लोकप्रतिनिधी व जनता के साथ अभद्र व्यवहार देख विधायक गणपत गायकवाड़ ने कहा कुत्ते हैं क्या.....?
विधायक गणपत गायकवाड
उल्हासनगर :ठाणे जिले के उल्हासनगर महानगरपालिका उपायुक्त प्रियंका राजपूत ने सभी प्रभागों की चीरफाड़ कर पोस्टमार्टम कर डाला है, जिससे वार्ड के लोगों को बहुत ज़्यादा आपत्ति (ऑब्जेक्शन) होने के कारण, ज्यादा आपत्ति दर्ज करायी गयी है। मीडिया में कम आपत्ति व सुझाव दिखाकर मिडिया व जनता दोनों को गुमराह किया गया।
प्रियंका राजपुत हटाओ, शहर बचाओ, का नारा देते हुये कल्याण पूर्व के विधायक गणपत गायकवाड़ नगरसेवकों और अपने समर्थकों के साथ कैम्प क्रमांक 3 स्थित टाउन हॉल के द्वारा पर धरना देने बैठ गये। उल्हासनगर मनपा चुनाव 2022 के मद्देनजर वार्ड और प्रभागों की संरचना (बाउंड्री) में हुई गड़बड़ियों को लेकर जिन लोगों ने सुझाव व आपत्ति दर्ज कराया था। उनको सुनवाई के लिये आज 23 फरवरी सुबह 10.30 से लेकर दोपहर 1.30 बजे तक सुनवाई के लिए बुलाया गया था। वहां पहुंचे ज्यादा लोगों को देख कर कुछ लोगों को सुनवाई के लिये अंदर बुलाया गया, कुछ लोगों को नहीं बुलाया गया और गेट बंद कर दिया गया। विधायक गणपत गायकवाड़ के वहां पहुंचकर द्वार खोलने का आग्रह करने पर उनको भी उमनपा अधिकारी प्रियंका राजपुत ने नज़रंदाज़ कर दिया। 10 मिनट तक विधायक द्वारा पर खड़े आवाज़ देते रहे और बुलाते रहे तब कहीं जाकर प्रियंका राजपुत ने गेट खोलकर सबको अंदर बुलाया, विधायक महोदय का कहना है कि अगर मैं नहीं होता तो आम जनता और आपत्तिकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं होती! विधायक ने आगे ये भी कहा कि एक बार प्रियंका राजपूत ने ऐसा भी कहा था कि "हाथी चले बाज़ार, कुत्ते भौंके हज़ार...! तो क्या उल्हासनगर के लोक प्रतिनिधि और जनता कुत्ते है क्या...? और प्रियंका राजपूत हाथी??
इस प्रकार उल्हासनगर मनपा में कार्यरत लोकसेवकों का मनोबल बढ़ा हुआ है क्योंकि सत्ता में बैठी महाविकास अघाड़ी सरकार के शहर विकास व पालकमंत्री एकनाथ शिंदे के चहेते लोगों को ही उमनपा में नियुक्त किया गया है। न जाने क्यों ऐसे भ्रष्टाचारी लोगों से उनको मोहब्बत है। क्या सरकार ऐसे लोगों पर कार्रवाई करेगी? या यह लोग जनता का इसी प्रकार अपमान करते रहेंगे?
प्रियंका राजपुत हटाओ, शहर बचाओ, का नारा देते हुये कल्याण पूर्व के विधायक गणपत गायकवाड़ नगरसेवकों और अपने समर्थकों के साथ कैम्प क्रमांक 3 स्थित टाउन हॉल के द्वारा पर धरना देने बैठ गये। उल्हासनगर मनपा चुनाव 2022 के मद्देनजर वार्ड और प्रभागों की संरचना (बाउंड्री) में हुई गड़बड़ियों को लेकर जिन लोगों ने सुझाव व आपत्ति दर्ज कराया था। उनको सुनवाई के लिये आज 23 फरवरी सुबह 10.30 से लेकर दोपहर 1.30 बजे तक सुनवाई के लिए बुलाया गया था। वहां पहुंचे ज्यादा लोगों को देख कर कुछ लोगों को सुनवाई के लिये अंदर बुलाया गया, कुछ लोगों को नहीं बुलाया गया और गेट बंद कर दिया गया। विधायक गणपत गायकवाड़ के वहां पहुंचकर द्वार खोलने का आग्रह करने पर उनको भी उमनपा अधिकारी प्रियंका राजपुत ने नज़रंदाज़ कर दिया। 10 मिनट तक विधायक द्वारा पर खड़े आवाज़ देते रहे और बुलाते रहे तब कहीं जाकर प्रियंका राजपुत ने गेट खोलकर सबको अंदर बुलाया, विधायक महोदय का कहना है कि अगर मैं नहीं होता तो आम जनता और आपत्तिकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं होती! विधायक ने आगे ये भी कहा कि एक बार प्रियंका राजपूत ने ऐसा भी कहा था कि "हाथी चले बाज़ार, कुत्ते भौंके हज़ार...! तो क्या उल्हासनगर के लोक प्रतिनिधि और जनता कुत्ते है क्या...? और प्रियंका राजपूत हाथी??
इस प्रकार उल्हासनगर मनपा में कार्यरत लोकसेवकों का मनोबल बढ़ा हुआ है क्योंकि सत्ता में बैठी महाविकास अघाड़ी सरकार के शहर विकास व पालकमंत्री एकनाथ शिंदे के चहेते लोगों को ही उमनपा में नियुक्त किया गया है। न जाने क्यों ऐसे भ्रष्टाचारी लोगों से उनको मोहब्बत है। क्या सरकार ऐसे लोगों पर कार्रवाई करेगी? या यह लोग जनता का इसी प्रकार अपमान करते रहेंगे?
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