उल्हासनगर नगरपालिका प्रथम नगराध्यक्ष प्रह्लाद आडवाणी
उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा में जबसे आयुक्त/प्रशासक डॉ. राजा दयानिधि ने कार्यभार संभाला है तबसे दिन ब दिन उल्हासनगर आर्थिक व विकास की दृष्टि से पतन की तरफ अग्रसर है, विदित हो की 2017 में उल्हासनगर शहर की नयी विकास योजना पारित हुई जिसका कार्यकाल 2010 से 2035 तक है। नई विकास योजना 1974 के बाद किसी तरह से 2017 में पारित हुई उल्हासनगर के जनमानस को लगा था कि उल्हासनगर अब विकास की गति पर अग्रसर होगा जहां पर अच्छे बाग बगीचे, अच्छे स्वास्थ्य सुविधा केन्द्र, बालविकास केन्द्र तथा रास्ते व अन्य जनसुविधाएं जनहिताय संभव हो पायेंगी परंतु खेद है कि महापालिका आयुक्त केवल योजनाओं के सफेद हाथी जैसा वार्षिक आर्थिक बजट प्रस्तुत कर सपने तो दिखाते आये, परंतु सुविधाएँ शुन्य की शुन्य रहती हैं। उमनपा के प्रस्तावित व वास्तविक वार्षिक आय में व प्रस्तावित वार्षिक आर्थिक व्यय में दुगुने का फर्क रहता है। मिली जानकारी अनुसार मनपा का वास्तविक बजट संपत्तिकर, जीएसटी के अलावा अन्य श्रोतों से आनेवाला कर कुल मिलाकर 4 सौ 50 करोड़ से अधिक नहीं होता। जबकि वर्ष 2022/23 हेतु प्रस्तावित बजट लगभग 11 सौ करोड़ का दर्शाया गया है। इसे जनता को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाया जाना नहीं कहेंगे तो और क्या? जबकि उल्हासनगर मनपा की यह हालत है कि आज तक आयुक्त निवास हेतु निवास नहीं बना पायी है। इसी तरह किसी भी दैवीय आपदा से प्रभावित लोगों के लिए ट्रांजिट कैंप तथा राहगीरों व अनाश्रित लोगों के लिए रैन बसेरा तक की व्यवस्था नहीं हो पाई है उल्हासनगर मनपा में जबकि यह मनपा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। इसी तरह अन्य कई सुविधाओं का भी आभाव है जैसे स्वास्थ्य सुविधा केन्द्र प्रभाग अनुकूल, यातायात व्यवस्था, मनोरंजन के साधन, सार्वजनिक पुस्तकालय, सांस्कृतिक कला केंद्र, ऐतिहासिक संग्रहालय, उल्हासनगर एक लघु औद्योगिक शहर होन के नाते एक कार्यशाला होनी चाहिए थी परंतु उसका भी आभाव है, जबकि इस तरह की जनहिताय सुविधाएं प्रदान करना मनपा की जवाबदारी होती है। जहाँ तक प्रश्न है साफ-सफाई, पेयजल व अच्छे रास्ते की व्यवस्था का उस विषय में भी प्रशासन पूर्ण रूप से असफल ही है।
. उल्हासनगर मनपा रचनाकार. प्रशासक डॉ राजा दयानिधि
. उल्हासनगर मनपा रचनाकार. प्रशासक डॉ राजा दयानिधि
जिन शहरों में प्राकृतिक झीलों आदि की सुविधा नहीं होती वहां मानव निर्मित झीलों, झरनों की व्यवस्था करना मनपा की जवाबदेही होती है। जिससे पर्यावरण सुरक्षित व संतुलित रहे उसके विपरीत मनपा क्षेत्र में बहनेवाली प्राकृतिक वालधुनी नदी हिराघाट बोटक्लब हिराघाट बगल स्थित लायन गार्डन भगत कंवरराम सोसाइटी के सामने स्थित मिलिट्री कालिन तलाव अवैध अतिक्रमण के चलते अपनी दयनीय अवस्था पर आंसू बहा रहे हैं। उल्हासनगर स्थित उल्हासनदी के किनारे सर्वे नंबर 53 (अ) 21 एकड़ सरकारी जमीन है जिसको सरकार से मनपा द्वारा अधिग्रहित कर एक भव्य और सुंदर पर्यटक स्थल निर्मित करने के साथ ही नौकायन हेतु जनता को उपलब्ध कराया जा सकता था। इसी तरह उल्हासनगर 5 स्थित दशहरा मैदान जो दो भागों में विभक्त है उसको मिलाकर एक मिनी स्टेडियम बनाया जा सकता है, जहाँ पर खेलों के माध्यम से युवा पीढ़ी उल्हासनगर को सम्मान राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर दिला सकती है। इसी तरह उल्हासनगर कैम्प नंबर पांच हिललाईन पुलिस स्टेशन के पीछे पहाड़ी पर दिल्ली तर्ज पर अप्पू गार्डन बनाने का सपना तत्कालीन नगराध्यक्ष स्वर्गीय प्रह्लाद आडवाणी ने देखा था और योजना तैयार की थी इसलिए सरकारी अतिथिगृह का निर्माण भी करवाया था, परंतु आयुक्त/प्रशासक व जनप्रतिनिधियों के शहर विकास की ओर अवहेलनापूर्ण रवैये के परिणाम स्वरूप अधोगति को पहुंच चुका है। नई विकास योजना में प्रकल्पित 36 मीटर रिंगरोड के माध्यम से खेल प्रतिभाओं औद्योगिक विकास व अनन्य गृहउद्योगों के साथ शहर निर्मित फर्नीचर पावरलूम इंडस्ट्रीज प्रेसबाजार आदि का दर्शन आर्ट गैलरी के माध्यम से उल्हासनगर विकास की गतिमानता को दर्शाया जा सकता था। परंतु क्या शासन प्रशासन तमाशबीन बन अपनी जेबें भरता रहेगा और उल्हासनगर शहर की जनता विकास के स्वप्न को दिवास्वप्न ही समझती रहे!
उपरोक्त बातों से क्या यह सिद्ध नहीं होता है कि आयुक्त, शासन प्रशासन व मंत्री महोदय उल्हासनगर विकास के बजाय अपने ही इर्द-गिर्द घूमनेवालों का विकास कर रहे हैं और करेंगे? हमनें एक पत्रकार का दायित्व निभाते हुए अपने पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करते हुए नेताओं मंत्रीयो व बिल्डर लाबी के कुचक्रो को जनता के संज्ञान में लाने का प्रयत्न किया है, बाकी जनता के विवेक पर निर्भर है।
उपरोक्त बातों से क्या यह सिद्ध नहीं होता है कि आयुक्त, शासन प्रशासन व मंत्री महोदय उल्हासनगर विकास के बजाय अपने ही इर्द-गिर्द घूमनेवालों का विकास कर रहे हैं और करेंगे? हमनें एक पत्रकार का दायित्व निभाते हुए अपने पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करते हुए नेताओं मंत्रीयो व बिल्डर लाबी के कुचक्रो को जनता के संज्ञान में लाने का प्रयत्न किया है, बाकी जनता के विवेक पर निर्भर है।
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