उमनपा महापौर लिलाबाई लक्ष्मण आसान
उल्हासनगर महानगरपालिका में गली गली में डबल टियर गाटर का अवैध निर्माण हो रहा है। दर्जनों अवैध बहुमंजिला इमारतों का अवैध निर्माण शुरू है। परंतु शिवसेना महापौर लिलाबाई आसान महाभारत की गांधारी की तरह आंखों पर पट्टी बांधकर कुछ न देख पाने का अभिनय कर रही है।
उल्हासनगर शहर अवैध निर्माणों का शहर बनता जा रहा है। यहां की सड़कों पर पैदल चल पाना मुश्किल हो रहा है। सड़कों पर जगह जगह वाहन खड़े हैं। शहर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। १३ वर्ग किलोमीटर की भूमि वाला यह शहर ८ लाख की आबादी पार कर रहा है। पर्यावरण के मामले में ठाणे जिले के सबसे दूषित शहर की गिनती में उल्हासनगर शहर का नाम आ रहा है। फिर भी उमनपा पर शासन करने वाले लोगों की आंखों पर लालच की बंधी पट्टी खुलने का नाम नहीं ले रही है।
रिस्कबेस प्लान बन रही हैं पांच मंंजिला इमारत
उल्हासनगर शहर अवैध निर्माणों का शहर बनता जा रहा है। यहां की सड़कों पर पैदल चल पाना मुश्किल हो रहा है। सड़कों पर जगह जगह वाहन खड़े हैं। शहर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। १३ वर्ग किलोमीटर की भूमि वाला यह शहर ८ लाख की आबादी पार कर रहा है। पर्यावरण के मामले में ठाणे जिले के सबसे दूषित शहर की गिनती में उल्हासनगर शहर का नाम आ रहा है। फिर भी उमनपा पर शासन करने वाले लोगों की आंखों पर लालच की बंधी पट्टी खुलने का नाम नहीं ले रही है।
रिस्कबेस प्लान बन रही हैं पांच मंंजिला इमारत
उल्हासनगर १ से लेकर ५ तक सैकड़ों अवैध बांधकाम शुरू हैं। हर रोज सोसल मिडिया पर अवैध निर्माणों के फोटो दिखाई देते हैं। शहर विकास योजना का कहीं नामोनिशान नहीं। कैम्प क्रमांक १ में ST महामंडल की जमीन भारत सरकार में मंत्री रामदास आठवले की तस्वीर लगाकर हड़प ली गयी। सरकारी शौचालय तक बख्शे नहीं जा रहे हैं। खुलेआम पीपल और बरगद जैसे राष्ट्रीय वृक्ष काटे जा रहे हैं। यह सब क्या महापौर को दिखाई नहीं देता। उल्हासनगर में सत्ता सिर्फ पैसे जमा करने का साधन बनकर रह गया है। इसका उदाहरण भी महापौर के घर में मौजूद है मां चुनाव जीतकर नगरसेवक बनी और बेटा अरुन लक्ष्मण आसान स्विकृत नगरसेवक एक ही घर में दो समाजसेवकों की क्या जरूरत थी जहाँ शिवसेना कमजोर थी स्विकृत नगरसेवक का पद वहाँ दिया जा सकता था। सारा दोष उमनपा आयुक्त पर मढ़ने से महापौर, उपमहापौर और सत्ता में भागीदारी निभा रही पार्टियां बच नहीं सकती। अपनी जवाबदेही क्यों नहीं निभाया इसका जवाब आने वाले चुनाव में देना होगा। क्या इसी भ्रष्टाचार के बल पर शिवसेना अपना विधायक और सांसद चुनकर लाने का दम भरती है। क्या यही ८०% समाजसेवा और २०% राजनीति है? स्व. आनंद दिघे और बाला साहब ठाकरे के सपनों की शिवसेना अब नहीं बची है ऐसा लोग कह रहे हैं। उल्हासनगर शहर के हालात इसी तरह बद से बदतर हुए तो आने वाली पीढ़ियां किसी भी पार्टी और नेता को माफ नहीं करेंगी।
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