उल्हासनगर : महाराष्ट्र ठाणे जिले की उल्हासनगर स्थित सेंचुरी रेयान कंपनी कंपनी में विस्कोस प्लांट में रसायन (केमिकल) के टैंक में गिरने से मौत हो गई, कंपनी ने सफाई दी है कि नशे में धुत होने के कारण डिजाल्टर प्लांट में गिर गया मजदूर !
अनिल कुमार झा
अनिल कुमार केमिकल से निकाले जाने के बाद
बतादे की उल्हासनगर के शहाड गांवठाण स्थित सेंचुरी रेयान नामक कंपनी है। जिसका नाम समय समय पर जरूरत के हिसाब से बदलता रहता है। कंपनी में दिन-रात तीनों सिफ्ट में काम चलता है जहाँ चार से पांच हजार लोग काम करते हैं। उस कंपनी के एक प्लांट के घातक केमिकल में गिरकर 13 अप्रैल 2022 की भोर में एक 48 वर्षीय मजदूर अनिल कुमार झा की दर्दनाक मौत हो गई। बताया जाता है रसायन (केमिकल) इतना घातक है कि एक घंटा उसमें कोई चीज रह जाये तो वह गलकर पानी बन जाती है। ऐसे घातक डिजाल्टर प्लांट में काम करने के लिए सिर्फ एक आदमी कैसे जाता है और वह उस केमिकल में गिर जाता है। वहां कार्यरत लोगों को 15/20 मिनट बाद पता लगता है और अग्निशमन दल की मदद से निकाला जाता है यह घटना आश्चर्यजनक ही नहीं संदेहास्पद भी है।
कंपनी की लापरवाही
कंपनी ने अपनी लापरवाही/गलती छिपाने के लिए कह दिया कि मृतक नशे में था तो यहां यह जानलेना जरुरी है कि सुबह-सुबह घटना होने का मतलब कामगार रातपाली में था जो रात 11 बजे शुरू होकर सुबह 07 बजे खत्म होती है। ऐसा कौन-सा नशा था जो रात 10 बजे किये जाने के बाद सुबह पांच बजे और बढ़ गया खत्म होने की बजाय! कंपनी के अंदर व बाहर से एक सुई भी नहीं जा सकती इतनी चौकश सुरक्षा है। सुरक्षा रक्षक पूरी तलाशी लिए बैगर न किसी को अंदर जाने देते हैं और न ही बाहर तो नशे में होने का पता कैसे नहीं चला? क्या इतनी सारी मशीनरी और घातक रसायन के पास नशे में धुत होकर जाने की इजाजत है कंपनी की तरफ से अगर नहीं तो मजदूर को गेट पर रोक कर घर क्यों नहीं लौटाया गया? जांच करने पर पता चला की नशे की जांच कर नशेड़ीयों को घर लौटा दिया जाता है। तो अनिल को घर क्यों नहीं लौटाया गया जबकि वह घातक रसायन के पास काम करता था। नशे में धुत होने के बाद भी रसायन की स्थिति वह कैसे भांप पाता की उपयोग के काबिल है या नहीं जब वह प्लांट में अकेले ही काम पर था।
अनिल झा की स्थिति
अनिल कुमार झा के बारे में जानकारी जुटाने पर पता चला कि वह दो बच्चों का पिता था एक 16 वर्षीय बेटा और उससे बड़ी एक बेटी जो अभी कुछ ही महीनों पहले नौकरी पर लगी है। वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। काम के बोझ से तनाव में रहता था। इसी कारण नशा कर लिया करता था। नशा करने पर घर-परिवार की डाट फटकार भी झेलना पड़ता था ऐसा लोगों ने बताया। सेंचुरी रेयान रसायन निर्माण कर उस रसायन से धागा बनाने वाली कंपनी में नौकरी करता था। रसायन की तीव्रता सहन करने के लिए अधिकतर मजदूर शराब का सेवन करते हैं। परंतु शराब पीकर या नशाकरने के बाद कंपनी के अंदर जाने नहीं मिलता ऐसी जानकारी मिली है। इससे यह स्पष्ट होता है कंपनी अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए मजदूर नशे में था ऐसा कह कर पल्ला झाड़ दिया है।
सेंचुरी कंपनी की स्थिति
सेंचुरी रेयान कंपनी शहाड परिसर के कयी एकड़ जगह में फैली हुई है। कंपनी के मालिकाने में विठ्ठल रखुमाई मंदिर, विश्राम भवन सोसाइटी की दुकानों के अलावा दर्जनों इमारतें हैं। कंपनी का अपना स्वयं का जल शोधन प्लांट है। कंपनी के पास क्लब हाऊस व कयी बंगले हैं जिसमें से तीन-चार बंगलों में हमेशा उल्हासनगर मनपा व पुलिस के बड़े अधिकारी बिना किराए के मुफ्त में रहते हैं। जोन चार के डीसीपी स्थानीय पुलिस निरीक्षक और उल्हासनगर मनपा आयुक्त को दिया जाता है। किराए के बदले कंपनी फायदा भी खूब उठाती है। कंपनी में व रहवासी इमारतों व बंगलों के नवनिर्माण का नक्शा नहीं पास करवाती, कब्जे में होने के बाद भी कई जमीनों का टैक्स नहीं भरती है। इसी तरह पुलिस का उपयोग कंपनी की लापरवाही से हुई मौत व अपघात में मजदूरों की हुई हानी से कंपनी को बचाने के लिए किया करती है। यही कारण है कंपनी की लापरवाही से हुई मौत का मुकदमा न दर्ज कर लीपापोती कर दिया गया।
कंपनी की लापरवाही
कंपनी ने अपनी लापरवाही/गलती छिपाने के लिए कह दिया कि मृतक नशे में था तो यहां यह जानलेना जरुरी है कि सुबह-सुबह घटना होने का मतलब कामगार रातपाली में था जो रात 11 बजे शुरू होकर सुबह 07 बजे खत्म होती है। ऐसा कौन-सा नशा था जो रात 10 बजे किये जाने के बाद सुबह पांच बजे और बढ़ गया खत्म होने की बजाय! कंपनी के अंदर व बाहर से एक सुई भी नहीं जा सकती इतनी चौकश सुरक्षा है। सुरक्षा रक्षक पूरी तलाशी लिए बैगर न किसी को अंदर जाने देते हैं और न ही बाहर तो नशे में होने का पता कैसे नहीं चला? क्या इतनी सारी मशीनरी और घातक रसायन के पास नशे में धुत होकर जाने की इजाजत है कंपनी की तरफ से अगर नहीं तो मजदूर को गेट पर रोक कर घर क्यों नहीं लौटाया गया? जांच करने पर पता चला की नशे की जांच कर नशेड़ीयों को घर लौटा दिया जाता है। तो अनिल को घर क्यों नहीं लौटाया गया जबकि वह घातक रसायन के पास काम करता था। नशे में धुत होने के बाद भी रसायन की स्थिति वह कैसे भांप पाता की उपयोग के काबिल है या नहीं जब वह प्लांट में अकेले ही काम पर था।
अनिल झा की स्थिति
अनिल कुमार झा के बारे में जानकारी जुटाने पर पता चला कि वह दो बच्चों का पिता था एक 16 वर्षीय बेटा और उससे बड़ी एक बेटी जो अभी कुछ ही महीनों पहले नौकरी पर लगी है। वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। काम के बोझ से तनाव में रहता था। इसी कारण नशा कर लिया करता था। नशा करने पर घर-परिवार की डाट फटकार भी झेलना पड़ता था ऐसा लोगों ने बताया। सेंचुरी रेयान रसायन निर्माण कर उस रसायन से धागा बनाने वाली कंपनी में नौकरी करता था। रसायन की तीव्रता सहन करने के लिए अधिकतर मजदूर शराब का सेवन करते हैं। परंतु शराब पीकर या नशाकरने के बाद कंपनी के अंदर जाने नहीं मिलता ऐसी जानकारी मिली है। इससे यह स्पष्ट होता है कंपनी अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए मजदूर नशे में था ऐसा कह कर पल्ला झाड़ दिया है।
सेंचुरी कंपनी की स्थिति
सेंचुरी रेयान कंपनी शहाड परिसर के कयी एकड़ जगह में फैली हुई है। कंपनी के मालिकाने में विठ्ठल रखुमाई मंदिर, विश्राम भवन सोसाइटी की दुकानों के अलावा दर्जनों इमारतें हैं। कंपनी का अपना स्वयं का जल शोधन प्लांट है। कंपनी के पास क्लब हाऊस व कयी बंगले हैं जिसमें से तीन-चार बंगलों में हमेशा उल्हासनगर मनपा व पुलिस के बड़े अधिकारी बिना किराए के मुफ्त में रहते हैं। जोन चार के डीसीपी स्थानीय पुलिस निरीक्षक और उल्हासनगर मनपा आयुक्त को दिया जाता है। किराए के बदले कंपनी फायदा भी खूब उठाती है। कंपनी में व रहवासी इमारतों व बंगलों के नवनिर्माण का नक्शा नहीं पास करवाती, कब्जे में होने के बाद भी कई जमीनों का टैक्स नहीं भरती है। इसी तरह पुलिस का उपयोग कंपनी की लापरवाही से हुई मौत व अपघात में मजदूरों की हुई हानी से कंपनी को बचाने के लिए किया करती है। यही कारण है कंपनी की लापरवाही से हुई मौत का मुकदमा न दर्ज कर लीपापोती कर दिया गया।
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