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भ्रष्टाचारियों पर एक और मामला जबरी वसुली का दर्ज, जेल जाना तय! पुलिस करती है जबरी वसुली!

परमबीर और अन्य छह पुलिसकर्मियों पर जबरन वसुली का मामला दर्ज हुआ! 
     पुर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह 

ठाणे, 30 जुलाई ठाणे शहर की पुलिस ने शुक्रवार को आईपीएस अधिकारी और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह और छह अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ रंगदारी का एक और मामला दर्ज किया गया है। ठाणे पुलिस थाने में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट में सिंह, सेवानिवृत्त 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा, पुलिस उपायुक्त दीपक देवराज, सहायक पुलिस आयुक्त एनटी कदम और निरीक्षक राजकुमार कोथमिरे सहित कुल 28 लोगों के नाम हैं। जिसमें कुछ कनिष्ठ स्तर के अधिकारियों के नाम भी सामिल है। बिल्डर केतन तन्ना (54) की शिकायत पर आईपीसी की धारा 324 (हमला), 384 (जबरन वसूली), 392 (डकैती) और 506 (आपराधिक धमकी) के अलावा आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। तन्ना ने आरोप लगाया है कि जब सिंह जनवरी 2018 से फरवरी 2019 के बीच ठाणे के पुलिस आयुक्त थे, तो आरोपी ने उन्हें एंटी एक्सटॉर्शन सेल के कार्यालय में बुलाकर, गंभीर आपराधिक मामलों में फंसाने की धमकी देकर उनसे 1.25 करोड़ रुपये की उगाही की। उन्होंने उसके दोस्त और कथित सट्टेबाज सोनू जालान से भी इसी तरह से 3 करोड़ रुपये से अधिक की उगाही की, उन्होंने आरोप लगाया। राज्य का आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) जालान द्वारा सिंह के खिलाफ दायर कथित जबरन वसूली की एक अन्य शिकायत की पहले ही जांच कर रहा है। दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटकों वाली एक एसयूवी की खोज के बाद सिंह को इस साल मार्च में मुंबई पुलिस प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। सिंह ने बाद में तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार कर होटलों और डांसबारों से महीने में १०० करोड़ वसुल कर देने का आरोप लगाया था जिसमें गृहमंत्री अनिल देशमुख की कुर्सी चली गई और वे ईडी से भागे फिर रहे हैं। एक अन्य बिल्डर की शिकायत के आधार पर इस महीने की शुरुआत में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ दो अन्य रंगदारी के मामले दर्ज किए गए थे। सिंह को महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा भी जांच का सामना करना पड़ रहा है और उनके खिलाफ अकोला के एक पुलिस अधिकारी द्वारा एससी-एसटी (अत्याचार निवारण अधिनियम) के तहत मामला दर्ज कराया है।       राजकुमार कोथमिरे 

फर्जी ईडी अफसर बनकर छापा
अग्निपर्व टाइम्स ने एक खबर लीखा था कि एक मुखबिर को जानकारी थी कि स्वामीनी साड़ी डिपो (बैंक आफ बड़ौदा के पास, उल्हासनगर-२) के मालिक ने दुकान में ३०० करोड़ नकद दबा रखे हैं। मुखबिर ने यह बात छावा संगठन अध्यक्ष निखिल गोले से साझा किया। गोले ने इसे नाशिक के एक पुलिसकर्मी (शायद निलंबित) शरद पाटिल के साथ साझा किया। शरद पाटिल मुंबई पहुंचे। मुखबिर, निखिल गोले, शरद पाटिल और एक अन्य व्यक्ति राजू मुंबई के तवा होटल में मिले। राजू (शरद पाटिल के आदमी) ने उन्हें बताया कि वह ईडी अधिकारी राजकुमार कोथमिरे को जानता है। 9 जून 2020 को कोथमिरे की टीम ईडी अफसर बनकर साड़ी डिपो पर छापा मारा। उन्हें एक अलमारी में 5 करोड़ 80 लाख रुपये मिले। छापेमारी दौरान साड़ी डिपो मालिक ने उल्हासनगर ट्रेडर्स एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष दीपक छतलानी से संपर्क किया। दीपक छतलानी ने ओमी कालानी से संपर्क किया। ओमी कालानी ने कोथमिरे से संपर्क किया और उनसे छापेमारी रोकने के लिए कहा और गारंटी दी कि शेष पैसा कोथमिरे को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद कोथमिरे ने यह कहते हुए छापेमारी रोक दी, "ऊपर से फोन आ गया" सूत्रों ने बताया कि बाद में साड़ी की दुकान मालिक ने राजकुमार कोथमिरे को 10 करोड़ रुपये नकद और ओमी कालानी को 2 करोड़ रुपये (निपटान राशि) दिए। मुखबिर ने राजू से इनाम की राशि न मिलने से नाराज होकर तवा होटल में ही राजू की पिटाई कर दी थी। राजू ने दावा किया कि कोथमिरे ने उसे भी पैसे नहीं दिए। कोथमिरे अकेले अकेले सब खा गया।

इस तरह अग्निपर्व टाइम्स का यह मानना है कि कोथमिरे पर लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं और अब जब पानी सर से ऊपर हो गया तब उसका तबादला नक्सल प्रभावित क्षेत्र गढ़चिरौली में कर दिया गया और अब उसपर और उसके वरिष्ठ संरक्षको पर जबरी वसुली का मामला दर्ज किया गया। अगर सरकार ने संरक्षण नहीं दिया तो उपरोक्त सभी का जेल जाना तय है। 

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