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नियमों को दरकिनार कर भ्रष्ट गणेश शिंपी को दिया गया जिम्मेदारी वाला पद, विकास के नाम पर हो रहा विनाश

ऐसा सिर्फ उल्हासनगर में होता है:- भ्रष्ट, अपराधी गणेश शिंपी बना उमनपा का सहायक आयुक्त!!

शिवसेना की सत्ता में भ्रष्टाचार के लिए खुली छूट, इसलिए नियम को दरकिनार कर प्रभाग अधिकारी बनाया गया गणेश अरविंद शिंपी!

उल्हासनगर संवाददाता
उल्हासनगर :उल्हासनगर मनपा सहायक आयुक्त गणेश अरविंद शिंपी के खिलाफ दर्जनों धाराओं के तहत विठ्ठलवाड़ी, मध्यवर्ती व हिललाईन पुलिस स्टेशन में अनेकों मामले दर्ज होने के बावजूद उंचे पदों पर हुई नियम विरुद्ध नियुक्ति सत्ताधारियों के माथे पर कलंक साबित हो रही है। बावजूद इसके उपोषण व लिखित शिकायतों पर भी नहीं पिघल रही महाविकास आघाडी सरकार कमाई के लिए बेशर्मी पर उतारु! शिंपी को पद से हटाकर जांच को तैयार नहीं जबकि उपमुख्यमंत्री ने उमनपा आयुक्त को पत्र लिखकर हटाने को कहा था।
   मंत्री एकनाथ शिंदे, महापौर लिलाबाई आसान 

महाराष्ट्र में बनी महाविकास आघाडी सरकार में बैठे मंत्रीयों की आपस में नहीं बनती जिसका जिता जागता उदाहरण है कि उल्हासनगर मनपा में शिवसेना महापौर होने के साथ ही ठाणे जिले का पालक मंत्री शिवसेना के एकनाथ शिंदे हैं। इन दोनों के दबाव के चलते उमनपा के भ्रष्ट कर्मियों को प्रभाग अधिकारी नियुक्त किया है। और डाँ. राजा दयानिधि ने उपमुख्यमंत्री के लिखे पत्र को दरकिनार कर शिंपी को बार बार सहआयुक्त जैसे जिम्मेदारी भरे पद पर बैठाकर अवैध निर्माण को बढ़ावा देकर अपनी अपनी तिजोरी भर रहे हैं।
बतादें गणेश अरविंद शिंपी तत्कालीन आयुक्त के लिपिक रहते हुए भ्रष्टाचार विरोधी पथक द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गये थे, जिसका मुकदमा भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा१९८८, की कलम ६,(१३)(१)(ड)(२)के तहत दर्ज होने के साथ ही रजि.नं. २, १५/२०१३ के अनुसार कल्याण सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। इसी तरह उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में गु.रजि.नं.१, १४८/२०११ भा.द.सं की धारा ३०६/३४ के साथ गु.रजि.नं.१, १७७/२०११ में भा.द.सं. की धारा ३५४,५०९,५०४,५०६/३४ के अलावा, अ.जा.ज. अधि. की कलम १९८९, की धारा ३ (१) (१०) (११) (१२) २(७) जैसे मामले न्यायालय में शिंपी पर चल रहे हैं। जिसमें सहकर्मी महिला कर्मचारी से छेड़छाड़, अश्लील हरकत करने के अलावा मारपीट और सहकर्मी को इस हद तक परेशान किया की उसने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। जैसे गंभीर आरोप होने के बावजूद सत्ता में बैठी शिवसेना और आयुक्त दयानिधि का इनके प्रति प्रेम क्यों उमड़ रहा है, यह बात समझ से परे है। शिंपी जिस किसी भी विभाग में पदासीन होते हैं वहाँ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार होता है। जिससे जनता का विकास तो नहीं होता है, नेताओं की तिजोरी जरूर भर जाती है। 

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