ताजा ख़बर

6/recent/ticker-posts

पुलिस हवलदार भारत धराड़ेे प्रतिबंधित गुटखा बेचने वालों से वसुली कर डेढ़ लाख देंगें कदम साहब को।

पुलिस वरिष्ठ निरीक्षक आर.बी.कदम ने गुटखे वालों से वसुली का ठेका डेढ़ लाख में भारत धराड़े को दिया!!

ठाणे परिमंडल ४ के उल्हासनगर पुलिस स्टेशन में तीन वसुलीबाज (कलेक्टर)। पुलिस हवलदार भारत धराड़े ने गुटखा बेचने वालों से डेढ़ लाख वसुल कर देने का किया वादा पहले मिलता था एक लाख।ठाणे जिले के ज्यादातर पुलिस थानों में अवैध धंधो से वसुली का ठेका एक पुलिस सिपाही को दिया जाता है। वह सिपाही वसुली के सिवा दूसरा काम नहीं करता, कभी वर्दी नहीं पहनता दिन भर कंही भी रहता है पर उसकी हाजिरी लगी रहती है। ऐसा पुलिस सिपाही बढिया कार से चलता है। ऐसा कहना गलत न होगा की करोड़पति होता है। इसीलिए हर पुलिसकर्मी(कलेक्टर) वसुली बाज बनना चाहता है। होड़ सी लगी रहती है पुलिस थानों में कलेक्टर बनने की। अब तो जानकारी यहां तक मिल रही है कि कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी  अपने-अपने लिए वसुलीबाज रख लिया है। 
उल्हासनगर पुलिस स्टेशन में जबसे आर.बी.कदम ने वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक का पदभार संभाला है तबसे इन्होने अवैध वसुली में होड़ लगा दी है। जो ज्यादा वसुली करके देने की बात करता है उसीको वसुली का ठेका दे देते हैं। सुत्रों से पता चला है कि उल्हासनगर पुलिस स्टेशन की हद में अवैध गुटखा बेचने वालों से पुराना वसुलीबाज हर महीने १ लाख ही वसुल कर देता था। इसपर पुलिसकर्मी भारत धराड़े ने बोली लगाते हुए कहा है कि मैं हर महीने १ लाख ५० हजार वसुल कर दूंगा। ज्यादा मिलता देख कदम साहब के मुह में पानी आते देर न लगी और उन्होंने धराड़े को जिम्मेदारी सौंप दी। धराड़े पूरा दिन बाइक से सभी गुटखा विक्रेताओं के यहाँ चक्कर लगाकर उनसे बोल दिया कि अगले महीने से पैसे बढाकर देने होंगे और वसुली के लिए मैं आऊंगा। सबको साहब से मिलने का फरमान भी सुनाया। सभी गुटखा विक्रेता जमा तो हुए पर बढ़ी हुई रकम देने में आनाकानी करने लगे इस पर नाराज धराड़े ने बिना मामला दर्ज किये ही कई लोगों का माल उठवा लिया। शहर में ऐसी चर्चा जोरों पर है। भारत धराड़े के संबंध खूनी और अवैध कारोबारियों से होने के चलते इन्हें कल्याण कंट्रोल में  सुधरने के लिए महिनों तक बैठा दिया गया था फिर भी धराड़े हैं कि सुधरने का नाम ही नहीं लेते। क्या इस तरह के पुलिस कर्मियों से न्याय की अपेक्षा की जा सकती है। यह एक विचारणीय प्रश्न है। पुलिस कानूनों में सुधार लाने की सख्त आवश्यकता है। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ