सचिन वझे और उनके सहकर्मी
उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक भरी स्कॉर्पियो जो कार मिली है। वह कार पिछले तीन महीनों से मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वझे के कब्जे में थी। यह आरोप मृत पाए गए कार मालिक मनसुख हिरेन की पत्नी विमला हिरेन ने मुंबई एटीएस को दिए गये अपने बयान में लगाया है। विरोधीपक्ष नेता देवेन्द्र फडणविस
ऑटो पार्ट्स डीलर हिरेन को 5 मार्च को मुंब्रा खाड़ी में मृत पाया गया था और उसके मुंह में पांच-छह रूमाल ठुंसे हुए थे. हिरेन के पत्नि के अनुसार यह घटना तब हुई जब हिरेन अपनी दुकान से निकलकर उक्त मामले के संबंध में एक पुलिस अधिकारी से मिलने गया था.
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख
ऑटो पार्ट्स डीलर हिरेन को 5 मार्च को मुंब्रा खाड़ी में मृत पाया गया था और उसके मुंह में पांच-छह रूमाल ठुंसे हुए थे. हिरेन के पत्नि के अनुसार यह घटना तब हुई जब हिरेन अपनी दुकान से निकलकर उक्त मामले के संबंध में एक पुलिस अधिकारी से मिलने गया था.
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख
विमला हिरेन ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा है कि मुझे पूरा संदेह है कि "सचिन वझे ने ही मेरे पति की हत्या की है" इसी बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके चलते यह पूरा मामला पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है.
16 साल तक सस्पेंड रहे सचिन वझे कौन हैं?
फड़णवीस के आरोपों के बाद मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा, "मुझे मनसुख हीरने के मौत की कोई जानकारी नहीं थी. हीरेन ने मुंबई पुलिस कमिश्नर और ठाणे पुलिस में एक शिकायत दी थी। जिसके मुताबिक़ पुलिस और कुछ पत्रकार उनका उत्पीड़न कर रहे थे, मैं इस मामले की जांच के लिए वहां गया था."
इससे पहले सचिन वझे तब चर्चा में आए थे जब टीवी पत्रकार अर्णब गोस्वामी को हिरासत में लेने पहुँची टीम में उन्हें देखा गया था. ऐसे में सवाल यह है कि कौन है यह पुलिस अधिकारी जिसकी इतनी चर्चा हो रही है.
मुंबई पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर मशहूर सचिन वझे अस्सिटेंट इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. इन दिनों वे मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख हैं. इस यूनिट की ज़िम्मेदारी मुंबई में होने वाले अपराधों के बारे में ख़ुफ़िया जानकारी एकत्रित करके अपराध को रोकना है.
लेकिन यह जानना भी दिलचस्प है कि सचिन वझे को मुंबई पुलिस ने 16 साल तक निलंबित रखा हुआ था. जून, 2020 में मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के नेतृत्व वाली समिति ने सचिन वझे के निलंबन को वापस ले लिया था, जिसके बाद उनकी वापसी हुई थी. परमबीर सिंह ने उनकी तैनाती प्रतिष्ठित मुंबई क्राइम ब्रांच में किया था.
सचिन वझे का पूरा नाम सचिन हिंदुराव वझे है. मूल रूप से वझे महाराष्ट्र के कोल्हापुर ज़िले से हैं. 1990 में उनका चयन महाराष्ट्र पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुआ था. वझे को पहली नियुक्ति नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली ज़िले में मिली थी. इसके बाद 1992 में उनका तबादला ठाणे हुआ।
मुंबई में अंडरवर्ल्ड का दबदबा 1990 के दशक में शुरू हुआ, दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन और अरुण गवली जैसे गैंगस्टरों के चलते मुंबई की गलियां ख़ून से रंगने लगी, तब मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के ख़िलाफ़ अभियान शुरू किया था। मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के शॉर्प शूटरों का एक के बाद एक एनकाउंटर करना शुरू कर दिया, इसी समय सचिन वझे का ट्रांसफ़र मुंबई हुआ वहां उनकी तैनाती मुंबई क्राइम ब्रांच में हुई थी। वझे उन दिनों प्रदीप शर्मा के अधीन काम करते थे, और प्रदीप शर्मा की पहचान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर की जाती थी। शर्मा अंधेरी अपराध इंटेलिजेंस यूनिट का नेतृत्व कर रहे थे।
पहली बार सचिन वझे तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने मुन्ना नेपाली का एनकाउंटर किया था. 2004 में निलंबित होने से पहले तक सचिन वझे मुंबई के क्राइम ब्रांच में ही तैनात थे.
ख़्वाजा यूनुस मामले में निलंबन
सचिन वझे मुंबई क्राइम ब्रांच में थे और दिसंबर, 2002 में घाटकोपर धमाके की जाँच कर रहे थे। इसी मामले में पूछताछ के लिए ख़्वाजा यूनुस को पकड़ा था। और पुलिस ने दावा किया कि ख़्वाजा पुलिस हिरासत से 2003 में भाग निकला, परंतु उसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों पर पुलिस हिरासत में ख़्वाजा को जान से मार देने का आरोप लगा और कुछ अधिकारियों पर इस सिलसिले में मुक़दमा दर्ज हुआ। सचिन वझे उनमें से एक थे। पुलिस हिरासत के दौरान ख़्वाजा की हत्या के आरोप में सचिन वझे को 14 अन्य अधिकारियों के साथ मई 2004 में निलंबित कर दिया गया। 2008 में जब ख़्वाजा के मौत की 1000 पन्नों की चार्ज़शीट दाखिल हुई तब उसमें अन्य अधिकारियों के साथ सचिन वझे का नाम भी शामिल था.
नौकरी से इस्तीफ़ा और शिवसेना में शामिल
तीन साल का निलंबन झेलने के बाद सचिन वझे ने 2007 में महाराष्ट पुलिस से इस्तीफ़ा दे दिया परंतु सरकार ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया, फिर भी इस्तीफ़ा देने के बाद, सचिन वझे 2008 में बाला साहेब ठाकरे की उपस्थिति में शिवसेना में शामिल हो गए। शिवसेना से जुड़ने के बाद भी सचिन वझे राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं हुए. हालांकि वे शिवसेना के प्रवक्ता के तौर पर कुछ समाचार चैनलों पर एक आध बार ज़रूर दिखाई दिए।
अर्णब गोवास्मी की गिरफ़्तारी का मामला
सचिन वझे मुंबई पुलिस के टैक्नो सेवी अधिकारी के तौर पर जाने जाते थे। सचिन वझे मुंबई पुलिस के पहले ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने साइबर अपराधियों को पकड़ा था। 1997 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड रैकेट का पर्दाफ़ाश किया था. उनके साथी उन्हें टेक्नो सेवी अधिकारी के तौर पर बुलाते हैं.
सचिन वाझे को राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बेहद क़रीबी माना जाता है. कुछ महीने पहले अन्वय नायक सूसाइड केस में पुलिस ने रिपब्लिक चैनल के एडिटर अर्णब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया था. उस वक्त मुंबई पुलिस टीम का नेतृत्व सचिन वझे ही कर रहे थे. सचिन वझे ही अर्णब गोस्वामी के चैनल से जुड़े कथित टीआरपी स्कैम की जाँच भी कर रहे हैं.
सचिन वाझे 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए चरमपंथी हमले पर मराठी में एक किताब भी लिख चुके हैं.
16 साल तक सस्पेंड रहे सचिन वझे कौन हैं?
फड़णवीस के आरोपों के बाद मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा, "मुझे मनसुख हीरने के मौत की कोई जानकारी नहीं थी. हीरेन ने मुंबई पुलिस कमिश्नर और ठाणे पुलिस में एक शिकायत दी थी। जिसके मुताबिक़ पुलिस और कुछ पत्रकार उनका उत्पीड़न कर रहे थे, मैं इस मामले की जांच के लिए वहां गया था."
इससे पहले सचिन वझे तब चर्चा में आए थे जब टीवी पत्रकार अर्णब गोस्वामी को हिरासत में लेने पहुँची टीम में उन्हें देखा गया था. ऐसे में सवाल यह है कि कौन है यह पुलिस अधिकारी जिसकी इतनी चर्चा हो रही है.
मुंबई पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर मशहूर सचिन वझे अस्सिटेंट इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. इन दिनों वे मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख हैं. इस यूनिट की ज़िम्मेदारी मुंबई में होने वाले अपराधों के बारे में ख़ुफ़िया जानकारी एकत्रित करके अपराध को रोकना है.
लेकिन यह जानना भी दिलचस्प है कि सचिन वझे को मुंबई पुलिस ने 16 साल तक निलंबित रखा हुआ था. जून, 2020 में मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के नेतृत्व वाली समिति ने सचिन वझे के निलंबन को वापस ले लिया था, जिसके बाद उनकी वापसी हुई थी. परमबीर सिंह ने उनकी तैनाती प्रतिष्ठित मुंबई क्राइम ब्रांच में किया था.
सचिन वझे का पूरा नाम सचिन हिंदुराव वझे है. मूल रूप से वझे महाराष्ट्र के कोल्हापुर ज़िले से हैं. 1990 में उनका चयन महाराष्ट्र पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुआ था. वझे को पहली नियुक्ति नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली ज़िले में मिली थी. इसके बाद 1992 में उनका तबादला ठाणे हुआ।
मुंबई में अंडरवर्ल्ड का दबदबा 1990 के दशक में शुरू हुआ, दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन और अरुण गवली जैसे गैंगस्टरों के चलते मुंबई की गलियां ख़ून से रंगने लगी, तब मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के ख़िलाफ़ अभियान शुरू किया था। मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के शॉर्प शूटरों का एक के बाद एक एनकाउंटर करना शुरू कर दिया, इसी समय सचिन वझे का ट्रांसफ़र मुंबई हुआ वहां उनकी तैनाती मुंबई क्राइम ब्रांच में हुई थी। वझे उन दिनों प्रदीप शर्मा के अधीन काम करते थे, और प्रदीप शर्मा की पहचान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर की जाती थी। शर्मा अंधेरी अपराध इंटेलिजेंस यूनिट का नेतृत्व कर रहे थे।
पहली बार सचिन वझे तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने मुन्ना नेपाली का एनकाउंटर किया था. 2004 में निलंबित होने से पहले तक सचिन वझे मुंबई के क्राइम ब्रांच में ही तैनात थे.
ख़्वाजा यूनुस मामले में निलंबन
सचिन वझे मुंबई क्राइम ब्रांच में थे और दिसंबर, 2002 में घाटकोपर धमाके की जाँच कर रहे थे। इसी मामले में पूछताछ के लिए ख़्वाजा यूनुस को पकड़ा था। और पुलिस ने दावा किया कि ख़्वाजा पुलिस हिरासत से 2003 में भाग निकला, परंतु उसकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों पर पुलिस हिरासत में ख़्वाजा को जान से मार देने का आरोप लगा और कुछ अधिकारियों पर इस सिलसिले में मुक़दमा दर्ज हुआ। सचिन वझे उनमें से एक थे। पुलिस हिरासत के दौरान ख़्वाजा की हत्या के आरोप में सचिन वझे को 14 अन्य अधिकारियों के साथ मई 2004 में निलंबित कर दिया गया। 2008 में जब ख़्वाजा के मौत की 1000 पन्नों की चार्ज़शीट दाखिल हुई तब उसमें अन्य अधिकारियों के साथ सचिन वझे का नाम भी शामिल था.
नौकरी से इस्तीफ़ा और शिवसेना में शामिल
तीन साल का निलंबन झेलने के बाद सचिन वझे ने 2007 में महाराष्ट पुलिस से इस्तीफ़ा दे दिया परंतु सरकार ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया, फिर भी इस्तीफ़ा देने के बाद, सचिन वझे 2008 में बाला साहेब ठाकरे की उपस्थिति में शिवसेना में शामिल हो गए। शिवसेना से जुड़ने के बाद भी सचिन वझे राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं हुए. हालांकि वे शिवसेना के प्रवक्ता के तौर पर कुछ समाचार चैनलों पर एक आध बार ज़रूर दिखाई दिए।
अर्णब गोवास्मी की गिरफ़्तारी का मामला
सचिन वझे मुंबई पुलिस के टैक्नो सेवी अधिकारी के तौर पर जाने जाते थे। सचिन वझे मुंबई पुलिस के पहले ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने साइबर अपराधियों को पकड़ा था। 1997 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड रैकेट का पर्दाफ़ाश किया था. उनके साथी उन्हें टेक्नो सेवी अधिकारी के तौर पर बुलाते हैं.
सचिन वाझे को राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बेहद क़रीबी माना जाता है. कुछ महीने पहले अन्वय नायक सूसाइड केस में पुलिस ने रिपब्लिक चैनल के एडिटर अर्णब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया था. उस वक्त मुंबई पुलिस टीम का नेतृत्व सचिन वझे ही कर रहे थे. सचिन वझे ही अर्णब गोस्वामी के चैनल से जुड़े कथित टीआरपी स्कैम की जाँच भी कर रहे हैं.
सचिन वाझे 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए चरमपंथी हमले पर मराठी में एक किताब भी लिख चुके हैं.
0 टिप्पणियाँ