बिहार के मुंगेर जिले में नवरात्रि समापन के बाद माता कि प्रतिमा विसर्जन करने जा रहे लोगों से झड़प के बाद फायरिंग एक २२ वर्षीय नवयुवक की गोली लगने से मौके पर मौत सत्ताइस घायल, घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। लोगों ने पुलिस पर फायरिंग का लगाया आरोप लगाया।
हिन्दूओं का त्योहार आया नहीं कि सुप्रीम कोर्ट भी शुरु, कई सारे NGO भी अनेकों सलाह देने खड़े हो जाते हैं। क्या सारी बदहाली के लिए हिन्दू ही जिम्मेदार हैं? यह सवाल सारे हिन्दूओं से है? आखिर कब हम अपना त्योहार शांति और सौहार्दपूर्ण तरीके से मना पायेंगे? हमारे देश की धर्मनिरपेक्षता का मतलब कहीं यह तो नहीं हिन्दू अपने त्योहार मनाने छोड़ दे मंदिर छोड़ दे एक गुलामों सी जिंदगी जिये, अब यह सोचने का समय आ गया है। आखिर विसर्जन के लिए जा रहे लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से विसर्जन कर सकें ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं दे पाया प्रशासन? लोगों ने किया क्या था जिसके बदले में उन्हें गोलियाँ खानी पड़ी। २६ अक्टूबर को बिहार के मुंगेर जिले में दीनदयाल चौक से माता दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जन करने जा रहे लोगों पर फायरिंग कर दी गयी जिसमें एक २२ वर्षीय निर्दोष युवक की गोली लगने से मौत हो गयी और २७ लोग घायल होकर अस्पताल पहुंच गये। किसने गोली चलाई और किसने चलवायी यह जांच का विषय है। परंतु हिन्दू त्योहारों पर व्यस्था देने में चूक कैसे हो जाती है? अब इसकी जांच होगी और होनी भी चाहिए! परंतु उस माता के लाल का क्या? वह अब वापस आयेगा? जांच से मिल जायेगा? आखिर हिन्दूस्तान में कब तक हिन्दूओं को यह दर्द सहना पड़ेगा इसका जवाब तो भविष्य के गर्त में छुपा है। इसके पहले महाराष्ट्र में दो साधुओं की हत्या पुलिस के सामने हो जाती है और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना देखता रह जाता है। बचाने की कोशिश भी नहीं करता ऐसे ही चलेगी हमारे देश की व्यवस्था। क्या अब भारत में हिन्दू सुरक्षित हैं कभी-कभी यह सवाल मन में उठता है!
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