अशोक दिवटे के नाम पर बढ़ रही है मंजिलें
उल्हासनगर महानगरपालिका अंतर्गत बिना वैध प्लान के शिवसेना नेता दिपक साल्वे और अशोक दिवटे कर रहे हैं बहुमंजिली इमारतों का निर्माण! उल्हासनगर शिवसेना प्रमुख कहते हैं शिवसेना का नाम मत लिखो, शिवसेना पद के बल पर करते हैं अवैध निर्माण, कहते हैं शिवसेना स्टाइल याने मारपीट कर दूंगा जवाब!
इस तरह उल्हासनगर में शिवसेना महापौर बनने के बाद शहर में अवैध निर्माणों का बोलबाला हो गया है। सैकड़ों टियर गाटर, रिस्कबेस प्लान के नामपर जगह हड़पा जाना आम बात हो गयी है। रिस्कबेस प्लान पर G+1 तक ही निर्माण कार्य का परमिशन मिलता है। परंतु G+5 का निर्माण हो रहा है। शासन-प्रशासन और नेता सिर्फ अपनी तिजोरी भरने पर लगे हैं। शहर का विनाश कर नेता कर रहे हैं, अपना विकास और कह रहे हैं कोई शिकायत भी न करे क्योंकि हम शिवसेना हैं, हमसे डरिये! चुनाव नजदीक है जनता को सोचना होगा की डराने वाले को वोट देना है या फिर डरने वालों को।
दिपक साल्वे के नामपर होने वाला निर्माण
उल्हासनगर महानगरपालिका अंतर्गत पुलिस सहायक आयुक्त (ACP) कार्यालय के सामने शिवसेना शाखा के पीछे नैतिक सेल और रामा थैली भंडार के ऊपर नया स्लैब डालकर बढ़ाया जा रहा है मंजिला जहाँ एक ओर पुरानी इमारतें गिर रही हैं। उनका आडिट शुरू है वहीं पर पुरानी इमारत पर मंजिले बढ़ाकर बोझ बढ़ाया जा रहा है। प्लान और परमिशन के बारे में पूछे जाने पर "मैं शिवसैनिक हूँ राजेंद्र चौधरी का खासम खास हूँ अशोक दिवटे मेरा नाम है' पास ही एक और शिवसेना के भाई दिपक साल्वे भी बिना प्लान और परमिशन के एक इमारत के पीलर खड़े कर रहे हैं। इस साइट पर भी प्लान की जगह दिपक साल्वे नाम ही काफी है। अशोक दिवटे सी ब्लाक में भी जगह कब्जा कर एक बहुमंजिला अवैध इमारत का निर्माण कर रहे हैं। जिस काम को स्थानीय शिवसैनिकों ने रुकवाया था परंतु वरिष्ठों ने समझौता करवा दिया।
इस तरह उल्हासनगर में शिवसेना महापौर बनने के बाद शहर में अवैध निर्माणों का बोलबाला हो गया है। सैकड़ों टियर गाटर, रिस्कबेस प्लान के नामपर जगह हड़पा जाना आम बात हो गयी है। रिस्कबेस प्लान पर G+1 तक ही निर्माण कार्य का परमिशन मिलता है। परंतु G+5 का निर्माण हो रहा है। शासन-प्रशासन और नेता सिर्फ अपनी तिजोरी भरने पर लगे हैं। शहर का विनाश कर नेता कर रहे हैं, अपना विकास और कह रहे हैं कोई शिकायत भी न करे क्योंकि हम शिवसेना हैं, हमसे डरिये! चुनाव नजदीक है जनता को सोचना होगा की डराने वाले को वोट देना है या फिर डरने वालों को।
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