मा. मुख्यन्यायाधीश महोदय
उच्चतम न्यायालय दिल्ली,
नई दिल्ली
महोदय,
कमलेश शिवपूजन दुबे, महाराष्ट्र ठाणे जिला उल्हासनगर तालुका रहिवासी का आप से नम्र निवेदन है कि उल्हासनगर ही नहीं अपितु पूरे भारत वर्ष में भ्रष्टाचार व्याप्त है। जिसका एक महत्वपूर्ण कारण है न्यायपालिका में न्याय में हो रही देरी। यह एक मुख्य कारण माना जा रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण उल्हासनगर में मौजूद है।
ठाणे जिले के उल्हासनगर महानगरपालिका में कार्यरत प्रभाग अधिकारी गणेश शिंपी जो मनपा में लिपिक पद पर कार्यान्वित रहते हुए सन 2013 में रुपये 25 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गये। उस मुकदमे का फैसला आज तक यानी सन 2022 तक नहीं हुआ है। इस दरम्यान कुछ भ्रष्ट नेताओं और आयुक्त से सांठगांठ कर रिश्वतखोरी में पकड़े गये लिपिक (क्लर्क) आज सहायक आयुक्त बन बैठे हैं और सारे शहर को चूस रहे हैं। शिंपी पर कई और मामले स्थानीय पुलिस स्टेशनों में दर्ज होने के बाद भी नगरविकास मंत्री और मनपा आयुक्त शिंपी को पद से हटाने को तैयार नहीं। शिंपी को पद से हटाने के लिए मुंबई के आजाद मैदान पर 45 दिनों का उपोषण हो चुका शिकायतें लोकायुक्त, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल कार्यालय तक पहुंचाई गई परंतु वह भ्रष्ट लिपिक आज भी सहायक आयुक्त के पद पर काबिज है।
महोदय भ्रष्टाचार का मतलब है "जिसकी लाठी उसकी भैंस" यह कभी भी लोकतंत्र की परिभाषा नहीं हो सकती। इससे देश में असमानता गुनाह और गरीबी बढ़ रही है। देश में खुशहाली लाने के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जाना जरूरी है। परंतु स्थानीय सरकार इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है क्योंकि भ्रष्टाचार द्वारा कमाये गये रुपयों से गुंडे खरीदे जा सकते हैं जो मतदाता को डरा धमकाकर मतदान करने से रोक सकते हैं। पैसे देकर मतदान अपने पक्ष में करवा सकते हैं। इस तरह निष्पक्ष चुनाव नहीं होने देते जो लोकतंत्र के लिए घातक है। हाल ही में महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल गये हैं। वे जेल न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही पहुंचे परंतु इतनी पहुंच देश के हरेक व्यक्ति की नहीं है। आज के दौर में वकीलों की फीस इतनी बढ़ गई है कि आम लोग न्याय पाने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। जबकि न्याय विभाग द्वारा वकीलों की फीस निर्धारित की गई है। जिसकी जानकारी आम लोगों को न होने का फायदा वकील उठाते हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों की फीस घंटों पर आधारित होती है जो हजारों में नहीं लाखों में होती है।
उल्हासनगर मनपा क्षेत्र में "सांई वर्ल्ड लीजेंड" नामक 36 मंजिला इमारतों के संकुल का निर्माण किया जा रहा है, यह संकुल शहाड स्टेशन पूर्व के प्रभाग क्रमांक-1, में है।यहां बन रही पहली इमारत का प्लान फर्जी कागजातों के आधार पर बनाया गया और पास हुआ है वह भी बीस मंजिलों का परंतु इमारत बनते समय 36 मंजिला हो गयी और 36 मंजिलों के हिसाब से बुकिंग भी शुरू हो गयी है। बन रही इमारत एक प्राकृतिक नाला पाटकर नाले पर बनायी जा रही है। आयुक्त ने बड़े जोर शोर से जांच का ऐलान किया था परंतु इमारत का निर्माणकार्य एक दिन भी बंद नहीं रहा।
इसी तरह फर्जी कागजातों के आधार पर कोणार्क रेसीडेंसी और रिजंसी एंटिलिया जैसे बड़े बड़े इमारत संकुलो का निर्माण किया गया जिन्होंने सरकारी राजस्व तो डुबोया ही खरीददारों पर हमेशा कार्यवाही की तलवार टंगी रहे ऐसा काम कर गये। इन संकुलो की जांच भी मनपा द्वारा जोर शोर से शुरू हुई और मामला शांत हो गया। इस तरह सत्ताधीश जनहित की बजाय अपनी तिजोरी भरने में लगे हैं। न्याय की अपेक्षा सिर्फ न्यायालय से बची हुई थी। परंतु वह भी अब आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही है। इसी कारण हर तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा है। जन सूचना अधिकार अधिनियम भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ही बनाया गया था। परंतु वह भी जनहित में कार्य नहीं कर रहा है। सूचना मांगने पर अधिकारी सही सूचना देते नहीं और अगर दोबारा तिबारा मांगा जाय तो मुकदमा दायर करने की धमकी देते हैं। इस तरह जनहित के लिए बनाये गये नियम कानून से जनसामान्य जनता ही दूर हो जाती है। अब जनहित याचिका कोई सामान्य नागरिक फाईल नहीं कर सकता है क्योंकि न्यायालय द्वारा चंद भ्रष्ट और लोलुप लोगों के कारण सामान्य लोगों से हेतु और आर्थिक स्थिति का स्पष्टीकरण मांगा जाता है। क्या यह उचित है? इस तरह आम आदमी के अधिकारों व हितों की रक्षा करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है। गरीबों और दबे कुचले लोगों के लिए आवाज उठाने का दम भरने वाली सरकारें गरीबों और दबे कुचलों की पहुंच तक न्यायपालिका को लायेंगे यह एक जीवंत प्रश्न आम लोगों के मन में है। जवाब के इंतजार में मुख्य संपादक अग्निपर्व टाइम्स साप्ताहिक समाचार पत्र।मो. 8208854778
उल्हासनगर मनपा क्षेत्र में "सांई वर्ल्ड लीजेंड" नामक 36 मंजिला इमारतों के संकुल का निर्माण किया जा रहा है, यह संकुल शहाड स्टेशन पूर्व के प्रभाग क्रमांक-1, में है।यहां बन रही पहली इमारत का प्लान फर्जी कागजातों के आधार पर बनाया गया और पास हुआ है वह भी बीस मंजिलों का परंतु इमारत बनते समय 36 मंजिला हो गयी और 36 मंजिलों के हिसाब से बुकिंग भी शुरू हो गयी है। बन रही इमारत एक प्राकृतिक नाला पाटकर नाले पर बनायी जा रही है। आयुक्त ने बड़े जोर शोर से जांच का ऐलान किया था परंतु इमारत का निर्माणकार्य एक दिन भी बंद नहीं रहा।
इसी तरह फर्जी कागजातों के आधार पर कोणार्क रेसीडेंसी और रिजंसी एंटिलिया जैसे बड़े बड़े इमारत संकुलो का निर्माण किया गया जिन्होंने सरकारी राजस्व तो डुबोया ही खरीददारों पर हमेशा कार्यवाही की तलवार टंगी रहे ऐसा काम कर गये। इन संकुलो की जांच भी मनपा द्वारा जोर शोर से शुरू हुई और मामला शांत हो गया। इस तरह सत्ताधीश जनहित की बजाय अपनी तिजोरी भरने में लगे हैं। न्याय की अपेक्षा सिर्फ न्यायालय से बची हुई थी। परंतु वह भी अब आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही है। इसी कारण हर तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा है। जन सूचना अधिकार अधिनियम भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ही बनाया गया था। परंतु वह भी जनहित में कार्य नहीं कर रहा है। सूचना मांगने पर अधिकारी सही सूचना देते नहीं और अगर दोबारा तिबारा मांगा जाय तो मुकदमा दायर करने की धमकी देते हैं। इस तरह जनहित के लिए बनाये गये नियम कानून से जनसामान्य जनता ही दूर हो जाती है। अब जनहित याचिका कोई सामान्य नागरिक फाईल नहीं कर सकता है क्योंकि न्यायालय द्वारा चंद भ्रष्ट और लोलुप लोगों के कारण सामान्य लोगों से हेतु और आर्थिक स्थिति का स्पष्टीकरण मांगा जाता है। क्या यह उचित है? इस तरह आम आदमी के अधिकारों व हितों की रक्षा करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है। गरीबों और दबे कुचले लोगों के लिए आवाज उठाने का दम भरने वाली सरकारें गरीबों और दबे कुचलों की पहुंच तक न्यायपालिका को लायेंगे यह एक जीवंत प्रश्न आम लोगों के मन में है। जवाब के इंतजार में मुख्य संपादक अग्निपर्व टाइम्स साप्ताहिक समाचार पत्र।मो. 8208854778
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