मा. मुख्य न्यायाधीश के लिए खुला पत्र
मुंबई उच्च न्यायालय
मुंबई 400032
महोदय को मेरा नमस्कार प्राप्त हो, नमस्कार उपरांत मेरा एक अनुनय विनय है कि भ्रष्टाचार के मामलों में देरी न हो ताकि आम जनता को न्याय मिल सके व न्यायपालिका का सम्मान बरकरार रहे। मैं ठाणे जिले के उल्हासनगर का रहवासी हूँ मेरा नाम कमलेश दुबे है, मैं एक साप्ताहिक समाचार पत्र का मुख्य संपादक हूँ। जहाँ मेरा निवास स्थान है उस उल्हासनगर महानगरपालिका में गणेश शिंपी नामक एक व्यक्ति को लिपिक (स्टेनो) के पद पर नियुक्त किया गया था। वह मनपा आयुक्त का स्टेनो बना, कहे अनुसार उसने तत्कालीन आयुक्त के लिए सन 2013 में रुपये 25 हजार की रिश्वत ली और रिश्वत लेते समय भ्रष्टाचार पथक द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया जेल गया, सस्पेंड हुआ। सस्पेंशन के बाद पद बहाली हुई और देखते ही देखते वह पूरे उल्हासनगर का प्रभारी सहायक आयुक्त बना दिया गया। इस तरह शहर में अवैध निर्माणों की बहार आ गयी और हजारों अवैध निर्माण हुए और आज के समय में वह उल्हासनगर महानगरपालिका प्रभाग समिती क्रमांक-१ का सहायक आयुक्त बना बैठा है। जिसकी शिकायत कुछ जागरूक नागरिकों ने महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार के साथ ही लोकायुक्त तक की परंतु हर शिकायत के बाद गणेश शिंपी का भ्रष्टाचार और बढ़ता ही चला गया और आज भी यथावत जारी है। इसलिए मेरी मा. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से विनती है की भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही महाविकास अघाड़ी सरकार को ताकीद करें की वह निष्पक्ष जांच कर न्याय व्यवस्था को कायम रखे जिससे राज्य में "जिसकी लाठी उसकी भैंस" वाली व्यवस्था का निर्माण न हो। महोदय लोकतंत्र में जनता का शासन होता है ऐसा कहा जाता है पर मेरी समझ से यह सिर्फ कहा ही जाता है। आमतौर पर ऐसा होता नहीं पदों पर बैठे नेता व अधिकारी लिखे गये पत्र का जवाब तक नहीं देते, न्याय व्यवस्था भी आम लोगों से बहुत दूर हो गयी है वकीलों की फीस भर पाना यह हर किसी के बस की बात नहीं। और चल रहे शासन में न्यायपालिका द्वारा दिए गए आदेश का भी पालन नहीं हो पा रहा है। महोदय अब आखिरी उम्मीद न्याय व्यवस्था से बची थी अब वह भी धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है इसलिए महोदय से निवेदन है कि ऐसे विषयों को संज्ञान में लेकर सरकार को जांच का निर्देश देकर आम जनता के साथ न्याय करें और न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कायम रखने की कोशिश करें। गणेश शिंपी के खिलाफ कई निम्नलिखित मामले पुलिस स्टेशनों में दर्ज होने के बाद भी वह मनपा में सहायक आयुक्त बना हुआ है। यह घूसखोर सरकार के लिए भले ही अपमान का विषय न हो परंतु हर न्यायप्रिय नागरिक के लिए यह अपमान व शर्म की बात है।
गणेश शिंपी के खिलाफ दर्ज मामले।
पुलिस स्टेशनों में निम्न धाराओं के तहत दर्ज है जैसे गुनाह रजि.नं.१, १४८/२०११ भा.द.सं की धारा ३०६/३४ और गु.रजि.नं.१, १७७/२०११ भा.द.सं. की धारा ३५४, ५०९, ५०४,५०६/३४ इसके साथ अ.आ.ज. अधिनियम १९८९ की धारा ३ (१) (१०) (११) (१२) २(७) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर गाली देने का मामला।
मुख्य संपादक अग्निपर्व टाइम्स
कमलेश शि. दुबे मो. 8208854778
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