अपटा संवाददाता उल्हासनगर
ठाणे जिले के कल्याण तालुका खड़ेगोलवली में विजया दशमी के शुभ अवसर पर विराट हिन्दू शक्ति के कार्यालय का लोकार्पण ठाणे जिला अध्यक्ष संदीप सिंह के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। कल्याण पुर्व के खड़ेगोलवली में विराट हिन्दू शक्ति के कार्यालय का उद्घाटन कोरोना महामारी को देखते हुए एक सादे समारोह में विजया दशमी के शुभ अवसर पर किया गया। जहाँ संस्था के उपाध्यक्ष विवेक त्रिवेदी संयोजक विजय (लाला) दुबे कल्याण जिला संगठक योगेन्द्र यादव कल्याण जिला अध्यक्ष श्रीनिवास वैश्यकियार जिला संयोजक संजय सिंह प्रचार प्रमुख रितेश उपाध्याय दुर्गा वाहिनी प्रमुख गायत्री देवरुखकर, अविनाश सिंह, अशोक झा, के अलावा शहर के कई गणमान्य लोगों के साथ सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे। लोकार्पण समारोह विराट हिन्दू शक्ति अखिल भारतीय संरक्षक हर्षल साल्वी के मार्गदर्शन में ठाणे जिला अध्यक्ष संदीप सिंह द्वारा दीप प्रज्वलित कर गणपति बप्पा मोरया, जय श्रीराम और हनुमानजी की जय केे साथ संपन्न हुआ कार्यकर्ताओं का हर्षोल्लास देखते ही बन रहा था। वहां उपस्थित लोगों का मुह मिठा कराया गया। सारा माहौल राममय था।
नारियल फोड़ कर कार्यालय प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करते हुए अध्यक्ष संदीप सिंह और सहयोगी।
एक और हिन्दू संगठन की क्या आवश्यकता, पुछने पर संदीप सिंह ने कहा कि हम अपनी तरह से लोगों के घरों तक हिन्दू संस्कृति को पहुंचाना चाहते हैं। भगवान राम के उद्देश्य और विचारों को लोग भूलते जा रहे हैं। जो की हिन्दूओं के लिए सही नहीं है। भगवान राम की शांत छवि की बातें तो सभी करते हैं। परंतु जब धर्म की हानि होती थी तब राम भी क्रोधित होते थे, धर्मरक्षा के लिए ही राम धरती पर आये और रावण के साथ अन्य कई दैत्यों का उन्होेंने संहार किया। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे उन्होंने मर्यादा का उल्लंघन करने वाले बाली को मार गिराया। जिसने रावण जैसे महाबली को छह मास तक अपनी कांख में दबाकर रखा था।
हिन्दू धर्म में मर्यादाओं का बहुत मोल है। हम यह हर घर तक पहुंचाना चाहते हैं। ताकि देश में हो रहा महिलाओं पर अत्याचार, भ्रष्टाचार रुक सके। रामायण को जिवन में सामिल करने से सारे व्यभिचार नष्ट हो जायेंगे रामचरित मानस की एक चौपाई में यह स्पष्ट रुप से लिखा है। "अनुज वधू भगिनी सुत नारी, सुनु सठ कन्या सम ए चारी" यह चौपाई यह बताती है छोटे भाई की पत्नी, पुत्रवधु, बहन और कन्या यह एक समान हैं। इन पर कभी कुदृष्टि नहीं रखनी चाहिए यह महापाप है, कुदृष्टि रखने वाले को मार देना न्याय संगत है। इसी तरह समुद्र के रास्ता न देने पर भी श्रीराम का क्रोध देखते ही बनता था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हमें सिखाते हैं आप शांत और गंभीर रहिए परंतु धर्म की हानि पर क्रोधित भी जरूर होइये तभी धर्म बचेगा और जब धर्म बचेगा। धर्म के मार्ग पर चलते हुए हम धर्म की रक्षा करेंगे तभी धर्म हमारी रक्षा कर सकेगा। हम हिन्दूओं को धर्मरक्षक व धर्म पालक बनाना चाहते हैं।ऐसा अध्यक्ष संदीप सिंह ने अग्निपर्व टाइम्स से बातचीत में बताया।
0 टिप्पणियाँ