुए पूर्व व भावी पार्षद मतदाताओं से छलावा करने के लिए विरोध का ढोंग रचना शुरू कर दिया है जबकि अपने कार्यकाल में इन्हीं लोगों ने सर्वसम्मति से पारित भी किया था। कोलंब्रो को ठेका देकर पहले ही सैकड़ों करोड़ का दिवाला निकाला जा चुका है। कंपनी और आयुक्त पर दंड लगाये जाने के बदले जनता पर ही दंड की मार पड़ रही है।
. पूर्व महापौर लिलाबाई आसान व स्वीकृत नगरसेवक अरुण आसान
बतादें कर निर्धारण (GI Maping) का ठेका कोलंब्रो नामक कंपनी को भारी महंगी दर (रुपये 750) प्रति संपत्ति अनुसार दिया गया था जबकि आस पास की नगरपालिकाओं में इसी जी आई मैपिंग हेतु अधिकतम शुल्क रुपये ४५०/ से अधिक नहीं था। इस तरह तात्कालिक नगरसेवकों, अधिकारियों द्वारा कमीशन लिए जाने की चर्चा को नकारा नहीं जा सकता है। उस कंपनी ने अपना कार्य समय पर नहीं किया जो कि इनको २०१६/१७ में साफ्टवेयर तैयार करते हुए लागू करना चाहिए था। लेकिन प्रशासन व पार्षद कुंभकर्णी नींद सोते रहे लेकिन जैसे ही मनपा का कार्यकाल खत्म हुआ आयुक्त/प्रशासक ने अपना तुगलकी फरमान जारी करते हुए वर्ष २०१६/१७ से ब्याजसह कैपिटल वैल्यू आधारित संपत्तिकर वसूली नोटिस वसूली हेतु जारी कर दिया। फलस्वरूप संपत्तिकर मे दो से तीन गुनी वृद्धि की कर नोटिस मिलते ही जनता में कोहराम मच गया है। व्यापारी वर्ग व जनता ने जगह जगह बैठक कर अपना विरोध पत्र आयुक्त को देना प्रारंभ कर दिया तो उससे बौखलाए आगामी मनपा चुनाव को देखते हुए पूर्व व भावी पार्षद मतदाताओं से छलावा करने के लिए विरोध का ढोंग रचना शुरू कर दिया है जबकि अपने कार्यकाल में इन्हीं लोगों ने सर्वसम्मति से पारित भी किया था। कोलंब्रो को ठेका देकर पहले ही सैकड़ों करोड़ का दिवाला निकाला जा चुका है। कंपनी और आयुक्त पर दंड लगाये जाने के बदले जनता पर ही दंड की मार पड़ रही है।
. पूर्व महापौर लिलाबाई आसान व स्वीकृत नगरसेवक अरुण आसान
शासन प्रशासन की लापरवाही के कारण जनता पहले से ही कई असंवैधानिक करों के बोझ के नीचे दबी हुई है। जैसे कि कोनार्क इंफ्रास्ट्रक्चर व ईगल कंपनी को जल वितरण का ३२५ करोड़ में दिया हुआ ठेका, जो काम लगभग ७ वर्षो में अब तक पूरा नहीं हो पाया है। अब तक मीटर लगाया जाना बाकी है, कुछ प्रभागों में अबतक जल वाहिनयां नहीं बिछी हैं, इस तरह लगभग २५% कार्य अबतक बाकी है। सात वर्षों में प्रशासन ने ठेकेदार और कर्मचारियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की और न ही ठेकेदार से विलंब शुल्क वसुला है, जबकि जनता से अमृत योजना कर्ज भरने के नामपर वसूली शुरू हो गई है, जनता उस सुविधा से अब तक वंचित है। इसी तरह मलप्रवाह सुविधा प्रदान करने हेतु सैकड़ों करोड़ रुपये कर्ज लिया गया परंतु जनता आज भी उस सुविधा से वंचित है, लेकिन मलप्रवाह व मल निस्सारण कर के नामों पर एक ही चीज का दो दो कर वसूला जा रहा है।
इसी तरह साफ-सफाई के नामपर दोहरी व्यवस्था के चलते जनता त्रस्त है, एक तरफ १२५० सफाई कर्मियों के वेतन का बोझ उसके अलावा मात्र कचरा उठाकर डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाने के लिए वह भी मात्र १३ वर्ग किलोमीटर के शहर में जो ठेका पहले ४ लाख ६७ हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया गया था वह ठेका मनपा का कार्यकाल पूरा होते-होते और जाते-जाते शिवसेना व राष्ट्रवादी महाविकास आघाड़ी नगरसेवकों ने पुनःआठ वर्षों के लिए ८ लाख ४० हजार में आबंटित कर दिया, जबकि २०१४ में उस समय की जनगणना के हिसाब से जनसंख्या लगभग पांच लाख थी जो अब घटकर लगभग चार लाख रह गयी है। इससे सिद्ध होता है जनसंख्या कम होने से कचरा भी कम हुआ होगा परंतु दर दुगुना कर दिया गया, इसी तरह जनता पर प्रशासन ने गैर व्यावहारिक सूखा और गीले कचरे हेतु कराधान किया गया है साथ ही साफ सफाई सुविधा, गीला कचरा बिलगिकरण के लिए करनिर्धारण के साथ ही युजर चार्ज नामक कर लगाया गया है जो असंवैधानिक व नियम वाह्य है। क्योंकि मनपा के पास गीला व सूखा कचरा बिलगिकरण के लिए संयंत्र की व्यवस्था ही नहीं है। इस तरह उनपा प्रशासन बिना सुविधा दिए ही कई तरह के कर लेकर बन गयी है, वसूलीबाज जनता मरती है तो मरने दो।
इसी तरह साफ-सफाई के नामपर दोहरी व्यवस्था के चलते जनता त्रस्त है, एक तरफ १२५० सफाई कर्मियों के वेतन का बोझ उसके अलावा मात्र कचरा उठाकर डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाने के लिए वह भी मात्र १३ वर्ग किलोमीटर के शहर में जो ठेका पहले ४ लाख ६७ हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया गया था वह ठेका मनपा का कार्यकाल पूरा होते-होते और जाते-जाते शिवसेना व राष्ट्रवादी महाविकास आघाड़ी नगरसेवकों ने पुनःआठ वर्षों के लिए ८ लाख ४० हजार में आबंटित कर दिया, जबकि २०१४ में उस समय की जनगणना के हिसाब से जनसंख्या लगभग पांच लाख थी जो अब घटकर लगभग चार लाख रह गयी है। इससे सिद्ध होता है जनसंख्या कम होने से कचरा भी कम हुआ होगा परंतु दर दुगुना कर दिया गया, इसी तरह जनता पर प्रशासन ने गैर व्यावहारिक सूखा और गीले कचरे हेतु कराधान किया गया है साथ ही साफ सफाई सुविधा, गीला कचरा बिलगिकरण के लिए करनिर्धारण के साथ ही युजर चार्ज नामक कर लगाया गया है जो असंवैधानिक व नियम वाह्य है। क्योंकि मनपा के पास गीला व सूखा कचरा बिलगिकरण के लिए संयंत्र की व्यवस्था ही नहीं है। इस तरह उनपा प्रशासन बिना सुविधा दिए ही कई तरह के कर लेकर बन गयी है, वसूलीबाज जनता मरती है तो मरने दो।
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