उल्हासनगर में ईमारत का स्लैब गिरा 5 की मौत, 8 घायल, दर्जनों को बचाया गया,
उल्हासनगर-1 प्रेमीबाई धर्मशाला के पास चरणदास चौक पर एक चार मंजिला इमारत का स्लैब शनिवार दोपहर को चौथी मंजिल से तल मंजिल पर गिर जाने से 5 लोगों की मौत हो गई, जिसमें दो परिवारों के पांच सदस्यों का समावेश है। मृतकों में पांचवी मंजिल टैरेस फ्लैट में रहने वाले, कल्याण वैष्णव होटल के मैनेजर हरेश दोतवाल (40) उनकी पत्नी संद्या, बेटी ऐश्वर्या हरेश दोतवाल(23) के नाम सामिल हैंं इसके अलावा पहली मंजिल में रहने वाला एक 12 वर्षीय बालक मोनटी मिलिंद पारशे व एक वृद्धा सावित्री पारशे (60) का समावेश है। 8 लोगों के घायल होने की भी जानकारी मिली है। मलबे में से शवों को स्पेशल रेस्क्यू टीम की मदद से शाम 5 से 7 बजे तक निकाला गया, मलबे से बाहर निकालने का राहत कार्य रातभर चलता रहेगा। वहीं दोपहर को इमारत में फंसे हुए दर्जनों लोगों को मनपा के फायर ब्रिगेड व विशेष रेस्क्यू टीम के लोगों ने इमारत के हर मंजिल की बाॅलकनी से बाहर निकाला है जिसमें बच्चों व महिलाओं का समावेश है। मुंबई से स्पेशल रेस्क्यू टीम टीडीआरएफ को मदद के लिए बुलाया गया है। घायलों को उल्हासनगर के मध्यवर्ती अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार शनिवार 15 मई की दोपहर करीब 2 बजे उल्हासनगर-1 बस स्टाॅप जाने वाली सड़क पर स्थित प्रेमीबाई धर्मशाला के पास चरणदास चौक पर एक चार मंजिला मोहिनी पैलस नामक इमारत का स्लैब चौथे मंजिल से तल मंजिल प्रवेशद्वार पर अचानक गिरा जिससे इमारत में रहने वाले 5 लोगों की मलबे में दबकर मौत हो गई और 8 लोग घायल हो गए, ऐसी खबर मिली है। घायलों को उपचार हेतु मध्यवर्ती अस्पताल में दाखिल किया गया है। इमारत के द्वार पर मलबा होने के कारण इमारत में फंसे दर्जनों लोगों को अग्निशमन दल व रेस्क्यू टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर हर मंजिल की बाॅलकनी की ग्रील तोड़कर बच्चों, महिलाओं व पुरुषों को बचाया। घटनास्थल पर स्थानीय नगरसेवक जमनू पुरस्वानी व अजित सिंह लबाना मौजूद थे। इस हादसे में 5 लोगों की जान चली गई व कई घायल हुए। दर्जनों परिवार एक बार फिर बेघर हो गए हैं। बेघर हुए लोगों के लिए मनपा के पास स्थायी रूप से किसी भी तरह का निवास न होने के कारण उन्हें थाहिरिया सिंह दरबार में पनाह दी गई है। इस इमारत में 9 फ्लैट और 7 दुकानें थी। इमारत में रहनेवाले ज्यादातर लोग किरायेदार थे। इसके अलावा चार फ्लैट बंद थे ऐसा बताया गया है। इस हादसे में अपनी जान गंवाने वाले हरेश दोतवाल की एक बेटी बच गई है उसे स्थानीय नगरसेवक जमनू पुरस्वानी ने अपने पास रखा हुआ है, यह एक कुदरत का करिश्मे ही है कि वह पूरी तरह से सुरक्षित है। सांसद डाॅ. श्रीकांत शिंदे ने घटनास्थल का दौरा किया। खबर मिली है कि मृतकों के परिजनों को 5 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया। उल्हासनगर में यह पहला हादसा नहीं है और न ही पहली मौत पैसो की लालच में किया गया कत्ल है। सन 1995 का दौर था नाई, धोबी कहने का मतलब जिनका भवन निर्माण से कंही दूर दूर तक नाता नहीं था वह लोग भवन निर्माण में जुट गये थे। उन्हें न ईंट रेत व सिमेंट की सही जानकारी थी और न ही कोई वैध नक्शे की आवश्यकता थी बस एक नेता को 20 रुपये प्रति वर्गफुट देने थे। और एक वर्ष का कार्य 3 माह में पूरा करना था। आज वह नेता अपने किए की सजा जेल में काट रहा है। फिर भी लोग सुधरने को तैयार नहीं आज भी जगह जगह अवैध दो मंजिला अवैध टियर गाटर व बहुमंजिला इमारतों का निर्माण शुरू है। शासन प्रशासन रोकने को तैयार नहीं और अवैध निर्माण रुकने को तैयार नहीं। अब यह उल्हासनगर की नियति बन गया है, हर वर्ष इमारतें गिरेगी और लोगों की जान जाती रहेगी। नेता शोक प्रकट करेंगे और दो पैग ज्यादा मारेंगे, दूसरे दिन अपने काम पर लग जायेंगे।
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