ताजा ख़बर

6/recent/ticker-posts

सत्ता जरुरी है या देश, सत्ताएं तो बदलती रहेगी देश रहना चाहिए।

     चीन के खिलाफ भी आवाज उठाइए जनाब!!

आज सारी दुनिया की ऊंगली चीन की तरफ है क्योंकि उसने अपनी विस्तारवादी नीतियों के तहत दुनिया पर जैविक हमला किया। उसका मुख्य लक्ष्य भारत ही था। परंतु कुशल नेतृत्व और भारत की जनता के हिम्मत और सहयोग के चलते भारत का बहुत नुकसान नहीं हुआ। जबकि भारत के स्वास्थ्य संबंधी संसाधनों के बारे में चीन बहुत नजदीक से अच्छी तरह जानता था। फिर भी भारत ने अपने आपको संभाला ही नहीं, संभालने के साथ करोना को मात देने के लिए दो दो वैक्सीन बनाई, बना कर अन्य कई देशों को आपूर्ति भी की। इससे चीन के मनसूबे पर पानी फिर गया। जिस दवा के नाम पर अरबो डालर कमाने की चीन की मंशा थी। वह धरी की धरी रह गयी। इससे आहात होकर चीन ने कुछ अपने चाहने वालों को मोदी के खिलाफ दुस्प्रचार में लगाया व बंगाल चुनाव का फायदा उठाते हुए फिर एक बार सम्हले हुए भारत को करोना महामारी के गर्त में ढकेल दिया फिर भी भारत देश की विपक्षी पार्टियां चीन का विरोध करने के बजाय मोदी के विरोध में लगी हैं।
करोना पहले कहां आया मुंबई में क्योंकि यह हमारी आर्थिक राजधानी होने के साथ ही यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। और पूरे भारत में जितने मरीज थे उसका 40% सिर्फ महाराष्ट्र में थे, आखिर क्यों? यह देखकर भी चीन की भर्त्सना करने के बजाय मोदी पर पूरा खार क्यों संभालने के बजाय हंगामा किया गया ताकि लोग डरें, डरकर भागने लगे और इस तरह पूरे देश के साथ साथ महामारी गांवो तक पहुंच जाय। हमारे गांव की स्वास्थ्य सेवाओं को साठ वर्षों में कांग्रेस ने कितना मजबूत किया है, और कैसी है, यह किसीसे छुपा नहीं है। इसी तरह दिल्ली में अचानक करोना बढने लगा, दिल्ली सरकार करोना का विरोध करने के बजाय मोदी विरोध में लगी रही। रोकथाम के बदले मोदी को बदनाम करने की साजिश रचने में लगी रही। आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए केंद्र से पैसे तो लिए पर प्लांट लगाया नहीं। वहीं केंद्र सरकार से मिली आक्सीजन केजरीवाल सरकार के अनुयायी आक्सीजन दबाकर रखने लगे व ब्लैक करके आपदा को अवसर में बदल रहे थे। केजरीवाल मोदी कुछ नहीं दे रहे हैं, यह साबित करने में लगे रहे। वे रोज जरुरत से ज्यादा प्राण वायु व रेमेडिसियर मांगकर मोदी को बदनाम करने में अपनी सारी ऊर्जा लगाते रहे मरीजों को बचाने के बजाय।

केजरीवाल, कम्युनिस्ट व कांग्रेस द्वारा पोषित व विदेशी फंडिंग से चलने वाले राकेश टिकैत को अपने आंदोलन की चिंता है। देश की किसानों की चिंता थोड़े न है वे तो कृषि बिल वापस कराकर ही वे बार्डर छोड़ेंगे! भले ही करोना फैले लोग मारे जांय इन्हे क्या लेना देना है। इनको तो किसी तरह मोदी या यूँ कहें भाजपा को बदनाम कर सत्ता से बेदखल करना है। भले ही इनके पंडालों में गैंगरेप क्यों न होते रहें! इनकी भाजपा से कोई दुश्मनी नहीं, इनकी दुश्मनी तो हिन्दूओं से है। जबकि सत्ता में आने के बाद भाजपा या मोदी ने हिन्दूओं के लिए अलग से कुछ नहीं किया है। भाजपा एक राष्ट्रवादी पार्टी है जो इस समय देश की सत्ता संभाले हुए है। इनके शासन में देश, दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। फिर भी उसको सत्ता से हटाना ही इनका एकमात्र लक्ष्य है। हटा भी सकते हैं क्योंकि जातियों बटे हिन्दूओं को देश के विकास या फिर राष्ट्रवाद से कुछ लेना देना नहीं उनको तो मोदी द्वारा किया हुआ काम भी दिखाई नहीं देता। उन्हें तो भाजपा सत्ता में नहीं चाहिए बाकी सब चलेगा।

ऐसे लोगों को मनमोहन चलेंगे, जिनकी सोनिया गांधी के सामने बोलने की औकात नहीं थी। आज कांग्रेस को सब सस्ते में चाहिए जबकि इनके प्रधानमंत्री कहते थे पैसे पेड़ पर नहीं उगते। कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने हिन्दू आतंकवाद की मनगढ़ंत रचना की हिन्दूओं को बदनाम करने के लिए। मुंबई में अनगिनत बम ब्लास्ट हुए, CST स्टेशन पर निहत्थे नागरिकों पर पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा गोलियां चलाई गयी पर इनकी हिम्मत पाकिस्तान को आंखें दिखाने की नहीं थी। स्कूली बच्चों की तरह रोते हुए अमेरिका के पास शिकायत करने के सिवा या फिर भर्त्सना के अलावा कुछ करने की औकात नहीं थी। पाकिस्तान जैसा दो कौड़ी का देश भारत के प्रधानमंत्री को 'देहाती औरत' की संज्ञा देता था। यही नहीं अमेरिकी इनकी पगड़ी उतारकर तलाशी करते थे। यह अपमान सिर्फ मनमोहन सिंह का अपमान नहीं था। यह हर भारतीय का अपमान था। पर हमारे देश में कुछ लोगों को सम्मान से जीने की आदत ही नहीं इन्हें तो जाती व धर्म दिखाई देता है विकास नहीं! इन्हें तो फिर कांग्रेसी या कम्युनिस्ट विचारधारा का प्रधानमंत्री चाहिए। ताकि देश को भ्रष्टाचार की दल दल में ढकेल सके और यह कह सके कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुस्लिमों का है। दुनिया में ६० देश इस्लामिक देश है। उसमें से कितने शांती से रह रहे हैं? आखिर हम हिन्दूओं के लिए भी पृथ्वी पर कंही जगह? जिसको हम अपना देश कह सकें, एक देश तो हिन्दूओं का भी होना चाहिए जिसके संसाधनों पर हिन्दूओं का एकाधिकार हो। मेरे इन विचारों से जो सहमत हों लाईक और कमेंट जरूर करें। कुछ लोग तो पढकर छोड़ देते हैं उनकी आगे शेयर करने की भी हिम्मत नहीं होती ऐसे ही कायर लोगों के कारण हर बार देश गुलाम हुआ है। अपने हक के लिए आवाज न उठाने वाले हमेशा गुलाम ही रहते हैं। ठान लो जियेंगे तो स्वाभिमान से वर्ना दो गज का सफेद कपड़ा ओढ़ कर सो जाना कबूल है। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ