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शहाड परिसर में बजरंग दल द्वारा निकाली गई रामनवमी की भव्य शोभायात्रा, यात्रा के रास्तों पर सफाई रही नदारद!!

बजरंग दल द्वारा रामनवमी के पर्व पर निकाली गई शोभायात्रा, हजारों युवा महिला पुरुषों ने लिया हिस्सा।

सड़क पर कचरा ही कचरा फुटपाथ पर कट रही मच्छी व दुकानों पर लटकी रही छीली हुई मुर्गियां व बकरे !! 

उल्हासनगर : ठाणे जिले के उल्हासनगर शहर में जगह-जगह मनाया गया रामनवमी का महापर्व पूजा अर्चना के साथ ही बड़े धूमधाम से बैंड-बाजे के साथ नाचते झूमते हजारों युवा, महिला पुरुषों ने रामलला व हनुमान जी की प्रतिमाओं के साथ निकाली गई भव्य शोभायात्रा।

रामनवमी के पावन पर्व पर बजरंग दल द्वारा निकाली गई शोभायात्रा, उल्हासनगर के सी ब्लाक रोड स्थित भवानी मंदिर से शोभायात्रा शुरू होकर सी ब्लाक चौक, दुनीचंद कालेज के सामने से होते हुए महात्मा फुले चौक से छत्रपति शिवाजी महाराज सड़क से होते हुए शहाड उड़ान पुल के नीचे जय श्री राम के साथ खूब आतिशबाजी किया गया। जहाँ से शोभायात्रा शुरू हुई थी वहीं पहुंचकर भवानी मंदिर के सामने शोभायात्रा का समापन हुआ। यात्रा के आगे-आगे उद्योगपति विक्की भुल्लर, रायसाहब यादव, बाक्सर भाई, मनसे नेता संजय घूगे, लालयादव, रामकृपाल यादव, राकेश यादव के साथ हजारों रामभक्त शोभायात्रा में सामिल हुए।

हिन्दू नववर्ष के प्रथम दिवस से शुरू होने वाले नवरात्र के नवे दिन रामनवमी का महापर्व मनाया जाता है। रामायण व अन्य ग्रंथों के अनुसार चैत्रमास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म उत्तरप्रदेश के अयोध्या के राजा दशरथ के यहाँ हुआ था। नवरात्रि का पर्व माता दुर्गा के नव रुपों के महत्व अनुसार मनाया जाता है। हिन्दू परिवार अपने घरों के साथ ही आसपास का परिसर भी साफ सुथरा करते हैं। कई लोग तो नौ दिनों का उपवास रखकर मां आदिशक्ति की आराधना कर निरोगी व सामर्थ्यवान बनाने की कामना करते हैं। परंतु उल्हासनगर के शासन प्रशासन को जैसे हिन्दू और उनके पर्व से कुछ लेना देना ही नहीं था! शोभायात्रा की राह में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे थे। सड़कों पर कचरा बिखरा पड़ा था। कई जगहों पर सड़क के किनारे मच्छी काटने वाले मच्छी काट रहे थे! उनको हटाया जाना पुलिस प्रशासन ने जरूरी नहीं समझा मांस की दुकानों पर कटे छीले हुए बकरे मुर्गियां टंगी थी जिनसे खून टपक रहा था।उसे ढकना जरूरी नहीं समझा। लग रहा था मानो महाराष्ट्र का शासन प्रशासन हिन्दूओं की सहिष्णुता का इम्तिहान ले रहा हो या फिर किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा हो कुल मिलाकर ऐसा लगा कि पूर्व में हिन्दूवादी रही शिवसेना ने हिन्दुत्व को छोड़ दिया है। शायद इसीलिए हिन्दू पर्व की अनदेखी की गई। शासन प्रशासन की लापरवाही के बावजूद शोभायात्रा शांतिपूर्ण रही और ऐसा लगा जैसे मन से कुंठित हिन्दूओं ने अपने विरोध को अपने मन में ही दबा लिया हो। 

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