शाम के 6.30 बजे का चीत्र है।
शहाड स्टेशन के पास सरकारी नियमों की उड़ाई जा रही हैं धज्जियाँ। सुबह 7 से 11 बजे तक बाजार खोलने का फैसला सरकार ने किया मास्क और शारीरिक दूरी के साथ। यहां दिन भर खुली रहती है नाई की दुकान, और दोपहर 4 बजे से सब्जी मंडी खुल जाती है। दिन भर सड़कों पर खड़े होकर बेचते हैं शराब। शाम के 6.30 बजे का चीत्र है।
उल्हासनगर शहाड फाटक शिवाजी रोड और कोनार्क रेसिडेंसी के पास की सड़कों पर कर्फ्यू या बंद का कोई असर दिखाई नहीं देता। इन दोनों सड़कों के आस पास ज्यादातर मुस्लिम बस्ती होने के कारण पुलिस जाने से कतराती है। जिसका फायदा उठाकर यहां खुलेआम नाई की दुकान, सब्जी मंडी और फलो के ठेले लगे रहते हैं। शारीरिक दूरी का पालन करने का सवाल ही नहीं उठता। ज्यादातर लोग मास्क भी नहीं लगाते। जवान, बूढ़े, बच्चे महिलाओं की भीड़ लगी रहती है।
उल्हासनगर वरिष्ठ निरीक्षक आर.बी कदम
उल्हासनगर वरिष्ठ निरीक्षक आर.बी कदम
शहाड फाटक के व्ही पी नाईक कालोनी में कई करोना मरीज भी सामने आये हैं। फिर भी यहाँ ऐतिहात के नाम पर सीफर है। पूरे देश के 40 प्रतिशत मरीज महाराष्ट्र में होने के बावजूद पुलिस प्रशासन और उल्हासनगर महानगर पालिका प्रशासन गहरी नींद में है। सोसल मिडिया पर दवाइयों की किल्लत, आक्सीजन की किल्लत के साथ ही अस्पतालों में जगह न होने के बावजूद यहां का प्रशासन सचेत होने के बजाय, लापरवाह नजर आता है। सारी कार्रवाई अलग-अलग इलाकों में होगी परंतु C ब्लाक और शहाड में कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आती। यह भेद-भाव क्यों इसका जवाब कौन देगा?
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