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उमनपा के सामने उपोषण पर अन्याय विरोधी संघर्ष समिति, युवराज भदाने को बर्खास्त करने की मांग।

उल्हासनगर महानगर पालिका में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत है कि उसे उखाड़ने के लिए 11 दिनों की भूख हड़ताल के बाद, देनी पड़ी आत्महत्या की चेतावनी!
   उपोषण पर बैठे दिलिप मााालवणकर

उमनपा के सामने वरिष्ठ पत्रकार, शिवसैनिक, पूर्व शिवसेना नगरसेवक दिलिप मालवणकर 11 दिनों से उपोषण पर बैठे हैं, पर उमनपा में सत्ता में बैठी शिवसेना ने उनकी सुध नहीं ली और न ही उमपा आयुक्त भ्रष्टाचार के विषय में गंभीर दिखाई दे रहे हैं। इससे आहत होकर दिलिप मालवणकर ने आत्महत्या की चेतावनी दी!!
   उपोषण के समर्थन में आये लोग

उपरोक्त साखली उपोषण युवराज भदाने को मुवत्तल कराने के लिए किया जा रहा है। युवराज पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं जैसे टैक्स घोटाला, कई जरूरी फाईलों को जलवाकर सबूत मिटाने का मामला, फर्जी पहचान पत्र रखने का मामला, जो फाइलें विभाग में होनी चाहिए उन फाईलों को अपने कक्ष में दबाकर रखने के प्रयास का मामला, दो जन्म प्रमाणपत्र होना, डाक्टरेट उपाधि का मामला, उमनपा में सेवारत होने के लिए फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र दाखिल करने के आरोपों के अलावा और कई आरोपों से घिरे हैं युवराज भदाने! फिर भी न जाने क्यों मेहरबान है उल्हासनगर और महाराष्ट्र के सत्ताधारी जबकि भदाने का सेवाकाल विवादों से घिरा हुआ है। युवराज भदाने उमनपा में पद पाने से पहले इतने गरीब थे कि चाय के स्टाल पर नौकरी करने पर मजबूर थे, आज अरबों की संपत्ति के मालिक हैं। आखिर उल्हासनगर मनपा में जनसंपर्क अधिकारी बनते ही कौन सा अलादीन का चिराग हाथ लग गया या फिर किससे संपर्क हो गया जहाँ से इतनी संपत्ति अर्जित हो गयी यह भी जांच का विषय है। पर उसकी जांच क्या होगी जो कई विधायकों से अपनी पदोन्नति का पत्र उमनपा आयुक्त को दिलवाने की क्षमता रखता हो, जो उमनपा की महासभा में पदोन्नति का प्रस्ताव पास करवा सकता हो, प्रस्ताव पास कराने के लिए उल्हासनगर के कुछ नगरसेवकों पार्टी प्रमुखों को छोड़कर बाकी सबको लिफाफा पहुंचाने की क्षमता रखता हो ऐसी चर्चा शहर में चल रही है। इससे ज्यादा बताने की जरूरत अब नहीं होनी चाहिए हर कोई सोच और समझ सकता हैं, अलग अलग विधानसभा के विधायकों को युवराज भदाने की पदोन्नति से क्या लाभ? उन्हें पत्र देने की जरूरत क्यों पड़ी? आखिर उन्हें उल्हासनगर की इतनी चिंता क्यों सता रही है? या फिर युवराज भदाने की इतनी चिंता क्यों हो रही है? इस तरह महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी मजबूत हैं यह बताने और समझााने की जरूरत नहीं है। फिर भी इस विषय पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री गंभीर नहीं हैं तो क्या यह मान लिया जाय भ्रष्टाचार को उनका मूक समर्थन प्राप्त है। यह अब सोच का विषय बनता जा रहा है। आरोपों से घिरे उल्हासनगर के युवराज,       युवराज भदाने 

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