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पत्रकार पर प्राणघातक हमला, पुलिस क्यों नहीं कर रही है, कलम 307, 120 के तहत मामला दर्ज.

अनधिकृत निर्माण के प्रति आवाज बुलंद करना पत्रकार को पड़ा भारी मरणासन्न अवस्था में पहुंचा पत्रकार!

मरणासन्न अवस्था के बाद भी नहीं दाखिल हो रहा 307, मुख्य आरोपी अब तक फरार, क्यों बचा रही है पुलिस?

डोंबिवली : डोंबिवली के निलजे गांव रहवासी सोसल मिडिया पत्रकार रमेश देवरुखकर अनाधिकृत बांधकाम के प्रति अपनी आवाज बुलंद रखते हुए स्थानीय लोगों को जागरूक रखने का प्रयत्न भी किया करते थे। यह बात अवैध निर्माण करने वाले उन बिल्डरों को नागवार गुजरी जिनके खिलाफ उसने खबर चलाई थी। जिसका द्वेष मन में रखते हुए पत्रकार रमेश पर 10 दिन पूर्व प्राणघातक हमला कर जान से मारने का प्रयास किया, पत्रकार अब भी जिंदगी व मौत के बीच अस्पताल में संघर्ष कर रहा है। पत्रकार के
परिजन इस घटना में खुले तौर पर जिस बिल्डर का नाम ले रहे हैं। उस बिल्डर को मानपाड़ा पुलिस द्वारा संसयित आरोपी बनाया गया है जब कि हमले में गिरफ्तार हुए सभी
लोग उसी बिल्डर के यहां काम करते हैं। आरोपियों की अब तक गिरफ्तारी न होने से परिजन असन्तुष्ट हैं। देवरुखकर पिछले कई माह से लगातार गजानन पाटिल के अवैध
निमाणों के खिलाफ खबर लिख रहे थे। साथ ही कडोमपा, जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत भी की थी, जिसके
कारण कार्यवाही की तलवार गजानन पाटिल तथा उसके पार्टनर डीके सिंह के अवैध निर्माण पर लटक रही थी। परिजनों का कहना है कि गजानन पाटिल द्वारा कुछ दिन पहले ही रमेश को धमकी दी गई थी जिसकी शिकायत मानपाड़ा पुलिस में दर्ज करायी गई थी। 5 जनवरी की रात 8.40 पर 5-6 लोगों ने धारदार हथियार से रमेश के ऊपर
प्राणघातक हमला कर दिया जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया जहाँ डॉक्टरों ने उनके सिर के पिछले हिस्से में गंभीर चोट तथा स्वर यंत्र में गड़बड़ी आ जाने की बात कही है। रमेश अब तक पूरी तरह से चैतन्य नही हो सके हैं। रमेश देवरुखकर की पत्नी ममता ने बताया कि गजानन पाटिल मनसे पार्टी से संबंध रखते हैं। जिसके कारण उनकी गिरफ्तारी को नजरअंदाज किया जा रहा है। पुलिस के कार्यप्रणाली की हर तरफ आलोचना हो रही है। मानपाड़ा पुलिस जिसे संसयित आरोपी बता रही है।
गिरफ्तार हमलावरों में संशयित आरोपी का ड्राइवर के साथ उनके कार्यालय में काम करने वाले लोगों का भी समावेश है।रमेश की जिस रिस्तेदार माधुरी गाड़े ने पुलिस में मामला दर्ज कराया है। उन्होंने बताया कि रमेश के अवैध निर्माण के खिलाफ आवाज उठाने पर जब कई महिनों तक कार्यवाही नहीं हुई तब रमेश ने उपोषण पर बैठने का मन बनाया था। जिससे गजानन पाटिल व डीके सिंह बुरी तरह बौखला गए थे। जिसके कारण यह जानलेवा हमला किया गया। एक तरफ मनपा आयुक्त यह दंभ भरते हैं कि अवैध निमार्णों को बख्शा नहीं जायेगा वहीं शिकायत के बाद भी सोसल मिडिया पत्रकार को उपोषण करने की नौबत आ जाती है और उस पर जानलेवा हमला हो जाता है।

मानपाड़ा पुलिस में अग्रिम शिकायत दर्ज होने के बाद भी रमेश की सुरक्षा नहीं कर पायी पुलिस और अब राजनैतिक दबाव के चलते गुनाहगारों को संरक्षण दिया जा रहा है, यही कारण है कि भवन निर्माताओं पर 307 व एट्रोसिटी के तहत मामला दर्ज नहीं हो पा रहा है। शिकायत पर संज्ञान न लेना मनपा की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान है, तो वहीं अब मानपाड़ा पुलिस के जांच अधिकारी द्वारा 307 व अट्रासिटी के अलावा जिन्होंने यह हमला किया, करवाया है उन पर संज्ञेय अपराध की धारा 120 B के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार न करना पुलिस प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर रहा है। एपीआई बी सी वंजारे ने बताया कि इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिन्हें संसयित बताया जा रहा है वह अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं, जबकि घटना को 10 दिन से ज्यादा बीत गये हैं। 

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