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उल्हासनगर शहर रचना विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला, जनता और शहर का निकला दिवाला!!

शहर उपरचनाकार प्रकाश मुले है जहाँ, भ्रष्टाचार है वहाँ, शहर विकास मंत्रालय व मंत्री को भी मिल रहा है हिस्सा?   .     अजीत भाटिया 

उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगरपालिका में नहीं चलता भारत का नियम कानून! क्योंकि जिस इमारत के खिलाफ दो प्राथमिकी,दो दो रिट पिटीशन, भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते की जांच व दर्जनों शिकायतों के बावजूद उल्हासनगर शहर रचना विभाग ने सुधारित प्लान पास कर दिया। निर्माणाधीन इमारत पूरी तरह से अवैध है और फर्जी कागजातों के आधार पर बन रही है।

यह इमारत बैरेक क्र. 748, रुम क्र. 5,6,7 और 8 बाबा बेफिक्री चौक के पास उल्हासनगर-2 में बन रही है। इसका टिएलआर क्र.189/2010, सीटी सर्वे क्र. 225/2011, बीपी क्र. 89/2010 और सीट क्र. 64/46 है। मेसर्स कोहिनूर कंस्ट्रक्शन कंपनी के बैनर तले अजीत भाटिया बना रहे हैं। अजीत भाटिया की चर्चा होने पर कहा जाता है कि वही अजीत भाटिया, जो फर्जी कागजात बनाने वाले गिरोह का सरदार है।

यह इमारत वर्ष 2010 में बननी शुरू हुई थी। तब चार मंजिलों का प्लान पास था। अजीत भाटिया के पार्टनर प्रकाश रोचलानी (Prakash Rochlani) को मालूम पड़ा कि बिल्डिंग या प्लॉट से सम्बंधित सभी दस्तावेज़ फर्जी हैं। उन्होंने 22 जनवरी 2013 को हिललाइन पुलिस स्टेशन में भादंसं की धारा 420, 467, 468 और 34 के तहत एफआईआर (एमइसीआर) (नं-137/2013) कर दी।

इसी बिल्डिंग के फर्जीवाड़े को लेकर प्रकाश रोचलानी की शिकायत पर उल्हासनगर-1 पुलिस ने 25 जून 2013 को भादंसं की धारा 420, 465, 466, 467, 468, 471 और 34 के तहत दूसरी एफआईआर (नंबर-175/2013) दर्ज की थी।

प्रकाश रोचलानी की शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 24 सितम्बर 2014 को उल्हासनगर महापालिका आयुक्त को आदेश दिया था कि बिल्डिंग के डॉक्यूमेंट्स की जांच की जाए। प्रकाश रोचलानी का आरोप है कि तीन महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स फर्जी हैं। रोचलानी ने दस्तावेज़ फर्जीवाड़े को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट पिटीशन (नंबर-3087/2013) फाइल की थी। 12 अगस्त 2014 को हाईकोर्ट ने पुलिस को मामले की जांच का आदेश दिया था। एक सिविल रिट पिटीशन और भी फाइल है।

इसके अतिरिक्त प्रकाश रोचलानी ने दर्जनों शिकायतें की हुई हैं। कुछ वर्ष पहले उनकी मौत हो गई। अब अजीत भाटिया के अन्य स्लीपिंग पार्टनर भी शिकायतें कर रहे हैं। इतने सब के बावजूद उल्हासनगर महापालिका ने 30 जुलाई 2021 को उसी प्लॉट पर रिवाइज्ड प्लान पास कर दिया। वह भी सात मंजिलों का। उल्हासनगर महापालिका प्रशासन के साथ-साथ उपविभागीय (SDO) और सिटी सर्वे विभाग ने भी गांधारी की तरह गुलाबी नोटों की पट्टी बांध ली। उन्हें भी दो एफआईआर, दो रिट पिटीशन, एसीबी की इन्क्वायरी, दर्जनों शिकायतें नहीं दिखीं। अग्निपर्व टाइम्स ने इस सन्दर्भ में जब महापालिका अधिकारी से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि उल्हासनगर महापालिका में यदि टाउन प्लानर प्रकाश मुले (Town Planner Prakash Mule) है तो ऐसा होना बिलकुल संभव है। प्रकाश मुले शतप्रतिशत और प्योर करप्ट अधिकारी है। (Prakash Mule is 100% Pure Corrupt Officer) जेई दीपक ढोले JE Deepak Dhole) और जेई संजय पवार (JE Sanjay Pawar) के बारे में भी उनकी ऐसी ही राय थी। तभी तो कहा जाता है उल्हासनगर में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और भारत देश का कोई कानून यहां नहीं चलता!

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