उल्हासनगर संवाददाता
अग्निपर्व टाइम्स में १८ अप्रैल २०२१ को "नेहरू चौक पर मास्क न लगाये जाने से यातायात निरीक्षक श्रीकांत धरने से हुई हाथापाई पर मामला दर्ज नहीं" इस शिर्षक से एक खबर लिखी गई थी। उसके बाद हरकत में आयी पुलिस। २० अप्रैल २०२१ को धरने से हुई बातचीत में उन्होंने नोटिस की धमकी देते हुए कहा कि भा.दं.सं. की धारा १८६ के तहत मामला दर्ज किया गया था। परंतु क्या यह बात उल्हासनगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक कदम को पता नहीं थी? क्योंकि उन्होंने जांच की बात कही थी। और समाचार लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया है।
१७ अप्रैल २०२१ की रात ८ बजे के दरम्यान नेहरू चौक से गोलमैदान की ओर राहुल नन्द चोइथानी अपनी बहन के साथ जा रहे थे। मास्क न लगाया देख पुलिस ने उन्हें रोक लिया। पुलिस ने रोका देख वंही पास मौजूद, राहुल ने अपने जीजा बिट्टू चोइथराम हरचंदानी को फोन कर बुला लिया। बिट्टू आते ही पुलिस को गाली देने लगा और क्यों न देता उसका पुलिस विभाग से पुराना रिश्ता जो ठहरा।
बिट्टू एक सोना तस्कर है। दीपक सुहानी गैंग का सदस्य है। सोना तस्करी मामले में बिट्टू कई बार जेल की हवा खा चुका है। बिट्टू का ज्यादातर समय उल्हासनगर के पुराने बैंक आफ बड़ौदा के सामने वाली सड़क पर बीतता है। गाली गलौज का मामला हाथापाई तक पहुंच गया। पास ही स्थित चौकी से और पुलिस वाले आ गये और सरकारी कार्य में अड़चन पैदा करने का मामला दर्ज करने के लिए ले जाने लगे यह देख बिट्टू वहां से सरक गया। पुलिस वाले राहुल को पकड़ कर पहले नेहरू चौक स्थित चौकी ले गये फिर वहां से उल्हासनगर पुलिस स्टेशन ले गये जहाँ भारतीय दंड संहिता की धारा ३५३ के तहत मामला दर्ज करने के बाद, राहुल का स्वास्थ्य परीक्षण कराकर हवालात में डाल दिया गया। और मोटर साइकिल जमा कर दिया गया जो समाचार लिखे जाने तक पुलिस स्टेशन में जमा थी।
बिट्टू अपने साले राहुल को हवालात से बाहर निकालने के लिए जुगत लगाने लगा और यह काम दिया गया भरत धराड़े को। सुत्रों ने बताया मामला १ लाख १० हजार में तय हुआ। जिसमें से १० हजार पुलिस और राहुल के बिचौलिए को दिया गया। और १ लाख पुलिस वालों में बंटा उस समय टेबल ड्युटी पर थे पुलिस उपनिरीक्षक शिंदे। इस तरह से मामला तय हो जाने के बाद राहुल नन्द चोइथानी को रात १बजे के दरम्यान छोड़ दिया गया।
हमारे संवाददाता ने उल्हासनगर पुलिस स्टेशन में संपर्क कर मामले के बारे में जानना चाहा तो वहां कोई मामला दर्ज नहीं था। इस तरह पुलिस वाले मार खाने के बाद भी ले देकर मामले को रफा दफा कर देते हैं।
बिट्टू अपने साले राहुल को हवालात से बाहर निकालने के लिए जुगत लगाने लगा और यह काम दिया गया भरत धराड़े को। सुत्रों ने बताया मामला १ लाख १० हजार में तय हुआ। जिसमें से १० हजार पुलिस और राहुल के बिचौलिए को दिया गया। और १ लाख पुलिस वालों में बंटा उस समय टेबल ड्युटी पर थे पुलिस उपनिरीक्षक शिंदे। इस तरह से मामला तय हो जाने के बाद राहुल नन्द चोइथानी को रात १बजे के दरम्यान छोड़ दिया गया।
हमारे संवाददाता ने उल्हासनगर पुलिस स्टेशन में संपर्क कर मामले के बारे में जानना चाहा तो वहां कोई मामला दर्ज नहीं था। इस तरह पुलिस वाले मार खाने के बाद भी ले देकर मामले को रफा दफा कर देते हैं।
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