कमलेश दुबे
उल्हासनगर :उल्हासनगर महानगर पालिका में भ्रष्टाचार का इस तरह बोलबाला है कि भ्रष्ट क्लर्क गणेश शिंपी कहता है "मैं मंत्री से संत्री तक पहुंचाता हूँ रुपया मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता" उमनपा कैम्प 1 से 5 तक के अवैध निर्माणों से करता है वसुली इसीलिए अवैध निर्माणों की भरमार।
ठाणे जिला पालकमंत्री एकनाथ शिंदे
उल्हासनगर महानगर पालिका में स्टेनो(क्लर्क) के पद पर कार्यरत रहते हुए गणेश शिंपी रुपये 25 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। मुकदमा आज भी भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा१९८८,की कलम ६,(१३)(१) (ड)(२)रजि नं.२, १५/२०१३ कल्याण सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। बावजूद इसके मनपा पदोन्नति देती रही। अय्याश किस्म के गणेश शिंपी पर कत्ल की साजिश, महिला से अभद्र (अश्लील) बरताव, सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगने पर मारपीट जैसे दर्जनों मामले हैं जिसमें से कुछ दर्ज हैं कुछ नहीं। पुलिस स्टेशन में मामले दर्ज होने के बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। जबकि एक आम आदमी को पुलिस घसीटते हुए ले जाकर हवालात में बंद कर देती है। इस तरह के गंभीर मामले दर्ज होने के बावजूद शिंपी को पदच्युत करने के लिए कमलेश खतुरानी नामक समाज सेवक ने आजाद मैदान पर 45 दिनों तक उपोषण किया परंतु आज भी भ्रष्ट व अनेकों आरोपों में वांछित गणेश शिंपी अब तक उल्हासनगर मनपा में सहायक आयुक्त के पद पर कार्यरत है। शिवसेना नेता के गणेश शिंपी दत्तक पुत्र बताये जाते हैं। इसीलिए उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार के पत्र को मनपा आयुक्त डाँ.राजा दयानिधि ने कचरे की टोकरी में डाल दिया है। आयुक्त राजा दयानिधि व महापौर लिलाबाई आसान
उल्हासनगर मनपा महापौर, शहर विकास मंत्री व ठाणे जिले के पालक मंत्री को ऐसे अय्याश व अपराधिक छवि वाले गणेश शिंपी से इतना प्रेम क्यों है यह समझ से परे है। बतादें गणेश शिंपी का मनोबल इतना बढ़ गया कि कैम्प 1 से 5 नंबर तक के अवैध बांधकाम नियंत्रण अधिकारी रहते हुए, 20 हजार से ज्यादा टियर गाटर और आरसीसी का अवैध निर्माण करवाया जिसमें अरबों रुपये कमाया। उसी दौरान पैसे और सत्ता के मद में चूर महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ कर धमकी दी और हाथापाई के अलावा हत्या का प्रयास भी किया वह मामला मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में निम्न धाराओं के तहत दर्ज है जैसे गुनाह रजि.नं.१, १४८/२०११ भा.द.सं की धारा ३०६/३४ और गु.रजि.नं.१, १७७/२०११ भा.द.सं. की धारा ३५४,५०९,५०४,५०६/३४ इसके साथ अ.आ.ज. अधिनियम १९८९ की धारा ३ (१) (१०) (११) (१२) २(७) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर गाली देने का मामला।
इकबाल कर रहा है करोतिया नगर में नाले पर कब्जा, गणेश शिंपी उससे रुपये लेकर अय्याशी में व्यस्त हैं।
इस तरह के गंभीर मामलों के बावजूद शिंपी को सहायक आयुक्त पद पर बैठाना, क्या समझा जाना चाहिए? महाविकास अघाड़ी सरकार शायद भ्रष्टाचारी और अपराधियों को संरक्षण देने के लिए बनी है। यह पहली ऐसी सरकार है जिसका गृहमंत्री अनिल देशमुख और मुंबई में पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह चोरों की तरह फरार बताये जाते हैं। इस महावसूली सरकार के मंत्री जनता की सुख-समृद्धि के लिए न होकर वसुली मंत्री बन गये हैं।
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