प्रियंका राजपूत
सि.टी.एस.नं.९१४०, यु.नं. १२७,१२८,प्लाट नं. ९८ (भा) शीट नं. ४२, पर प्लान और पूर्णता प्रमाणपत्र शीट नं. 50, बाकी सभी नंबर वही हैं। शिकायत के बाद उपायुक्त प्रियंका राजपूत ने प्रकाश मुले की जांच का आदेश प्रकाश मुले को ही दे दिया !
प्रकाश मुले
प्रकाश मुले
उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगर पालिका में शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने चुन-चुन कर भ्रष्टाचारी नगों को नियुक्ति करवाया है। मनोरंजन के लिए आरक्षित जमीन पर फर्जी कागजात बनाकर प्लान पास होने की पुष्टि के बाद इमारत तोड़कर, बिल्डर पर एमआरटीपी दाखिल करने का आदेश आने पर भवन निर्माता को स्थगन आदेश लाना पड़ा, सुनवाई खत्म भी नहीं हुई थी, रचनाकार ने दे दिया पूर्णता प्रमाणपत्र (Completion) यहां मजे की बात यह है कि कंपलिसन कैसे दिया गया? इसकी शिकायत होने पर जांच का निर्देश देने की बात आयी तो उपायुक्त प्रियंका राजपूत ने शहररचना विभाग का बहाना बनाकर, विभाग के जांच के लिए एक पत्र निकला वह भी शहर उपरचनाकार प्रकाश मुले के नाम पर, इस तरह अब चोर ने दिया चोर को अपने चोरी की जांच का निर्देश। प्रकाश मुले अब अपनी जांच खुद ही करेंगे! उस पत्र की एक प्रति अग्निपर्व टाइम्स के पास है।
डा. राजा दयानिधी
डा. राजा दयानिधी
उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-३, BLK, C-15, रुम नंबर 57 भूखण्ड क्र.106, अनिवासी भूखण्ड जो मनोरंजन स्थल के लिए आरक्षित है। जमीन पर परसोत्तम एस मंघवानी का अवैध कब्जा था, जमीन कंस्ट्रक्शन कंपनी को बेचते समय उन्होंने सिर्फ हाऊस टैक्स ही दर्शाया था। हर्ष माखिजा ने बाकी के सभी कागजात खुद ही बनवाया है। उन्हीं फर्जी कागजातों के आधार पर बहुमंजिला इमारत निर्माण का प्रस्ताव उल्हासनगर मनपा के पास दो बार भेजा गया और दोनों बार अधिकारियों ने आंखों पर नोटों की पट्टी बांधी और प्लान पास कर दिया, जिसका क्रमांक उमपा/नरवि/बांप/१३/१२/९३ दिनांक ०४.०६.१२ और सुधारित बांधकाम परवानगी के लिए दि. ०५.०८.१६ को फिर से उमनपा में भेजा गया जिसका प्रस्ताव क्र.उमपा/नरवि/बांप/१३/१२/२८६, है। सुधारित प्रस्ताव भी शहर रचनाकार विभाग व उपायुक्त ने पास कर दिया।
विधायिका द्वारा शिकायत
प्लान पास होकर आया और खोदकाम शुरू ही हुआ था कि तत्कालीन विधायिका स्व. ज्योति कालानी को पता चला और उन्होंने मामला विधान सभा में उठाया, उनका आरोप था कि उपरोक्त प्लान उन 38 प्लानो में से एक है जो करपे द्वारा आरक्षित भूखण्डों पर पास किया गया है। जांच में श्रीमती कालानी की बात सच निकली, कार्यवाही की लटकती तलवार देखकर भवन निर्माता हर्ष माखिजा ने न्यायालय की शरण ली और स्पेशल सिविल सूट नं. 90/17 दाखिल किया और आरक्षित भूखंड पर सांठ- गांठ कर स्थगन (Stay) आदेश ले आये। निर्माणकार्य रुका नहीं और इमारत पूर्ण हो गयी। यहां विचारणीय बात यह भी है कि विधायिका की शिकायत को किसने और कैसे दबाया? शिकायत तो हुई पर कार्रवाई नहीं हुई! कोर्ट की तारीख अभी चल ही रही है और नवनियुक्त शहर रचनाकार ने वायलेसन रिपोर्ट के साथ ही, दे दिया पूर्णता प्रमाणपत्र इसीलिए तो कहा जाता है, उल्हासनगर है यहां ऐसा ही होता है "सब-कुछ चलता है" अब कितनों
विधायिका द्वारा शिकायत
प्लान पास होकर आया और खोदकाम शुरू ही हुआ था कि तत्कालीन विधायिका स्व. ज्योति कालानी को पता चला और उन्होंने मामला विधान सभा में उठाया, उनका आरोप था कि उपरोक्त प्लान उन 38 प्लानो में से एक है जो करपे द्वारा आरक्षित भूखण्डों पर पास किया गया है। जांच में श्रीमती कालानी की बात सच निकली, कार्यवाही की लटकती तलवार देखकर भवन निर्माता हर्ष माखिजा ने न्यायालय की शरण ली और स्पेशल सिविल सूट नं. 90/17 दाखिल किया और आरक्षित भूखंड पर सांठ- गांठ कर स्थगन (Stay) आदेश ले आये। निर्माणकार्य रुका नहीं और इमारत पूर्ण हो गयी। यहां विचारणीय बात यह भी है कि विधायिका की शिकायत को किसने और कैसे दबाया? शिकायत तो हुई पर कार्रवाई नहीं हुई! कोर्ट की तारीख अभी चल ही रही है और नवनियुक्त शहर रचनाकार ने वायलेसन रिपोर्ट के साथ ही, दे दिया पूर्णता प्रमाणपत्र इसीलिए तो कहा जाता है, उल्हासनगर है यहां ऐसा ही होता है "सब-कुछ चलता है" अब कितनों
शिकायत करो, खबर लिखो सुअर से भी ज्यादा मोटी चमड़ी के बेशर्म भ्रष्टाचारियों पर कोई असर पड़ने वाला नहीं! आयुक्त दयानिधी ने तो आंख कान सब बंद कर लिया है सिर्फ जेब खुली रखा है। खुद भी खाओ आका को पहुंचाओ, इसी तर्ज पर नाच और गा रहे हैं।
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