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उल्हासनगर मनपा को मिला निकम्मा आयुक्त, नहीं लगा पा रहे हैं, भ्रष्टाचार और अवैध बांधकाम पर लगाम!!

उल्हासनगर उमनपा के हालात बद से बदतर आयुक्त देख रहे हैं तमाशा, कौन लेगा जवाबदेही?

वैध इमारत बनाने के लिए नक्शा न पास होने से अवैध बांधकामों में तेजी मनपा तिजोरी को करोड़ों का चूना!

(ब) (स) श्रेणी के कामगारों को दो महीने से नहीं मिला वेतन

लेखा विभाग दलाली लेकर ठेकेदारों को दे रहा है भुगतान

जोखिम आधारित नक्शा बना जमीन हड़पने का आधार! बन रही है पांच पांच मंजिला इमारत। 

उल्हासनगर शहर को बचाने की जिम्मेदारी लेगा कौन सभी लूटने पर आमादा, महाराष्ट्र में व उल्हासनगर मनपा में शिवसेना की सत्ता होने के कारण नगर विकास मंत्री  ध्यान देने को तैयार नहीं!!            मनपा आयुक्त डाँ. राजा दयानिधि 

उल्हासनगर महानगरपालिका के लिए पिछले कयी वर्ष अभिशाप की तरह गुजरे हैं और आगे भी कोई सुधार होने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। उमनपा आयुक्त को एकदम नाकारा कहा जाय तो अतिशयोक्ति न होगी निर्णय लेने में असमर्थ यही कारण है कि उमनपा में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सरकारी व गैरसरकारी जमीन हड़पकर उसपर अवैध निर्माण जोरों पर है। 
महानगर पालिका आयुक्त ने सभी विकास कार्य रोक रखे हैं। जिससे उमनपा से जुड़े लोग भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। जैसे इमारतों के निर्माण के लिए वैध नक्शा देने के लिए पहले शहर रचनाकार नहीं था। रचनाकार मिला उसके बाद डी सी रुल का इंतजार होने लगा, डीसी रुल आने के बाद शहर रचनाकार ने कुछ नक्शे पास किए उन नक्शों की फाइलों को उमनपा आयुक्त ने अपने पास मंगा लिए और उसपर कुंडली मारकर बैठ गये। भवन निर्माणकर्ताओं ने वैध-अवैध जो पैसा मनपा में भरा था वह अटक गया क्योंकि निर्माण शुरू नहीं हुआ। अब वास्तुविदों ने जो काम किया उसका वेतन तो मिला नहीं और नया काम आना भी बंद हो गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि छोटे निर्माणों का नक्शा भी आयुक्त अपने पास मंगा लेते हैं जिनपर उपायुक्त स्तर के अधिकारी के हस्ताक्षर का प्रावधान है।

उल्हासनगर में हो रहे अवैध निर्माणों के लिए ज्यादातर नगरसेवक जिम्मेवार हैं। परंतु उल्हासनगर मनपा का यह इतिहास रहा है, आज तक किसी किसी एक नगरसेवक पर कार्यवाही नहीं हुई यहां तक की जांच भी नहीं हुई। जबकि उच्च न्यायालय ने कहा था कि जिन प्रभागों में अवैध निर्माण होते हैं, उस प्रभाग के नगरसेवक को जिम्मेदार माना जाना चाहिए। भले ही न्यायालय कहता रहे बस अब अति हो गई इसके आगे अवैध बांधकाम की एक ईंट भी नहीं रखी जानी चाहिए, उल्हासनगर में कौन सुनता है न्यायालय की आवाज़? आश्चर्य तो तब होता है। जब छोटी बातों पर संज्ञान लेने वाला न्यायालय इस ओर से आंखों को क्यों मुंदे हुए है। जबकि सोसल मिडिया और समाचार पत्र अवैध निर्माण की खबरों से भरे रहते हैं। मनपा आयुक्त, कर्मचारी, अधिकारी व नगरसेवक तो पैसे कमाने के लिए यह अवैध कारोबार करते हैं, या होने देते हैं। पर क्या यह पैसा पालकमंत्री, नगर विकास मंत्री व ठाणे जिलाधिकारी तक पहुंच रहा है। जिसकी वजह से यह लोग भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश नहीं करते। ऐसे भ्रष्ट व नपुंसक शासन व प्रशासन से आम जनता के लिए न्याय की आशा कैसे की जाय यह एक गूढ़ प्रश्न है।  
  जोखिम आधारित प्लान पर बन रही है पांच                   मंजिला इमारतेंं

महापौर की चलती नहीं या यह भ्रष्टाचार रोकना नहीं चाहती, दिखाई नहीं देता या फिर देखकर अनदेखी कर रही हैं। इस बारे में जब सवाल किया जाता है तब महापौर के सुपुत्र नाराज होकर कहते हैं, ऐसा क्यों लिख रहे हो तुम आओ तुमको आयुक्त से मिलवाता हूँ। जो आयुक्त महापौर की नहीं सुनते वह अदने से पत्रकार का क्या सुनेंगे? अब क्या शिवसेना स्टाइल सिर्फ कमजोर नागरिकों और इमानदारी से काम करनेवाले पत्रकारों के लिए रह गयी है? यह सवाल हर नागरिक के मन में गूंज रहा है। इसलिए अब मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं "शिवसेना है जहाँ भ्रष्टाचार है वहाँ" 

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