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उल्हासनगर पुलिस ने कहा हमें गोडाउन खोलने का अधिकार नहीं! गोडाउन में था लाखों का गुटखा!!

उल्हासनगर पुलिस का अनोखा कारनामा, गोदाम में भरा था गुटखा पुलिस ने कहा खोलने का हमें अधिकार नहीं! उपनिरीक्षक माली जिन्होंने लाखों का प्रतिबंधित गुटखा छोड़ दिया बिना कार्रवाई के और चले गए। 

पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकती सिर्फ अन्न व औषधि प्रशासन ही कार्रवाई कर सकता है। इसलिए सुबह कार्रवाई करेंगे। रातभर में माल हो गया गायब, पुलिस ने अपने ताबे में नहीं लिया दुकान और गोडाउन। गोडाउन के दो रुम में भरा था गुटखा, दस लाख से भी अधिक का हो सकता था प्रतिबंधित गुटखा पुलिस ने गुटखा व्यापारी के भरोसे छोड़ा माल और कोई कार्रवाई नहीं की। उल्हासनगर पुलिस स्टेशन की हद में सिरु चौक, सुन्दरी अपार्टमेंट के पास वाहेगुरु किराना और जनरल स्टोर में गुटखा बिकता है ऐसी जानकारी मिलने पर अग्निपर्व टाइम्स संपादक वहां पहुंचे तो देखा एक आदमी करीब तीन हजार का प्रतिबंधित विमल गुटखे के साथ और दो तीन तरह का गुटखा खरीद रहा था। हमने खरीदने वाले को पकड़ लिया यह देख दुकान और गोडाउन मालिक अपनी दुकान में ताला बंद कर भाग गया। उसके बाद हमने उल्हासनगर पुलिस कंट्रोल रूम को फोन पर सूचना दी। पहली बार सूचना देने के बाद करीब आधा घंटे बाद फिर कंट्रोल रूम को फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि हमने सूचना दी है, आप भी पुलिस स्टेशन फोन किजिए हमने पुलिस स्टेशन फोन किया वहां फोन पर मौजूद पुलिसकर्मी ने पता लिखा और आश्वासन दिया कि मैं बीट वालों को भेजता हूँ। परंतु पुलिस न आता देख ठाणे कंट्रोल रूम और मुंबई पुलिस महानिदेशक कंट्रोल को फोन पर सूचना देनी पड़ी। वरिष्ठ निरीक्षक आर.बी.कदम को फोन किया पहले तो उन्होंने फोन उठाया नहीं जब दोबारा फोन किया तो उन्होंने सहायता भेजने का आश्वासन दिया और पंद्रह से बीस मिनट में डीबी के चार कर्मचारी वहां पहुंचे उन्होंने ताला बंद देखा और कहा किसी वरिष्ठ के बगैर हम ताला नहीं तोड़ सकते। पुलिस के पहुंचने के बाद वहां भारत धराड़े भी आ गये जिनके पास गुटखा कारोबारियों से हफ्ता वसुली का ठेका है। यह सब करते हुए तीन घंटे बीत चुका था और घड़ी ने नौ बजा दिया था। दुकानें बंद होने लगी थी तभी वर्दी धारण किए हुए सहायक पुलिस उपनिरीक्षक माली अपने सहयोगी के साथ आ गये। उन्होंने आते ही कहा "उसी समय पुलिस स्टेशन क्यों नहीं गये? अन्न व औषधि प्रशासन को फोन क्यों नहीं किया? सारा काम पुलिस ही करेगी तो और डिपार्टमेंट किस लिए हैं?" इन सवालों के बीच में ही गुटखा व्यापारी का सहयोगी आ गया और साहब को ठंडे और पानी के लिए पूछने लगा, किनारे जाकर न जाने क्या बात हुई, साहब कहने लगे यह काम पुलिस का नहीं है, बाहर माल पड़ा होता तो हम ताबे में ले लेते। अब सुबह फुड वाले आयेंगे तब वही कार्रवाई करेंगे। हमने कहा दरवाजे को सील कर दिजिए एक पुलिस कांस्टेबल दिजिए उनके साथ हम सारी रात रखवाली करेंगे। तब साहब ने जवाब दिया हमारे पास पुलिस नहीं है! हमने कहा हम रातभर बैठेंगे उन्होंने कहा तुम्हें जो करना है करो हम जा रहे हैं और इस तरह पुलिस विभाग के सारे कर्मचारी चले गये। हम रात ग्यारह बजे तक वहां बैठे रहे परंतु अवांछित लोगों का जमावड़ा होते देख अनहोनी की आशंका भांपते हुए हम लोग भी रात 11बजे वहां से अपने-अपने घर चले गये। यह घटनाक्रम 1 मार्च 2021 सोमवार शाम 5.30 से शुरू होकर रात 11:00 बजे तक चला। आपके लिए यह जानना जरूरी है कि किस तरह कर्तव्य दक्षता से हमारे राज्य की पुलिस कार्य करती है, पुलिस प्रशासन को हमारे और आपके टैक्स से तनख्वाह तो जरूर मिलती है। परंतु उनको हमारी और आपकी चिंता बिल्कुल नहीं है। जन प्रतिनिधि के तौर पर आमदार, पालकमंत्री और गृहमंत्री पुलिस विभाग के भ्रष्टाचार की कथा रोज देखते और सुनते हैं। फिर भी कोई कार्यवाही नहीं होती क्यों? क्योंकि पुलिस अधिकारी बड़ी शान से कहते हैं पैसा उपर तक जाता है। अब आम जनता का रखवाला तो भगवान ही है। 

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