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हरे-भरे पेड़ों की कटाई रोकने के लिए कानून तो है पर पालन कराने वाला कोई नहीं!!

आयुक्त, महापौर, अवैध ठेकेदार रुपयों की लालच में लोगों की जान से खेलने से बाज नहीं आ रहे!

पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए बहुउपयोगी पीपल और बरगद के पेड़ों की कटाई जारी!! 

उल्हासनगर : महाराष्ट्र के ठाणे जिले की उल्हासनगर मनपा क्षेत्र में अनेकों प्रकार के पेड़ों की कटाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। उन पेड़ों में बहुधा पीपल और बरगद के पेड़ ही काटे जा रहें है, जो पर्यावरण के लिए बहुत ही उपयोगी होते हैं। शहर के दूषित वातावरण के कारण श्वास लेना मुश्किल हो गया है। पर्यावरण की हालत खस्ता है, बे-मौसम बरसात असहनीय गर्मी और सर्दी से लोगों का जीवन मुहाल हुआ है। फिर भी विकास, समाज सेवा, समृद्धि का दम भरने वाले सत्ता धारी सोचने समझने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। अवैध निर्माण रोक पाने में असमर्थ हैं।
             वालधुनी नदी में बनती दिवार 

प्रभाग समिति क्र. ३ अन्तर्गत आने वाले कैम्प क्र. ३ पैनल क्र. ११, थाहरीया सिंह दरबार के पास, बैरेक नंबर ८४४, शिल्पा आर्पटमेंट के बगल उल्हासनगर-३, यहां बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण करने के लिए चार-पांच बड़े बड़े, हरे-भरे पीपल, बरगद के अलावा और कयी अन्य छोटे छोटे पेड़ों का कत्ल कर दिया गया। पुलिस व उमनपा प्रशासन को सुचना मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। मनपा प्रशासन इस विषय को गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं है। अवैध निर्माणकर्ता ने पेड़ काटकर लकड़ियां टेम्पो में भरकर बेचने के लिये भी भेज दी और शासन प्रशासन अपनी आंखो पर पट्टी बांध महाभारत की पात्र गांधारी बना बैठा रहा। जांच पड़ताल में पता है चला की कार्रवाई का मन बनाने वाले लोगों को उल्हासनगर के विठ्ठलवाड रहवासी एक प्रमुख शिवसेना नेता का फोन आता है और मुह बंद रखने की चेतावनी दिया जा रहा है।
शहर की आबादी इतनी घनी हो गयी है की जोर से अंगड़ाई लेने पर एक का हाथ दूसरे के मुख में चला जाता है। फिर भी अवैध निर्माण है कि रुकने का नाम नहीं ले रहा है। उल्हासनगर और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने मनपा आयुक्त निठल्ला और लालची, भ्रष्टतम शहर रचनाकर चुनकर लाया है जिससे शहर का भरपूर दोहन किया जा सके। शहर में स्थित प्रांत कार्यालय (SDO) एक आदमी को सात सात फर्जी सनद दे रहा है। ठाणे के जिलाधिकारी कार्यालय में उल्हासनगर शिवसेना का एक पदाधिकारी सिर्फ खाली पड़ी जमीन के टोह और हेरफेर करने में लगा रहता है। जिलाधिकारी भी इस तरह के अवैध कारोबार को रोकने के लिए तैयार नहीं। अब उल्हासनगर को बचाने के लिए भगवान को ही अवतार लेना होगा, लेकिन सोचना यह भी है क्या हमारे कर्म इस प्रकार के हैं। 

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