बीनू वर्गीस उर्फ काला कौआ की अग्रिम जमानत ठाणे सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी इससे पहले कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया।
वर्गिस के खिलाफ पहला मामला ठाणे नगर थाने में 30 जुलाई को दर्ज किया गया था। आरोपी काला कौआ ने ठाणे नगर निगम के उपायुक्त विश्वनाथ केलकर को ग्लोबल अस्पताल में ब्लैकमेल कर उनसे 3 लाख रुपये की फिरौती ली थी। केलकर ने कापुरबावड़ी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करायी। पुलिस निरीक्षक संजय निंबालकर ने जांच के बाद फिरौती का दूसरा मामला दर्ज किया, जबकि ठाणे नगर निगम के सहायक आयुक्त महेश अहेर की शिकायत के बाद नौपाड़ा पुलिस स्टेशन में फिरौती का तीसरा मामला दर्ज किया गया। महेश अहेर को ब्लैकमेल कर 15 लाख रुपये की मांग की थी। जिसमें से 1 लाख स्वीकारे थे। इस दौरान काला कौआ के खिलाफ तीन फिरौती के मामले दर्ज किए जाने के बाद से वह फरार था। कपूरबावड़ी पुलिस उसकी तलाश में गोवा गई थी लेकिन वह, वहां नहीं मिला। कपूरबावड़ी पुलिस ने कोर्ट से गैर जमानती वारंट हासिल किया था। काला कौआ ने मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत के लिए ठाणे सत्र न्यायालय का रुख कर चुका था। 16 अगस्त के दिन सुनवाई के दौरान न्यायालय द्वारा आपत्ति जाहिर करने के बाद काला कौवा के वकील गजानन चौहान ने अपना वकालतनामा वापस ले लिया। उनके द्वारा फर्यादी केलकर के मामले को देखे जाने के कारण न्यायालय ने आपत्ति उठाई थी। अग्रीम जमानत की सुनवाई ठाणे सत्र न्यायालय के न्यायमूर्ति गोंधलेकर की अदालत में हुई। सरकारी वकील मोराले मैडम व पुलिस निरीक्षक संजय निंबालकर ने अदालत में अपना पक्ष पेश किया। काला कौआ के वकील सालुंके ने अदालत में स्वीकार किया कि यह सच है कि वीनू वर्गीस उर्फ काला कौआ ने फिरौती की मांग की थी, और वह अस्पताल भी गया था, परंतु पैसे लेने के फुटेज न होने, को आधार मानकर जमानत दे देना चाहिए। न्यायमूर्ति गोंधलेकर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अटक पूर्व जमानत का फैसला सुरक्षित रख लिया था। जो अब सुनाया गया फैसले में अग्रीम जमानत देने से न्यायाधीश ने साफ इंकार कर दिया है। अब बीनू वर्गिस उर्फ काला कौवा की तलाश व गिरफ्तारी के लिए पुलिस सुसज्जित हो गयी है।
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