खुदकुशी के एक पुराने मामले में मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया। अर्नव गोस्वामी रिपब्लिक भारत संपादक
अग्नि पर्व टाइम्स संवाददाता मुंबई -
रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को 53 साल के एक इंटीरियर डिजाइनर और उनकी मां की आत्महत्या के एक दो वर्ष पुराने मामले में मुंबई पुलिस ने बुधवार की सुबह सुबह उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। रिपब्लिक न्यूज चैनल का दावा है कि अर्नब को उस मामले में गिरफ्तार किया गया है, जो पहले ही बंद किया जा चुका है। पुलिस महानिरीक्षक (कोंकण रेंज) संजय मोहिते ने पुष्टि की, कि अर्नब गोस्वामी को रायगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हालांकि, उन्होंने अधिक विवरण देने से इनकार कर दिया। अर्नब को अलीबाग ले जाया जा रहा है। मुंबई पुलिस ने आधिकारिक तौर पर नहीं बताया है कि अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी किस मामले में हुई है। बताया जा रहा है कि डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक की कथित आत्महत्या के मामले में उकसाने के आरोप में आईपीसी की धारा 306 के तहत अर्नब को गिरफ्तार किया गया है।मई 2018 में आत्महत्या से पहले लिखे एक खत में अन्वयनाइक ने आरोप लगाया था कि अर्नब गोस्वामी ने रिपब्लिक नेटवर्क के स्टूडियो का इंटिरियर डिजाइन कराने के बाद भुगतान नहीं किया गया था।
अर्नब गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस ने सुबह घर में घुसकर उनके साथ हाथापाई की है। रिपब्लिक टीवी चैनल ने वीडियो क्लिप शेयर किए हैं, जिनमें पुलिस गोस्वामी के घर के अंदर घुसती दिख रही है और झड़प भी हो रही है। एएऩआई के मुताबिक, अर्णब गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस ने उनके ससुर, सास, बेटे और पत्नी के साथ मारपीट की है। रिपब्लिक टीवी पर जो वीडियो चल रहे हैं, उसमें दावा किया जा रहा है कि पुलिस अर्णब से बदसलूकी करती दिख रही है।
जावड़ेकर ने की गिरफ्तारी की निंदा
अर्नब गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस ने सुबह घर में घुसकर उनके साथ हाथापाई की है। रिपब्लिक टीवी चैनल ने वीडियो क्लिप शेयर किए हैं, जिनमें पुलिस गोस्वामी के घर के अंदर घुसती दिख रही है और झड़प भी हो रही है। एएऩआई के मुताबिक, अर्णब गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस ने उनके ससुर, सास, बेटे और पत्नी के साथ मारपीट की है। रिपब्लिक टीवी पर जो वीडियो चल रहे हैं, उसमें दावा किया जा रहा है कि पुलिस अर्णब से बदसलूकी करती दिख रही है।
जावड़ेकर ने की गिरफ्तारी की निंदा
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा की है और महाराष्ट्र सरकार पर हमला बोला है। प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया, 'हम महाराष्ट्र में प्रेस की आजादी पर हमले की निंदा करते हैं। यह प्रेस के साथ बर्ताव का तरीका नहीं है। यह हमें आपातकाल के उन दिनों की याद दिलाता है जब प्रेस के साथ इस तरह से व्यवहार किया गया था।'
जानें क्या था मामला
दरअसल, यह मामला 2018 का है, जब एक 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक ने मई 2018 में अलीबाग में आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद एक सुसाइड नोट मिला था, जो कथित तौर पर अन्वय द्वारा लिखा गया था। इस सुसाइड नोट में उन्होंने कहा था कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य ने उन्हें 5.40 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया, जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा है।
53 वर्षीय इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक मई 2018 में अलीबाग तालुका के कावीर गांव में अपने फार्महाउस पर मृत पाए गए थे। अन्वय फर्स्ट फ्लोर पर मृत पाए गए, जबकि उनकी मां का शव ग्राउंड फ्लोर पर मिला था। इसके बाद 48 वर्षीय अन्वय की पत्नी अक्षता नाइक ने मामला दर्ज कराया था। उस घटना के बाद जो सुसाइड नोट मिला, उसमें मृतक ने आरोप लगाया था कि उसे और उसकी मां को अपनी जिंदगी समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उन्हें अर्नब गोस्वामी और दो अन्य फिरोज शेख और नितेश सरदा के द्वारा 5.40 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया। तत्कालीन पुलिस को सबूत न मिलने से मामले में कोर्ट के आदेश पर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी। पर बदले की भावना में सरकार ने आनन फानन में केस को दुबारा खुलवाया और सारी कानूनी प्रक्रिया को ताक पर रखकर गिरफ्तार कर लिया।
मई 2020 में अन्वय नाइक की बेटी अदन्या ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख से दोबारा जांच करने की गुहार लगाई। अदन्या ने आरोप लगाया कि अलीबाग पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की थी। इसके बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने नए सिरे से जांच की घोषणा की। इससे पहले स्थानीय पुलिस ने यह कहते हुए मामला बंद कर दिया था कि मामले में दर्ज लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे।फिर अचानक सबूत कहां से आ गये।
धर्मेंद्र प्रधान और स्मृति ईरानी ने की निंदा
जानें क्या था मामला
दरअसल, यह मामला 2018 का है, जब एक 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक ने मई 2018 में अलीबाग में आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद एक सुसाइड नोट मिला था, जो कथित तौर पर अन्वय द्वारा लिखा गया था। इस सुसाइड नोट में उन्होंने कहा था कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य ने उन्हें 5.40 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया, जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा है।
53 वर्षीय इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक मई 2018 में अलीबाग तालुका के कावीर गांव में अपने फार्महाउस पर मृत पाए गए थे। अन्वय फर्स्ट फ्लोर पर मृत पाए गए, जबकि उनकी मां का शव ग्राउंड फ्लोर पर मिला था। इसके बाद 48 वर्षीय अन्वय की पत्नी अक्षता नाइक ने मामला दर्ज कराया था। उस घटना के बाद जो सुसाइड नोट मिला, उसमें मृतक ने आरोप लगाया था कि उसे और उसकी मां को अपनी जिंदगी समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि उन्हें अर्नब गोस्वामी और दो अन्य फिरोज शेख और नितेश सरदा के द्वारा 5.40 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया। तत्कालीन पुलिस को सबूत न मिलने से मामले में कोर्ट के आदेश पर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी। पर बदले की भावना में सरकार ने आनन फानन में केस को दुबारा खुलवाया और सारी कानूनी प्रक्रिया को ताक पर रखकर गिरफ्तार कर लिया।
मई 2020 में अन्वय नाइक की बेटी अदन्या ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख से दोबारा जांच करने की गुहार लगाई। अदन्या ने आरोप लगाया कि अलीबाग पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की थी। इसके बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने नए सिरे से जांच की घोषणा की। इससे पहले स्थानीय पुलिस ने यह कहते हुए मामला बंद कर दिया था कि मामले में दर्ज लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे।फिर अचानक सबूत कहां से आ गये।
धर्मेंद्र प्रधान और स्मृति ईरानी ने की निंदा
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रजातंत्र में इससे खराब दिन कुछ नहीं हो सकता। वरिष्ठ पत्रकार से ऐसा अमानवीय व्यवहार करने की कड़ी से कड़ी भाषा में निंदा करना भी कम है। ये राजनीतिक उद्देश्य से किया गया है, हम इसकी निंदा करते हैं।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ईरानी ने ट्वीट कर कहा, 'स्वतंत्र प्रेस के लोग अगर आज अर्नब के समर्थन में खड़े नहीं होते हैं, तो आप रणनीतिक रूप से फासीवाद के समर्थन में हैं। आप भले ही उन्हें पसंद नहीं करते हों, आप उनको चाहे मान्यता नहीं देते हों, भले ही आप उनकी उपस्थिति को नजर अंदाज करते हों लेकिन अगर आप चुप रहे तो आप दमन का समर्थन करते हैं। अगर अगले शिकार आप होंगे, तो फिर कौन बोलेगा?'
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