कल्याण रीजन ने अपने लाडले, API डामरे का जबरदस्ती क्यों किया तबादला?
दत्ता कराले की आयी जाने की बारी तो नई तरकीब निकाली, अवैध धंधो पर छापेमारी पैराडाइज डांसबार पर डामरे ने मारा छापा, बार-बालाओं की संख्या कम दिखाकर ली 5 लाख की रिश्वत!
अग्निपर्व टाइम्स संवाददाता
उल्हासनगर : उल्हासनगर के पैराडाइज बार पर डोम्बिवली मानपाड़ा पुलिस एपीआई डामरे के नेतृत्व में मारा गया छापा। छापे के दौरान वहां मौजूद थी 80 से ज्यादा बारबालाएं। एपीआई डामरे और खतीब ने बार सील करने का डर दिखाकर लिए पांच लाख रुपये और रिपोर्ट में लड़कियों की संख्या 10 से भी कम दिखाया। कराले तक रुपये न पहुंचने से नाराज कराले डामरे का हिललाईन और खतीब का बदलापुर पुलिस स्टेशन में कर दिया तबादला।
दत्तात्रेय कराले
कल्याण क्षेत्र 3 और 4 के लिए तैनात पुलिस विभाग के अतिरिक्त आयुक्त दत्ता कराले का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद पदोन्नति के साथ तबादला कर दिया गया है। परंतु कराले को मलाईदार जगह न मिलने से नाराज कराले ने अब तक कल्याण नहीं छोड़ा है। कल्याण छोड़ उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापूर में छापेमारी कर मचा दी है अफरा तफरी। डोम्बिवली की मानपाड़ा पुलिस ने उल्हासनगर के पैराडाइज बार पर छापा मारा था। इसी तरह उल्हासनगर पुलिस स्टेशन की पुलिस को अंबरनाथ छापा मारने के लिए भेजा गया। इस तरह पुलिस स्टेशन बदलकर छापा मारने के पीछे की मंशा समझ से परे है। जहाँ छापा मारा जा रहा है, वहां की स्थानीय पुलिस इकाई के किसी भी अधिकारी व कर्मचारी पर किसी तरह की कार्रवाई दिखाई नहीं दे रही है। वंही छापे के कुछ देर बाद ही अवैध व्यापार फिर उसी तरह से शुरू हो जाते हैं।
पैराडाइज डांसबार पर छापा
मिली जानकारी अनुसार उल्हासनगर 17 सेक्शन मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन की हद स्थित पैराडाइज डांसबार पर डोम्बिवली मानपाड़ा पुलिस स्टेशन की पुलिस ने API डामरे के नेतृत्व में छापा मारा। छापे के दौरान वहाँ 80 से ज्यादा बारबालाएं मिलीं, अब इतनी बड़ी कार्यवाही से मध्यवर्ती पुलिस की बदनामी के साथ ही बार के लायसेंस पर खतरा मंडराने लगा बचाने के लिए मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन उपनिरीक्षक खतीब ने मांडवली कराया। बार चालक ने मांडवली में 5 लाख रुपये दिये, यह रुपये कराले तक नहीं पहुंचे जिसका नतीजा यह हुआ सेन्ट्रल पुलिस स्टेशन से खतीब की बदली बदलापूर और डामरे को हिललाईन भेज दिया गया। सुत्र बताते हैं कि डामरे सोच रहा था कि कराले की बदली हो गयी है। वे एक दो दिन में चले जायेंगे और रुपये बच जायेंगे इसलिए रुपया नहीं पहुंचाया।
डामरे फिर बना चहेता
कराले का तबादला हो गया था, परंतु उनको कल्याण रिजन से इतना प्रेम है कि वह छोड़कर जाने को तैयार ही नहीं। साहब को न जाता देख डामरे ने मिलकर हाथ-पांव जोड़े अब फिर ऐसी गलती न करने का वादा कर कराले का विश्वास हासिल कर लिया। डामरे पर फिर से मेहरबान हो गये हैं कराले और उसको नेतृत्व सौंप दिया है। यहां वहां के पुलिसिया छापे से जहाँ अवैध धंधे वाले परेशान हैं तो वहीं स्थानीय पुलिस भी भौचक्का है। अब यह समझना मुश्किल हो रहा है कि कराले कसर निकाल रहे हैं या अपने आपको साफ सुथरा साबित करने में लगे हैं।
नहीं पड़ रहा क्षेत्र 3 में छापा
क्षेत्र 3 में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान कराले ने कोई कठोरता नहीं बरती जिसका कारण सुत्रों ने बताया कराले, उपायुक्त पानसारे और सहायक आयुक्त एटी पोवार की खुब बनती है।कारण तीनों का एक ही थाली का चट्टा बट्टा होना बताया जाता है। इसीलिए यह तिकड़ी जमी हुई थी। सुत्रों से मिली जानकारी अनुसार सहायक आयुक्त पोवार महीने में दो बार आज भी कल्याण स्टेशन के सामने स्थित नीलम में बाहर से ताला लगवाकर मौज मस्ती करते है।
कार्यकाल पूरा तब्दीली नहीं
सचिन वझे ने अपने बयान में कहा है कि मुंबई में उपायुक्तों (DCP) की मनपसंद जगह पर नियुक्ति के लिए महाराष्ट्र सरकार के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख ने पांच उपायुक्तों को मुंबई में मनपसंद जगह देने के लिए लिया था 20 करोड़ रुपया। तत्कालीन आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा अपने मन से तबादला किये जाने से नाराज अनिल देशमुख और अनिल परब ने सिंह को तबादला पीछे लेने के लिए मजबूर कर दिया था। शायद इसीलिए मनपसंद जगह के लिए पैसे देने को तैयार अधिकारी, कर्मचारी मनपसंद जगह न मिलने तक अपनी जगह छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इसलिए अब दत्ता कराले, एटी पोवार, डीडीटेले, निरीक्षक सुधाकर सुराडकर जैसे अनेकों लोगों का तबादला मुश्किल है।
होटलों को खोलने का फरमान
सरकार ने एक ओर जहाँ होटलों और बारों को रात दस बजे तक खुला रखने की इजाजत दी है। तो वहीं यह शर्त लाद दी है की यहाँ कार्यरत लोगों को कोवीड के दोनों टीके लगे होने चाहिए। जब अब तक सरकार पहला ही टीका सभी नागरिकों को नहीं लगवा पाई है तो दूसरे का सवाल ही कहाँ आता है। जबकि दोनों टीकों के बीच 90 दिनों का फासला भी होना चाहिए। इससे यह साफ जाहिर होता है कि सरकार का यह फैसला तकनीकी तौर पर ठीक नहीं है। और अवैध कमाई का एक और रास्ता शुरू कर दिया गया है। अब लोग असमंजस में हैं की प्रतिष्ठानों को खोले या न खोलें। मुर्ख बनाने वाले इस सरकारी फैसले से कारोबारी काफी नाखुश नजर आ रहे हैं।
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