कमलेश दुबे
उल्हासनगर; उल्हासनगर मनपा के चुनाव नजदीक हैं। सारी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं। वंही भाजपा जैसी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी चुनौतियों से जूझ रही है। यहां पार्टी के नहीं बल्कि अपने वर्चस्व की लड़ाई शुरू है। इस लड़ाई के एक बदनाम चेहरे की हम चर्चा करेंगे अपने इस लेख में जिनका नाम है प्रदीप रामचंदानी।
रविन्द्र चव्हाण
उल्हासनगर; उल्हासनगर मनपा के चुनाव नजदीक हैं। सारी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं। वंही भाजपा जैसी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी चुनौतियों से जूझ रही है। यहां पार्टी के नहीं बल्कि अपने वर्चस्व की लड़ाई शुरू है। इस लड़ाई के एक बदनाम चेहरे की हम चर्चा करेंगे अपने इस लेख में जिनका नाम है प्रदीप रामचंदानी।
रविन्द्र चव्हाण
इतिहास
प्रदीप रामचंदानी के पिता उल्हासनगर मनपा में एक ठेकेदार के हैसियत से कार्यरत थे, उन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर प्रदीप रामचंदानी भी ठेकेदार बन गये। उनको लगा अपनी एक राजनीतिक पकड़ अगर हो तो मनपा से भुगतान जल्द कराया जा सकता है और अच्छे अच्छे ठेके भी मिल सकते हैं, अच्छे से मतलब है कमाने वाले ठेके और मिले भी, जहाँ तक मुझको याद है कयी ठेके प्रदीप अधूरा छोड़कर भाग गए इसमें चाहे जो कारण रहा हो। ऐसे आदमी से समाज सेवा की उम्मीद कोई सरफिरा ही रख सकता है। उन ठेकों में से एक ठेका शांतीनगर वालधूनी नदी पर बना हुए पुल का मुझे याद है। जो अब पूर्ण हो गया है और उस पुल पर से आवागमन सुचारू रूप से शुरू है। पुल को तो अधुरा छोड़ दिया परंतु पास ही खाली पड़ी जमीन पर निर्माण कार्य में लगने वाले संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिए एक अस्थायी गोदाम बनाया और बाद में टैक्स पावती बनवाकर बेच दिया। फाईल चोरी के आरोप में जेल जाते हुए
राजनित में
प्रदीप रामचंदानी मंचों पर भाषण तो बहुत अच्छा दे लेते हैं।परंतु जनता की पसंद नहीं फिर भी उल्हासनगर जिले में अध्यक्ष पद छोड़कर, बाकी सभी पदों को सुशोभित कर चुके हैं। आम जनता व कार्यकर्ताओं में पकड़ बिल्कुल नहीं है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इनको उल्हासनगर भाजपा ने नगरसेवकी चुनाव लड़ने के लिए मेरी जानकारी अनुसार चार बार टिकट दिया गया जिसमें से एक बार मैदान छोड़ कर भाग गये थे, और बाकी के तीन बार के चुनावों में मतों का आकड़ा सौ के पार भी नहीं पहुंच सका अक्सर अपनी जमानत गंवाते रहे स्वघोषित नेताजी।
गोल घेरे में प्रदीप रामचंदानी
जनता करे नापसंद, नेता का चाहे!
कहा जाता है कि प्रदीप रामचंदानी को पूर्व मंत्री और आज डोम्बिवली भाजपा विधायक पद पर पदासीन रविन्द्र चव्हाण का आशिर्वाद प्राप्त है। जिसकी महाराष्ट्र प्रदेश की राजनीति पर अच्छी पकड़ है और क्यों न हो? राजनीति का अपराधिकरण जो हो गया है। कहा जाता है नेताजी उल्हासनगर के भाजपाई नेताओं पर धौंस जमाने के लिए अक्सर गाली बकना शुरू कर देते हैं परन्तु सभी चुपचाप सुन लेते हैं निक्कमें मजदूरों की तरह। प्रदीप रामचंदानी ने 2016 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा और हार गये हारने के बाद झोलझाल कर उन्हें स्विकृत नगरसेवक बनाया गया। इस परिप्रेक्ष्य में भी रविन्द्र चव्हाण का नाम उछला था। जिसका मुकदमा कल्याण सत्र न्यायालय में डा. कन्हैयालाल नाथानी आज भी लड़ रहे हैं और वह मुकदमा फैसले के नजदीक है। यही नहीं प्रदीप रामचंदानी उमनपा सार्वजनिक बांधकाम विभाग से फाईल चोरी करते हुए सीसीटीवी कैमरे में देखे गये, जिसका प्रसारण सोसल मिडिया पर कई दिनों तक चला और मामला दर्ज होने पर प्रदीप रामचंदानी को 39 दिनों तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा फिर भी रामचंदानी को मंचो पर जगह दी जा रही है। जिसके कारण पूरे देश में भाजपा पर उंगलियां उठ रही है और मिडिया में खबर बन रही है। पर इन सब बातों से पूर्व मंत्री महोदय को क्या लेना देना इसपर मराठी भाषा में कही गयी एक कहावत चरितार्थ होती है। आप लोग यह कहावत किसी के परिप्रेक्ष्य में मत ले लेना। कहावत यह है "मला नाहीं आबरू मी कोणाला घाबरु" इतिश्री।
गोल घेरे में प्रदीप रामचंदानी
जनता करे नापसंद, नेता का चाहे!
कहा जाता है कि प्रदीप रामचंदानी को पूर्व मंत्री और आज डोम्बिवली भाजपा विधायक पद पर पदासीन रविन्द्र चव्हाण का आशिर्वाद प्राप्त है। जिसकी महाराष्ट्र प्रदेश की राजनीति पर अच्छी पकड़ है और क्यों न हो? राजनीति का अपराधिकरण जो हो गया है। कहा जाता है नेताजी उल्हासनगर के भाजपाई नेताओं पर धौंस जमाने के लिए अक्सर गाली बकना शुरू कर देते हैं परन्तु सभी चुपचाप सुन लेते हैं निक्कमें मजदूरों की तरह। प्रदीप रामचंदानी ने 2016 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा और हार गये हारने के बाद झोलझाल कर उन्हें स्विकृत नगरसेवक बनाया गया। इस परिप्रेक्ष्य में भी रविन्द्र चव्हाण का नाम उछला था। जिसका मुकदमा कल्याण सत्र न्यायालय में डा. कन्हैयालाल नाथानी आज भी लड़ रहे हैं और वह मुकदमा फैसले के नजदीक है। यही नहीं प्रदीप रामचंदानी उमनपा सार्वजनिक बांधकाम विभाग से फाईल चोरी करते हुए सीसीटीवी कैमरे में देखे गये, जिसका प्रसारण सोसल मिडिया पर कई दिनों तक चला और मामला दर्ज होने पर प्रदीप रामचंदानी को 39 दिनों तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा फिर भी रामचंदानी को मंचो पर जगह दी जा रही है। जिसके कारण पूरे देश में भाजपा पर उंगलियां उठ रही है और मिडिया में खबर बन रही है। पर इन सब बातों से पूर्व मंत्री महोदय को क्या लेना देना इसपर मराठी भाषा में कही गयी एक कहावत चरितार्थ होती है। आप लोग यह कहावत किसी के परिप्रेक्ष्य में मत ले लेना। कहावत यह है "मला नाहीं आबरू मी कोणाला घाबरु" इतिश्री।
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