कल्याण. एक भवन निर्माणकर्ता से 1 लाख 20 हजार रुपये की रिश्वत (Bribe) लेते हुए कल्याण तहसील के तहसीलदार दीपक मारुति आकड़े (45) और चपरासी (Peon) मनोहर दत्तात्रेय हरड़ (42 ) को कल्याण तहसीदार कार्यालय में ठाणे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Thane ACB Team) ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। जिससे तहसीलदार कार्यालय में हड़कंप मच गया और कल्याण तहसीलदार कार्यालय में भारी भष्ट्राचार होने का पर्दाफास हो गया।
गौरतलब हो की, जिस प्रदेश के गृहमंत्री को १०० करोड़ की वसुली के आरोप के चलते अपना पद छोड़ना पड़ा हो, ऐसे प्रदेश में कार्यालयों में भ्रष्टाचार होना कोई बड़ी बात नहीं है। इसी तरह का भ्रष्टाचार कल्याण के तहसीलदार कार्यालय में चल रहा था। जहाँ अधिकारी, कर्मचारी पैसों की एवज में किसी की भी जमीन को धनी लोगों से घूंस लेकर हेरा-फेरी कर उनके नाम कर देते हैं। ऐसी कई शिकायत जिला एवं राज्य सरकार के संबंधित विभाग में की जा रही थी। राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाकर अपनी जेबें भरे जाने के कई मामले कोर्ट में लंबित है। सामाजिक संस्था परहित चैरिटेबल सोसाइटी के अध्यक्ष विशाल कुमार द्वारा भी तहसील कार्यालय में अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा जमीन के कागजातों में हेरा-फेरी कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाए जाने की शिकायत सरकार एवं कोर्ट में की थी।
टीम ने जाल बिछाया
सोमवार ३० अगस्त २०२१ को भवन निर्माण कंपनी के एक मुलाजिम, 50 वर्षीय व्यक्ति की शिकायत के आधार पर ठाणे एसीबी की टीम ने जाल बिछाकर खारघर नवीमुंबई सेक्टर नंबर-6 स्थित हार्मनी बिल्डिंग के फ्लैट नंबर 401 के रहवासी, कल्याण तहसीलदार दीपक मारुति आकड़े और चपरासी बाबू उर्फ मनोहर दत्तात्रेय हरड़, अंबिका पैलेस सोसायटी टिटवाला निवासी द्वारा खरीदी गई, जमीन की आपत्ति पर परिणाम उनके पक्ष में देने की एवज में 1 लाख 20 हजार रुपये रिश्वत की मांग की जिसकी पुष्टि होने पर ठाणे एसीबी के पुलिस निरीक्षक संतोष शेवाले और उनके दल ने जाल बिछाया।
दोनों रिश्वतखोर चढ़े ACB के हत्थे
सोमवार की दोपहर करीब पौने 1 बजे चपरासी बाबू उर्फ मनोहर हरड़ को 1 लाख 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया, तहसीलदार दीपक आकड़े और चपरासी मनोहर हरड़ को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई की जा रही है, तहसीलदार की गिरफ्तारी से तहसील कार्यालय में किस प्रकार और कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। भले ही भ्रष्टाचार निरोधक दल ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया हो पर कुछ दिनों बाद पैसों के जोर पर यह तहसीलदार छूट जाय और हो सकता है यही तहसीलदार किसी जिले का जिलाधिकारी भी बन जाय, हमारे देश में भ्रष्टाचार को गुनाह नहीं माना जाता रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद भी पदोन्नति मिलती है।
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