उल्हासनगर महानगर पालिका अपनी मस्ती में मस्त!
ठाणे जिले के उल्हासनगर मनपा क्षेत्र में शहर की कई प्रमुख सड़कों की दुकानों पर छिले हुए मांस को दुकानों में खुले तौर पर लगे हुए हुकों में लटका दिया जाता है जिस पर धूल मिट्टी के साथ ही बीमारी फैलाने वाली मक्खियाँ बैठती हैं।
उल्हासनगर शहर की कई प्रमुख सड़कों पर नुमाइश कर बकरे बकरी भेंड व मुर्गी का मांस बेचा जाता है। जिससे कई संसर्गजन्य बीमारीयों के फैलने की आशंका बनी रहती है। यह आशंका मांस खाने वालों के साथ ही न खाने वालों पर भी बनी रहती है। क्योंकि रोग फैलाने वाली मक्खियाँ कौन मांस खाता है कौन नहीं यह पहचानकर नहीं बैठती। सड़कों पर चलनेवाले लोगों को भी इन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
सड़कों पर चलने वाले बहुत से लोग मास मछली का सेवन नहीं करते ऐसे लोगों का तो ऐसी स्थिति में सड़कों पर चलना भी दूभर हो जाता है। अक्सर ऐसे लोग सड़कों पर थूकते और उबकाई लेते हुए दिखाई देते हैं। वहीं महिलाएं तो उल्टी तक कर देती हैं। जैन धर्म मानने वाले लोग तो इस तरह की सड़कों से गुजरना भी पसंद नहीं करते। क्या जो लोग मास मछली का सेवन नहीं करते उनको अपनी जिंदगी अपनी तरह से जीने का कोई अधिकार नहीं है? क्या इस तरह से नुमाइश के सिवा मास मछली नहीं बेची जा सकती है ? यह सवाल शहर के नेतृत्व के साथ ही समाज सेवकों और उल्हासनगर महानगर पालिका प्रशासन से है। कब लोग इस ओर ध्यान देंगे?।
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