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उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा लिखे पत्र को कचरे की टोकरी में डाला उल्हासनगर मनपा आयुक्त ने!

ऐसा सिर्फ उल्हासनगर में हो सकता है! जहां पैसों की लालच में नए पद का निर्माण किया जाता है। 

रिश्वत लेते पकड़े गये कर्मचारी को पदोन्नति देकर अधिकारी बना दिया जाता है। 
      उपर गणेश शिंपी, नीचे डा. राजा दयानिधि 
उल्हासनगर संवाददाता
महाराष्ट्र सरकार को भ्रष्टाचार का दिमक इस तरह लगा है की मंत्रियों की भी नहीं सुनते आयुक्त डा. राजा दयानिधि। उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा लिखे पत्र को कचरे की टोकरी में डाला उल्हासनगर मनपा आयुक्त ने!

लिपिक बना उपायुक्त
प्रभाग-1 के सहायक उपायुक्त गणेश शिंपी तत्कालीन आयुक्त मनोहर हिरे के लिपिक रहते हुए 13 मई 2013 को २५ हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथो पकड़े गये थे। ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी के लिए उल्हासनगर मनपा में एक अतिरिक्त पद का क्रियान्वयन किया गया। कैम्प क्रमांक १ से ५ में हो रहे अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने के लिए बनाये गये अनधिकृत बांधकाम नियंत्रण प्रभारी। इस तरह सारे उल्हासनगर को अनधिकृत बांधकामों से पाटकर अनधिकृत बस्तियों में तब्दील कर दिया शिंपी ने। अवैध बांधकाम रोकने के नाम पर गणेश शिंपी ने अरबो रुपये कमाये, वातानुकूलित आरामदायक कारों में बैठकर बड़े बड़े पांच सितारा होटलों में अपनी रातों को रंगीन करने के साथ ही कयी बेनामी संपत्तियां खरीदी और एक मालदार आसामी बन बैठा, साथ ही अपने आकाओं को भी खुश करता रहा कथित तौर पर पता चला है कि ठाणे भ्रष्टाचार निरोधक पथक को अपने पक्ष में करने के लिए हर महीने लिफाफा भेजकर अपने पक्ष में करता रहा।
कमलेश खतुरानी, नागदेव का अनशन
कमलेश खतुरानी और राजेश नागदेव ने गणेश शिंपी का प्रभारी पद निरस्त करवाने के लिए मुंबई के आजाद मैदान पर 40 दिनों तक अनसन किया उसके बाद कहीं जाकर भ्रष्टाचार में ख्याति प्राप्त गणेश शिंपी को 30 दिनों के लिए प्रभाग अधिकारी पद से हटाकर जलापूर्ति विभाग में उनके मूल पद, लिपिक पद पर भेजा गया था। फिर शिंपी को भ्रष्टाचार करने के लिए प्रभाग-1 का प्रभाग अधिकारी बना दिया गया। जबकि महाराष्ट्र सरकारी कर्मचारी अधिनियम कहता है कि जब कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वतखोरी करते पकड़ा गया हो तब ऐसे किसी कर्मचारी को ऐसे किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता जहाँ उसका आम जनता से प्रत्यक्ष आमना सामना हो सकता हो। परंतु उल्हासनगर मनपा आयुक्त डॉ राजा दयानिधि को महाराष्ट्र सरकार के किसी नियम को कहां मानना है जो यह नियम मानेंगे।







  


































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