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जिसने सुयोग एसोसिएट के नाम से कारोबार शुरू किया, उनके ही हस्ताक्षर उमनपा के TPD में हो गये अमान्य!!

ऐसा सिर्फ उल्हासनगर में होता है! "सुयोग एसोसिएट" के मालिकों का परवाना रद्द होने के बावजूद कंपनी के मुहर पर होते हैं उमनपा में प्लान पास!!

कमलेश दुबे
उल्हासनगर: उल्हासनगर महानगर पालिका शहर नियोजन विभाग का है, अनुठा कारोबार उल्हासनगर दो स्थित "सुयोग एसोसिएट" नामक कंपनी के दोनों भागीदारों कमलेश सुतार और अतुल देशमुख दोनों के वास्तुशिल्पीय परवाने रद्द होने के बावजूद कार्यालय खुला है, धड़ल्ले से सुयोग के नाम से जोखिम आधारित फर्जी प्लान पास हो रहे हैं। तलमंजिल + पोटमाला + एक मंजिला मतलब डेढ़ मंजिला के नक्शे पास होते हैं, और इमारत बनती है 4 से 6 मंजिला।

उल्हासनगर मनपा में झूंठ और फरेब के आधार पर चलता है। सारा कारोबार यह कहना अतिशयोक्ति न होगी क्योंकि उल्हासनगर - 2 गुजराती स्कूल के पास स्थित सुयोग एसोसिएट नामक इमारत निर्माण के लिए प्लान बनाने वाले और वह प्लान उमनपा से पास करवाकर बन रही इमारत को अपने संरक्षण में बनवाकर उसका संपूर्णता प्रमाणपत्र लेकर देने की जिसकी जिम्मेदारी हो ऐसी सुयोग एसोसिएट अनेकों अवैध निर्माण करवाकर शहर को अनियमितता की ओर ले जा रही है। आश्चर्य की बात यह है कि सुयोग के दौनों एसोसिएट कमलेश सुतार और अतुल देशमुख ने "सुयोग एसोसिएट" की स्थापना की थी। परंतु किसी कारण वस वास्तुशिल्प नक्शे को पास करने पर प्रतिबंध लग गया। अब उमनपा में सुयोग की मुहर पर किसी और के हस्ताक्षर का बहाना बनाकर, उसी कार्यालय से आये हुए सुयोग के मुहर वाले नक्शों (प्लान) को धड़ल्ले से पास किया जा रहा है। इसी तरह का एक प्लान उल्हासनगर प्रभाग समिति 4 से जनसुचना अधिकार अधिनियम के मार्फ़त हमें मिला जहाँ निर्माणाधीन इमारत के निर्माणकर्ता उपमहापौर भगवान भालेराव के प्यादे जय लाठी हैं। उनका मानना है कि प्लान हमने 1.5+1 का ही क्यों न पास कराया हो निर्माण तो हम पांचमंजिला ही करेंगे "सैंया भये कोतवाल अब डर काहेका" 

जोखिम आधारित नक्शे को आधार बनाकर अनेकों सरकारी जमीनें हड़पी गयी। अगर जांच किया जाय तो एक भी जोखिम आधारित प्लान पर बनी इमारत पास नक्शे के मुताबिक नहीं मिलेगी। शहर नियोजन विभाग तो है परंतु शहर नियोजित नहीं है। हर गली मुहल्ले में दर्जनों बिना प्लान के टियर गटर के अवैध निर्माण मिल जायेंगे। जब उमनपा में तलमंजिल+2 याने की FSI (1) थी तब इमारतों के निर्माण तलमंजिल +7,8 के हुआ करते थे। अब FSl दो या किसी प्रस्थिति में अढ़ाई देने की अनुमति मिलने पर 25 से 40 मंजिला इमारतों का निर्माण शुरू हो गया है। जबकि उल्हासनगर महानगर पालिका अग्निशमन दल के पास किसी दुर्घटना से निपटने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं है, फिर भी अनापत्ति प्रमाणपत्र बेधड़क दिया जा रहा है!
  आयुक्त राजा दयानिधि     महापौर लिलाबाई आसान 

डेपुटेशन पर कार्यरत अभियंता खामितकर से पूछने पर उन्होंने बताया कि सुयोग एक एसोसिएट फर्म है कोई भी हस्ताक्षर कर सकता है। सुयोग एसोसिएट की मुहर पर किसका हस्ताक्षर है यह पता कैसे चलेगा? किसी गड़बड़ी पर सुयोग कह देगा हम प्रतिबंधित थे, किसीने फर्जी मुहर बनाकर फर्जी हस्ताक्षर से नक्शा पास कराया होगा, तब उमनपा क्या करेगी किसको ढूंढेगी ? इसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इस तरह का अनोखा कारोबार आयुक्त डा. राजा दयानिधि के कार्यकाल में उमनपा में चल रहा है। 

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2 टिप्पणियाँ

  1. सुयोग को अगर कोई भी गलत काम करना होता तो क्या अपनी मुहर का ईस्तमाल करते थे . हमारे फर्म का नाम सुयोग असोसिएट्स है और हमारे असोसिएट्स जो है वो आर्किटेक्ट और बी. इ. सिव्हिल इंजिनिअर है और ईसिलिये हमारे मुहरसे ही वो भी सिग्नेचर करते है भाईसाहब

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  2. आप दोनों के हस्ताक्षर बंद क्यों हैं। आपकी संस्था को मैं बहुत दिनों से जानता हूँ। अब बाहरी लोगों के हस्ताक्षर की जरूरत क्यों।

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