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उमनपा मकान कर विभाग के निरीक्षक लगा रहे है, मनपा को हर वर्ष करोड़ों का चूना! आयुक्त चुप नगरसेवक भी चुप!

उमनपा टैक्स विभाग के निरीक्षक मनपा के लिए टैक्स न वसूलकर अपने लिए वसूल रहे हैं !! 
    आयुक्त डा. राजा दयानिधी 

उल्हासनगर : महाराष्ट्र ठाणे जिले के उल्हासनगर महानगर पालिका टैक्स विभाग बना भ्रष्टाचार का अड्डा कर निरिक्षक व अधिकारी विभाग को करोड़ों का लगा रहे हैं चूना! और खरीद रहे हैं अपने लिये फ्लैट, दुकान और मकान। दिनभर कार में घूमकर बकयादारों से 10-20 हजार रुपये वसूल कर लेते हैं। इसलिए मनपा का बकाया वर्ष दर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। बकायेदारों की सूची मांगने पर देने से किया जाता है मना! अधिकारी क्यों छिपा रहे हैं बकायेदारों के नाम?
उल्हासनगर महानगरपालिका का कोई भी विभाग भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रहा है। हर विभाग में भ्रष्टाचार सर चढकर बोल रहा है, हर कोई ज्यादा से ज्यादा रुपया कमाकर ज्यादा से ज्यादा फ्लैट जमीन दुकान मकान खरीदकर आने वाली अपनी सात पीढ़ियों के लिए जमा करना चाह रहा है। उमपा कर निरीक्षकों ने कई इमारतों पर लगे मोबाइल टावरों पर मनपा का कर न लगाकर निरीक्षक कर लगा रखा है। कई टियर गाटर के मकानों को मनपा खाते में न दिखाकर अपने खाते में मनपा टैक्स का रुपया जमा कर रहे हैं।
इसी तरह का एक मामला उल्हासनगर कैम्प क्रमांक दो के जापानी बाजार से उजागर हुआ है। सुत्रों से मिली जानकारी अनुसार कैम्प दो दुकान क्र. 943, 944, पर दुमंजिला टियर गाटर निर्मित दुकान, जिसके मालिक प्रकाश सच्चर हैं। उनसे प्रभारी कर निरीक्षक सुखदेव बम्बानी हर वर्ष रु. 20/ हजार लेकर अपनी जेब गरम करते हैं। बम्बानी यह 20 हजार रुपये दो मंजिला टियरगाटर इमारत का टैक्स बचाने के लिए हफ्ता लेते हैं। जबकि सुखदेव बम्बानी का कर्तव्य है दुकान का बाकायदा नाप-जोख कर तलमंजिल +1+2 का टैक्स लगाकर मनपा खाते में जमा करायें। लेकिन ऐसा न करते हुए बम्बानी सच्चर को धमका कर कहता है, मुझे बीस हजार नहीं दिये तो मैं पिछले दस वर्षों का टैक्स लगाकर दंड के साथ वसूल करुंगा। इसी डर के चलते सचर बम्बानी को हर वर्ष बीस हजार रुपए देकर अपनी जान बचा रहा है।
साथ ही अपने कार्यक्षेत्र स्थित समाजसेवक जीतू माखिजा कार्यालय के सामने बनी टियरगाटर दुकान से भी वर्ष के हजारों रूपए वसूलता है। इस तरह न जाने कितने लोगों से इन करनिरीक्षकों ने हफ्ता बांध रखा है। सुखदेव बम्बानी, गणेश शिंदे की तरह न जाने कितने कर्मचारी, इसी तरह डरा धमकाकर पांच दस वर्षों का टैक्स लगाने का डर दिखाकर हर वर्ष डकार जाते हैं लाखों रुपये। भ्रष्टाचार के इस खेल के बारे में कई नेता व नगरसेवक भी जानते हैं। परंतु कुछ लेकर शांत हो जाते हैं, सदन में आवाज नहीं उठाते और यह तो जगविदित है की आयुक्त राजा दयानिधी के अंदर गांधीजी के तीनों बंदरों की मुद्रा समाहित है यह न बोल सकते हैं। न सुन सकते हैं और न ही कुछ कह सकते हैं। सिर्फ जेबें खुली हैं, उनका हक उनकी झोली में डाल कर उल्हासनगर शहर का जितना भी बेड़ा गर्क करना है करते रहो। 

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