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उल्हासनगर के सिविल अस्पताल की जीर्ण शीर्ण अवस्था

मध्यवर्ती अस्पताल (Central Hospital) की अस्त व्यस्त व्यवस्था से आम जनमानस परेशान!!
    
देखिए इस तरह होता है कामकाज 

उल्हासनगर: उल्हासनगर के सरकारी अस्पताल की जीर्ण शीर्ण व्यवस्था से लोग परेशान मरीजों के रिश्तेदारों के वाहनों के लिए कोई पार्किंग व्यवस्था नहीं! अस्पताल के सामने फेरीवालों के अलावा आटो रिक्शा व निजी रुग्ण वाहिका वालों का राज, मुख्य द्वार से रक्षक नदारद!

उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-3, में सरकारी रुग्णालय है, जिसको सिविल अस्पताल का दर्जा दे दिया गया है। परंतु सुविधाओं का आभाव होने से लोग वहां जाने से परहेज करते हैं। कम आमदनी, निजी अस्पतालों का खर्च न उठा पाने वाले गरीब व मजबूर लोगों के पास इसके सिवा कोई चारा न होने का खूब फायदा अस्पताल प्रशासन उठाता है। अस्पताल के अंदर बाहर व परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। किसी प्रकार का खुशनुमा माहौल नहीं है। बाहर सड़क पर फेरीवालों का जमावड़ा है। जिससे दो चक्का से आने वाले मरीजों को अपना वाहन खड़ा करना दूभर हो गया है। उन्हें वाहन खड़ा करने की जगह नहीं मिलती क्योंकि अस्पताल के गेट के आसपास फेरीवालों, निजी एंबुलेंस के अलावा आटो वालों का कब्जा है।

बाहरी मुख्य द्वार बंद तो कर दिया गया है परंतु वहां को सुरक्षा रक्षक द्वार खोलने के लिए खड़ा नहीं रहता जिससे एंबुलेंस से आने वाले गंभीर, नाजुक अवस्था के मरीजों के लिए द्वार खोलने में हुई देरी से उनकी जान पर बन आती है। अस्पताल के मुख्य द्वार तक मरीजों को पहुंचाने की सुविधा होनी चाहिए परंतु ऐसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आती। वार्ड ब्वाय जगह जगह ठिठोली करते नजर आते हैं। मरीजों की सेवा सुश्रुता पर कोई ध्यान नहीं। ऐसा लगता है अस्पताल प्रशासन नहीं चाहता की उनके पास मरीज आये और उनको काम करना पड़े!

उल्हासनगर के मध्यवर्ती रुग्णालय में आसपास के कई इलाकों से जैसे मुरबाड, म्हारल, वरप, टिटवाला, कांबा, रायता अंबरनाथ बदलापूर कर्जत तक से मरीज आते हैं। फिर भी इस अस्पताल की दशा और दिशा सुधारने में शासन प्रशासन की कोई दिलचस्पी नजर नहीं आती है। 

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