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उल्हासनगर महानगरपालिका उपायुक्त प्रियंका राजपूत ने किया घोटाला, जनसूचना अधिकार में हुआ उजागर।

जागरूकता अभियान के नामपर लूट ली गई मनपा की तिजोरी, अधिकारी-कर्मचारी हैं या डकैत !! 

उल्हासनगर मनपा उपायुक्त प्रियांका राजपुत के बारे में जो जानकारी, लेख में देने जा रहा हूँ उसमें अंको की गणना खुद चिल्लाकर बयान कर रही है कि भ्रष्टाचार हुआ है और किसी सबूत की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
              उपायुक्त प्रियंका राजपूत 

तृतीयपक्ष लेखापरीक्षण की झंझट से बचने के लिए माफी योजना तो अस्तित्व में अब तक लायी नहीं गयी है और न उसका जन्म हुआ है। सात लाख मर्यादा के अंदर वाले खर्चे पर तृतीय पक्ष लेखा (Third party Audit) परीक्षण नहीं होता है। इसी से बचने के लिए महापालिका के 200 करोड़ के काम को "सात लाख" में मर्यादित कर मंजूर किया गया, उसमें कई बनावटी काम हैं जो न हुए हैं और न कभी होने वाले हैं उनका भी बड़ी निर्भीकता से समावेश किया गया है। परंतु दलाली (Commison) की लालसा में अधिकारी व लोकप्रतिनिधी अपनी आंखें बंद कर लेते हैं। दलाली में चुनाव विभाग की उपायुक्त प्रियांका भरत राजपुत अपवाद कैसे रह सकती थी। उन्होंने भी चुनाव व मतदान जनजागृति, प्रचार, प्रसार के नामपर यथासंभव झपट्टा मारा है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार "सात लाख के अंदर" की स्किम में लगभग डेढ़ करोड़ के सच्चे-झूठे काम पास किये गये हैं। ऐसा सामने आया है। जनसूचना अधिकार के तहत मांगी गई कार्यादेशों की सूची में 7 लाख के अंदर के 14 आदेश मतलब रु. 98 लाख के कार्यों की सूचना दी गई है। अन्य 7 फर्जी कामों के कार्यादेश छिपा लिये गये?

डेढ़ करोड़ के जनहित कार्यों के 50-50 लाख रुपये की तीन निविदा निकाली जा सकती थी, परंतू सात लाख के अंदर के 21 कोटेशन बनाकर डेढ़ करोड़ रुपये, राम इंटरप्रायजेस,दिशा इंटरप्रायजेस, सिद्धांत समाज विकास संस्था, मानव विकास सामाजिक सेवा संस्था, महेश इंटरप्रायजेस, श्रीकृष्ण इंटरप्रायजेस, अपुर्वा इंटरप्रायजेस व र्त्रिभूवन इंटरप्रायजेस नामक संस्थाओं को दे दिया गया। इन संस्थाओं के पतों की अगर आयुक्त ने जांच की तब भी सारा भ्रष्टाचार सामने आ जायेगा। एक ही व्यक्ति की संस्था बार बार सामने आयेगी। इस प्रकार अपनी चहेती संस्था का हित साधने में भ्रष्टाचार को मूर्त रुप दिया उल्हासनगर मनपा उपायुक्त प्रियंका राजपूत ने।

7 लाख के अंदर बैठाये गये कामों की रकम के आकड़ों में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। (1) 6,98,400 (2) 6,99,655 (3) 6,99,230, (4) 6,93,176 (5) 6,94,292 सात लाख के अंदर का मतलब क्या है यह उपरोक्त आकड़ों से ध्यान में आ जाता है।

उपायुक्त राजपुत द्वारा 19 जनवरी के दिन आदेश दिए जाने के बाद 25 जनवरी के पहले ही प्रत्येक चार प्रभागों में 6,98,400 रूपये कहीं भी एक रुपया कम न ज्यादा इस तरह दिवार की रंगाई (Wall Painting) के काम 38,800 वर्गफुट कराया गया है, जिसकी रकम होती है 27 लाख 93 हजार 600 रूपये। सिर्फ पाच दिनों में 1 लाख 55 हजार 200 वर्गफुट (Wall Painting) का काम सिर्फ मिस्टर इंडिया ही कर सकता है। इस प्रकार की खाऊ व भ्रष्टाचारी प्रवर्त्ती की उपायुक्त के गिद्धों को भी शर्म आ जाये। सबसे बड़ा भ्रष्टाचार तो आगे दिखेगा।

प्रत्येक प्रभाग में मतदार नोंदणी जनजागृती प्रचार व प्रसिद्धी के लिए नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत करने के लिए, प्रत्येक नाटक पर रु. 6200/ की दर से दो प्रभागों में 110 + 110 नाटक के हिसाब से प्रस्तुत नाटक जो केवल प्रभाग क्र. 3 व 4 के लिए प्रत्येक में 6 लाख 82 हजार इस प्रकार 13 लाख 64 हजार खर्च दिखाया गया है। प्रभाग क्र.1 व 2 में दो संचिका गायब है। इस उपायुक्त ने 110 अनुसार 220 नुक्कड़ नाटक कब और कहां दिखाया है। प्रत्येक के लिए 6200 अनुसार 220 नुक्कड़ नाटक का बिल भुगतान करने व स्वीकारने वाले का कोई प्रमाण राजपुत मैडम के पास है? महाविद्यालयीन विद्यार्थियों द्वारा जनजागृति की भावना से मुफ्त में किये गये कला प्रदर्शन का कोई अगर गैर फायदा लेकर पैसा खा रहा है तो यह देखकर मैला खानेवाला सुअर भी शर्म से गर्दन झुका लेगा।

इस दरम्यान सिर्फ नाश्तेपर 1 लाख 41 हजार 400 रूपये खर्च किए गए हैं। चित्रकारों पर 6 लाख 87 हजार 400 रूपये खर्च किए गए। प्रत्येक प्रभाग समिती में एक ही दिन में साऊंड सिस्टम, मंडप, स्टेज, ट्राफी, फोटो, निमंत्रण पत्रिका, आदि पर कुल 30 लाख 67 हजार का खर्च, साथ ही सिद्धान्त संस्थान के अलग से 6,99,655 रुपये, इस प्रकार कुल 38 लाख का खर्च दिखाया गया है।

बड़ी ट्राफी 10 अदत, प्रत्येक रु. 9500 नुसार 95000 × 4 इस तरह 3 लाख 80 हजार की ट्राफी दी गयीं। किसीके बाप की या स्वत: का दुसरा विवाह था। जो की रुपये 3 लाख 80 हजार की ट्राफी बांटी गई।

इसके अलावा प्रत्येक प्रभाग में 3890 नग मास्क अनुसार हर प्रभाग के लिए रु. 3,37,430 के हिसाब से चार प्रभाग में रु. 13 लाख मास्क पर वापरा गया? मास्क जो बाजार में 10-15 रुपये में मिलता है उसे 87 रूपये की दर से खरीदा गया। प्रत्येक मास्क पर 72 रु. के हिसाब से एक प्रभाग में 2 लाख 80 हजार मास्क पर गये, तो इस प्रकार चार प्रभाग में 11 लाख 29 हजार रुपये का भ्रष्टाचार मास्क पर हुआ है। जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 में मांगे गये अनुसार सिर्फ प्रभाग समिती 1 व 2 का कार्यादेश दिया गया। बाकी प्रभाग समिती 3 व 4 के कार्यादेश छिपा लिए गये।

उपरोक्त प्रकरण में बहुत ही चिरफाड किया जा सकता है। अंत में आयुक्त से एक ही अनुरोध है कि गोरे रंग पर न रीझें! काली करतूत की पहचान करें और भ्रष्टाचार में जो भी दोषी पाया जाता है उन सभी पर प्रशासकिय व फौजदारी कार्रवाई कर अपने आप को चरितार्थ किजिए। 

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1 टिप्पणियाँ

  1. यह चोर की बेटी चोर ही होगी घूसखोर और महा नीचे और सब से घटिया किस्म की अधिकारी है राजपूत

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