कर्मयोगी सांई टेकचन्द मिरपूरी की सौवीं जयन्ती मनाई गयी।
उल्हासनगर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक के रुप में कार्य करते हुए भारत विभाजन के बाद सैकड़ों हिंदू परिवारों को उल्हासनगर की धरती पर पुनर्वसन कराने का महत्वपूर्ण कार्य करते हुए उल्हासनगर के विकास में अहम भूमिका निभाई जैसे कि सिंध हैदराबाद नैशनल कालेजिएट बोर्ड के अंतर्गत चांदीबाई कालेज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका के साथ चाणक्य लाइब्रेरी नेताजी कार्यकेंद्र अखिलभारतीय विद्यार्थी परिषदभवन एवं भारतीय संस्कार जैसे संस्थानों का निर्माण जनहिताय सांई टेकचन्द मिरपूरी की देन है, जहाँ पर प्रातः एवं सायंकालीन औषधालय, दंतचिक्तिसा, फिजिओथिरेपी का कार्य संचालित होता है। साथ ही साथ मुंबई की संस्था सिंधुवर्षा फाउंडेशन की ओर से नारीशाला टीबी के मरीजों को न्युनतम दर पर प्रत्येक परिवार को स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाती है।
इस तरह सांई टेकचन्द मिरपूरी आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए राष्ट्र एवं उल्हासनगर की सेवा करते हुए 31 जनवरी 2012 को ब्रम्हलीन हो गये। सांई मिरपूरी के समाज व राष्ट्र हिताय कार्यों की प्रशस्ति सर्व श्री लालकृष्ण आडवाणीजी पूर्व उपप्रधानमंत्री कर चुके हैं।
प्रस्तुत कार्यक्रम आज दिनांक 24 मई दिन मंगलवार को उल्हासनगर 4 स्थित जय कल्याणी के कार्यालय में दोपहर 1 बजे से लेकर 2 बजे तक शताब्दी जयंती मनाई गयी। जहाँ सभीने सांई के सतकृत्यों को स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। सांई के अनुयायियों में चंद्रकांत मिश्र, जयकल्याणी, सुरेश लुधवानी, मुकेश जग्यासी, मेघराज नरसिंघानी व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
! महाविभूति सांई टेकचन्द मिरपूरी को सत सत नमन !
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