कमलेश दुबे
उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा में गणेश अरविंद शिंपी लिपिक पद पर कार्यरत रहते हुए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गये थे। इसके बाद भी मनपा में उनको पदोन्नति दी जाती रही है। महापौर चुप सत्ताधारी नगर सेवक चुप। यह रिश्ता क्या कहलाता है? शिंपी पर कई संगीन आरोप हैं, जैसे कत्ल की साजिश, महिला से अभद्र (अश्लील) व्यवहार, सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर समाज सेवक से मारपीट आदि का मामला स्थानीय पुलिस स्टेशन में दर्ज होने के बावजूद सत्ता में बैठी शिवसेना ने गणेश शिंपी को अपने माथे का तिलक बना रखा है।
प्रभाग-1 सहआयुक्त गणेश अरविंद शिंपी
उल्हासनगर मनपा में शिवसेना महापौर और ठाणे जिले के पालक मंत्री के इशारे पर नांचने वाले मनपा आयुक्त डा.राजा दयानिधि ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले व अपराधिक छवि वाले गणेश शिंपी को सहायक आयुक्त बनाकर उल्हासनगर को सकते में डाल दिया है। बतादें गणेश शिंपी लिपिक पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार विरोधी पथक द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गये थे। जिसका मुकदमा भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा१९८८,की कलम ६, (१३) (१) (ड) (२) के तहत रजि.नं.२, १५/२०१३ कल्याण सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। उसके कुछ दिनों पश्चात ही शिंपी को एक नंबर से पांच नंबर तक, उमपा का अवैध बांधकाम नियंत्रण अधिकारी बना दिया गया। इस पद पर रहते हुए इन्होंने 17 हजार से ज्यादा टियर गाटर और आरसीसी का अवैध निर्माण करवाया जिसमें अरबों रुपये कमाया। सत्ता में रहे लोगों को भी फायदा पहुंचाया। उसी दौरान पैसे और सत्ता के मद में चूर महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ कर धमकी दी और हाथापाई, के अलावा हत्या के प्रयास का मामला भी निम्न धाराओं के तहत मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ है। गु.रजि.नं.१, १४८/२०११ भा.द.सं की धारा ३०६/३४ और गु.रजि.नं. १, १७७/२०११ में भा.द.सं. की धारा ३५४, ५०९, ५०४, ५०६/३४ के अलावा अ. जा. ज.अधि. १९८९ की धारा ३ (१) (१०) (११) (१२) २(७) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर गाली देने का मामला दर्ज हैं।
आयुक्त राजा दयानिधि व मेयर लीलाबाई आशान
इतने गंदे और गंभीर मामलों के बावजूद शिंपी को सहआयुक्त पद पर बैठाना, क्या समझा जाना चाहिए? शिंपी जातिवादी हैं, भ्रष्टाचारी हैं, महिलाओं के साथ अश्लील हरकत के अलावा मारपीट जैसे गंभीर आरोप के आरोपी होने के बावजूद भी सत्ताधारियों का इनके प्रति प्रेम उमड़ने को क्या समझना चाहिए? यह किस बात की निशानी है? शिवसेना शायद यह समझ चुकी है कि अब दोबारा सत्ता में नहीं आने वाली शायद इसलिए दोनों हाथों से जितना हो सके उतना समेट लो! इसी तर्ज पर काम कर रही है। चुनाव नजदीक है आगे जनता को सोचना है।
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