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उल्हासनगर मनपा की कार्यप्रणाली, स्थगन(Stay) के बावजूद बन जाती है इमारत और मिल जाता है कंपलिसन!!

ऐसा सिर्फ उल्हासनगर में होता है: जांच में फर्जी कागजात साबित होने पर भी इमारत को मिलता है पूर्णता प्रमाणपत्र!

सि.टी.एस.नं.९१४०, यु.नं. १२७,१२८,प्लाट नं. ९८(भा) शिट नं. ४२, प्लान की शिकायत विधायिका ज्योती कालानी ने किया, जांच में आयुक्त ने माना प्लान फर्जी (Foarge) कागजात पर है, फिर भी मिला पूर्णता (CC) प्रमाणपत्र?

उल्हासनगर : महाराष्ट्र ठाणे जिले की उल्हासनगर महानगर पालिका में शहर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने चुन-चुन कर भ्रष्टाचारी आयुक्त, उपायुक्त, रचनाकार की नियुक्ति किया है। मनोरंजन स्थल के लिए आरक्षित जमीन पर फर्जी कागजात बनाकर प्लान पास होने की पुष्टि, बिल्डर पर मनपा आयुक्त द्वारा एमआरटीपी दाखिल करने का आदेश हुआ। जिसपर भवन निर्माता न्यायालय से स्थगन आदेश ले आया। न्यायाधीश ने यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश दिया। वास्तु विशारद ने निर्माणकार्य से अपने-आप को अलग कर लिया फिर भी बेसमेंट में दो दुकान+तलमंजिल+5 मंजिला इमारत बनकर तैयार हो गई और वायलेसन प्रमाणित होने के बाद भी रचनाकार प्रकाश मुले ने दिया कंपलिसन सर्टिफिकेट! मनपा गलियारे में TP द्वारा 40 लाख लेकर Completion Certificate दिए जाने की चर्चा है।
    रिश्वतखोर टाऊन प्लानर प्रकाश मुले 

उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-३, BLK, C-15, रुम नंबर 57, भूखण्ड क्र.106, अनिवासी भूखण्ड है जो मनोरंजन स्थल के लिए आरक्षित है। उस जमीन पर परसोत्तम एस मंघवानी ने दिवार पर सिमेंट पत्रे रखकर गैरेज बनाकर कब्जा कर रखा था। उस जमीन को माखिजा कंस्ट्रक्शन कंपनी मालिक हर्ष राजलदास माखिजा ने खरीद लिया। भूखण्ड के फर्जी कागजात बनाकर बहुमंजिला इमारत निर्माण का प्रस्ताव उल्हासनगर महानगरपालिका के पास भेजा जिसका क्रमांक उमपा/नरवि/बांप/१३/१२/९३ दिनांक ०४.०६.१२ है। वह प्रस्ताव पास हो गया परंतु इमारत का निर्माणकार्य शुरू नहीं किया गया और सुधारित बांधकाम परवानगी पाने के लिए दिनांक ०५.०८.१६ को फिर से उमनपा भेजा गया जिसका प्रस्ताव क्र. उमपा/नरवि/बांप/१३/१२/२८६, है। सुधारित प्रस्ताव भी उमपा शहर रचना विभाग व उपशहर रचनाकार ने आंखों पर गुलाबी नोटों की पट्टी बांधकर पास कर दिया।
    चोरों का सरदार प्रशासक डाॅ. राजा दयानिधी 

विधायिका द्वारा शिकायत

प्लान पास होकर हाथ में आया ही और खोदकाम शुरू ही किया गया था कि तत्कालीन विधायिका ज्योति कालानी को पता चला और उन्होंने 25/11/2016 को मामला विधान सभा में उठाया और आरोप लगाया कि उपरोक्त प्लान उन 38 प्लानो में से एक है जो एमएस करपे द्वारा गलत ढंग से आरक्षित भूखण्डों पर पास किये गये हैं। तत्कालीन मनपा अवैध बांधकाम निष्कासन उपायुक्त ने रचनाकार सोनावणे से जानकारी मांगी तो उन्होंने जवाब दिया कि वास्तुविशारद शरद जोगलेकर ने गुमराह कर आरक्षित भूखंड पर प्लान पास करवा लिया है। कार्यवाही की लटकती तलवार देख जोगलेकर ने मनपा को एक पत्र देकर अपने आपको निर्माण कार्य से अलग कर लिया। उपायुक्त ने बांधकाम निष्कासित कर भवन निर्माता पर एमआरटीपी दाखिल करने का आदेश दिया। भवन निर्माता हर्ष माखिजा ने न्यायालय की ओर दौड़ लगायी और स्पेशल सिविल सूट नं. 90/17 दाखिल किया और सांठगांठ कर स्थगन Stay ले आये। जज साहब ने 8 अगस्त 2017 को न्यायिक कार्रवाई पूरी होने तक के लिए स्थगन आदेश जारी करते हुए कहा कि न्यायालयीन फैसला आने तक यथास्थिति कायम रखी जाय ऐसा निर्देश दिया। मतलब निर्माण कार्य 7/9/2016 की स्थिति में बरकरार रखने का आदेश दिया था न कि निर्माणकार्य पूरा करने का फिर भी निर्माणकार्य को रोका नहीं गया और वह इमारत पूर्ण हो गयी। स्थगन आदेश कब हटा? कागजात सही कब और कैसे किया गया? और किस वास्तुविशारद ने यह कार्य पूर्ण करवाया यह शहर रचनाकार (Taun Planer) प्रकाश मुले व उपायुक्त प्रियंका राजपूत बताएंगी? यहां विचारणीय बात यह भी है कि विधायिका की शिकायत को कैसे दबाया गया? उल्हासनगर में शिकायत तो होती है पर कार्रवाई नहीं होती शिकायत सिर्फ लेनदेन तोड़पानी के लिए की जाती है!

अगले अंक में पढिए चोर को ही चोरी की जांच का निर्देश दिया उमनपा उपायुक्त प्रियंका राजपूत ने! 

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