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अवैध निर्माण से शहर की हालत खस्ता फिर भी आंख मुंदे है सत्ता!!

नगरसेवक और गणेश शिंपी को रुपये दो और अवैध टियरगटर की बालकनी निकालकर बंद कर दो किसीकी भी हवा और रोशनी!

उल्हासनगर: उल्हासनगर महानगर पालिका प्रभाग एक के प्रभाग अधिकारी गणेश शिंपी की पैसों की भूख इतनी बढ़ गई है कि वे पैसे लेकर लोगों के घरों के घरों की हवा और रोशनी बंद कराने पर आमादा हो गये हैं। 

     नरेंद्र सिंह के सामने बन रहा अवैध निर्माण 

उल्हासनगर मनपा हद में अवैध निर्माण करना अब आम बात हो गई है। कितनी ही शिकायतें हों, समाचार छपे पर सत्ता, प्रशासन और आयुक्त पूरी तरह से बेशर्मी पर उतारु हैं, इसलिए उनपर कोई असर पड़ने वाला नहीं है। इसलिए पूरे शहर में अवैध बांधकाम फल फूल रहा है। उमनपा आम सभा में इस मुद्दे को कोई नगरसेवक-सेविका नहीं उठाते है, इससे साफ जाहिर होता है कि सभी पार्टियों और नेताओं का इन अवैध निर्माणों से वास्ता है। यही नहीं संबंधित मंत्री और मंत्रालय तक अवैध निर्माण से होनेवाली आय का पैसा पहुंच रहा है। यही कारण है कि दर्जनों बार अवैध निर्माण की पोल खोलने के बावजूद अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं हुई। महापौर और आयुक्त ने मानो ठान लिया हो की पूरे उल्हासनगर को अवैध निर्माण से पाटकर ही दम लेंगे!
        सहायक आयुक्त गणेश शिंपी 

उल्हासनगर प्रभाग समिति-1 के कल्याण मुरबाड रोड पर कटकेश्वर महादेव मंदिर के सामने गुलशन नगर में नरेंद्र सिंह कलसी रहते हैं। उनके घर के सामने एक डबल टियर गटर का अवैध निर्माण कार्य शुरू है, इस मकान का निर्माणकर्ता बाहर बालकनी बना रहा है जिससे नरेंद्र के घर में आने वाली रोशनी और हवा बंद हो रही है। निर्माणकर्ता से बालकनी की चौड़ाई कम करने के लिए कहने पर उसने कहा 'मैने नगर सेवक और प्रभाग अधिकारी को पैसे दिए हैं हमारा काम नहीं रुकने वाला और हम बालकनी कम नहीं करने वाले' और यह बात सच भी साबित हो गयी क्योंकि निर्माण स्थल पर शिकायत के बाद दो मुकादम आये और नरेंद्र सिंह को दम दाटी देकर बोले मकान बनने दे क्यों लिखित शिकायत करता है, और बिना काम बंद कराये चले गये।
  आयुक्त राजा दयानिधि व महापौर लिलाबाई आसान 

बतादें गणेश शिंपी लिपिक पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार विरोधी पथक द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था, उस पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८ के कलम ६, (१३)(१)(ड) (२) के तहत मुकदमा रजि.नं. २, १५/२०१३, सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। इसके बावजूद शिंपी उल्हासनगर 1 से 5 नंबर तक अवैध बांधकाम से वसुली करता है। यही नहीं शिंपी पर महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ और उसके भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला भी उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में गु.रजि.नं.१, १४८/२०११ भादसं की धारा ३०६/३४ के तहत दर्ज है। इसके अलावा गु.रजि.नं.१, १७७/२०११ में भादसं की धारा ३५४, ५०९ ५०४,५०६/३४ और इसी तरह अ.जा.ज.अधि. १९८९ की धारा ३ (१)(१०)(११)(१२) २(७) के तहत कई संगीन गुनाह दर्ज हैं। फिर भी शिंपी पर कार्रवाई करने के बजाय सहायक आयुक्त जैसा पद दिया गया है। उल्हासनगर के लोगों के लिए यह शर्मनाक बात है। अब देखना यह है कि महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास मंत्री, उमपा आयुक्त, महापौर और नगरसेवकों को कब शर्म आती है।

      





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