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उल्हासनगर मनपा में नाला पाटकर बनायी जा रही है ३६ मंजिला अवैध व गैरकानूनी इमारत!!

थोड़ी सी बरसात ने उल्हासनगर मनपा के भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी। 

उल्हासनगर - थोड़ी सी तेज बारिश में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया जगह जगह पानी भर गया। थोड़ी सी बारिश ने उल्हासनगर महानगर पालिका के भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी।
       नाला पाटकर बनायी जा रही शहाड उड़ान पुल के पास ३६ मंजिला इमारत 

ज्ञात हो कि बारिश शुरू होने के पहले ही स्थानीय महानगर पालिका प्रशासन द्वारा बारिश से होनेवाले जल जमाव व उससे आने वाली विपत्ति से मुकाबला करने के लिए तैयारी की जाती है लेकिन उल्हासनगर महापालिका  प्रशासन कुंभ कर्ण की नींद में सो रहा है जिसकी नींद खुलने कि नाम नहीं ले रही है। थोड़ी सी तेज बारिश से शहर का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया जगह जगह पर पानी भर गया। शहर से होकर गुजारनेवाले छोटे बड़े नाले भर गये और सड़कें नाला बन गयी। नाली का गंदा पानी रास्ते पर आ गया। कई जगह मुख्य रास्तों पर पानी फैल गया जिससे वाहन चालकों को भारी समस्या का सामना करना पड़ा। पालिका प्रशासन द्वारा बारिश के पहले शहर के छोटे और बड़े नालों की सफाई करना जरूरी होता है परंतु प्रशासन द्वारा बारिश के पहले इन नालों की सफाई न करने से नाले थोड़ी सी बरसात में उफान पर आ गये और नालों का गंदा पानी रास्ते पर फैल गया। शहर के निचले हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति का निर्माण हो गया था। 
         शहर रचनाकार प्रकाश मुले और उमनपा प्रशासक डॉ. राजा दयानिधि 

उल्हासनगर में नाले व उसके आसपास की जमीन कब्जा करने और उसपर अवैध निर्माण कर रुपये कमाने का व्यापार चल निकलने से उल्हासनगर की सड़कों पर गंदे पानी का जमाव होता है। नाला कब्जा होने से उल्हासनगर ही नहीं कल्याण के लोग भी प्रताड़ित हो रहे हैं। शहर का बड़ा नाला जो प्लाट नंबर ७०५ टेलिफ़ोन एक्सचेंज के पीछे से होतो हुआ राजीव गांधी नगर से होता हुआ रेल्वे लाईन पार कर वालधुनी नदी में जाकर कर मिलता है, वह नाला सी ब्लाक की पुलिया पार करने के बाद दो धाराओं में विभक्त हो जाता था और चेतन पार्किंग क्रांतिनगर से होता हुआ गौतमनगर पहुंच कर वालधुनी नदी में मिल जाता था। परंतु वह पूरा नाला चेतन पार्किंग के मालिक ने पाटकर कब्जा कर लिया और उसपर अवैध-गैरकानूनी निर्माण खड़ा कर दिया मनपा अधिकारी, कर्मचारी, विधायक नगरसेवक मूक दर्शक बने रहे। इस नाले के बंद होने से जो जल दो नालों से होकर वालधुनी नदी में पहुंचता था उसकी एक धारा बंद हो जाने से कल्याण की तरफ उतरने वाले उड़ान पुल के नीचे थोड़ी सी तेज बरसात होने पर जल जमाव हो जाता है और आवागमन बाधित हो जाता है। 

सोने पर सुहागा तब हो गया जब ऐसा ही एक नाला कुमार लान्स में पैराडाइज नामक भवन निर्माता कंपनी ने भी एक प्राकृतिक नाला पाटकर उसपर 36 मंजिला इमारत का निर्माणकार्य शुरू कर दिया है। इस नाले का पानी गुलशन नगर, शहाड स्टेशन के बगल से होता हुआ वालधुनी नदी में जाता था। पर एक बड़े प्राकृतिक नाले की दशा और दिशा बदलने से वह पानी भी एक नंबर मच्छी मार्केट की तरफ घूम गया इस तरह गोल मैदान और दो नंबर नेहरू चौक तक डूबाने की स्थिति तैयार की गयी है। जिन निचले स्थानों पर जल जमाव होता था वह भूमि शहर के बड़े-बड़े भवन निर्माताओं ने कब्जा कर लिया है और वहाँ या तो बड़ी बड़ी अट्टालिकाओं का निर्माण किया गया है या फिर अट्टालिकाओं में रहनेवालों के लिए सुख सुविधा का साधन परंतु इस तरह के निर्माण करते समय जल जमाव और जल निष्कासन के बारे में नहीं सोचा गया जिसका दुष्परिणाम आज शहर की जनता भुगत रही है। 

वहीं शहर के छोटे बड़े नालों पर कई जगह पर अवैध रूप से निर्माण कार्य किया गया है। जिससे इन नालों की सफाई करना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। नालों पर किए गए सभी अवैध निर्माण कार्य के लिए उल्हासनगर महापालिका के संबंधित अधिकारी कर्मचारी व नगरसेवक जिम्मेदार हैं। जिससे इन अवैध निर्माण कार्यों पर करवाई करना नामुंकिन था और नामुमकिन है।

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