ठाणे हफ्ता विरोधी प्रकोष्ठ के वरिष्ठ निरीक्षक राजकुमार कोथमिरे के काले कारनामे उजागर होने शुरू हो गये हैं। मुंबई से जानकारी मिली है कि घाटकोपर में तैनाती के समय गलती राजकुमार कोथमिरे ने की और गलती की सजा महाराष्ट्र राज्य अतिरिक्त मुख्य गृृृहसचिव को मिली।
राजकुमार कोथमिरे के घाटकोपर तैनाती के समय निवासी विजय पाखरे ने 30 दिसंबर 2011 को घाटकोपर पुलिस स्टेशन में अर्जी दी थी कि विद्याविहार (पश्चिम) स्थित फातिमा हाईस्कूल के सभी पालकों से एडुकॉम स्मार्ट क्लास अथवा एवी स्मार्ट बोर्ड के नाम पर 840 रुपये, टीचर्स एरियर्स फंड के नाम पर 345 रुपये और स्पोर्ट्स फी के नाम पर 15 सौ रुपये जबरन वसूला जा रहा है। और रकम की रसीद भी नहीं दी जा रही है। जो अभिभावक यह रकम नहीं दे रहेे हैं। स्कूल प्रबंधन उनके बच्चों को अगली कक्षा में ट्रांसफर नहीं कर रहा था। 24 फरवरी 2011 को कुछ अभिभावक (लक्ष्मीनारायण परदेशी, मानसी पवार, वीरेंद्र हिम्मतसिंह ठाकुर, ललिता खैरनार आदि) अपनी शिकायत लेकर स्कूल में इकठ्ठा होकर स्कूल प्रशासन से मिलने पहुंचे, मुलाकात के दौरान फादर अल्बर्ट गोन्साल्वेज ने ललिता खैरनार को नालायक कुतिया तक कह दिया। एक महिला तो वंही बेहोश होकर गिर पड़ी। विजय पाखरे की अर्ज़ी पर कोथमिरे ने फातिमा स्कूल के चारों फादर्स (अनिल, अल्बर्ट गोन्साल्वेज़, अजीत टेलीस और जोसेफ डिसूज़ा ) के खिलाफ हफ्ता उगाही की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जिसका (सीआर नंबर- 84/2011.भादंसं की धारा 384, 386, 506, 509 और 34) था । इसके बाद कोथमिरे ने अपना रंग दिखाना शुरू किया और स्कूल प्रबंधन से सांठ-गांठ कर एफआईआर से हफ़्ताउगाही की धाराओं को निकालकर, सिर्फ ललिता खैरनार को दी हुयी गाली की धारा (509) रहने दी। विजय पाखरे और अन्य अभिभावक चाहते थे कि एफआईआर में कैपिटेशन फी वसूलने की धारा लगे। लेकिन कोथमिरे कहते रहे कि ऐसी कोई धारा होती ही नहीं है और इस केस में लग भी नहीं सकती।
ठाणे हफ्ता विरोधी पथक व.निरीक्षक राजकुमार कोथमिरे
राजकुमार कोथमिरे की इस बेवकूफी भरी हरकत से परेशान विजय पाखरे ने महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग से कोथमिरे और फातिमा स्कूल के खिलाफ शिकायत कर दी। 1 अप्रैल 2017 को मानवाधिकार आयोग ने अपना फैसला सुनाया।
चार पेज के फैसले में आयोग ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए लिखा कि जांच अधिकारी (राजकुमार कोथमिरे) क़ानून के तहत कोई एक्शन लेने के बजाय शिकायती अर्जी पर कुंडली मार कर बैठ गया। कोथमिरे ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है। आयोग ने परिमंडल-7 के उपायुक्त को आदेश दिया अवैध फीस वसुली मामले कि फिर नई एफआईआर दर्ज करें और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप में (जो गुनाह राजकुमार कोथमिरे ने किया था) गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 50,000 रुपये दंड (कम्पेन्सेशन) भरने की सजा सुनाई। यदि अतिरिक्त गृह सचिव यह दंड (कम्पेन्सेशन) छह सप्ताह में नहीं भरते तो 12.5 प्रतिशत ब्याज दर के साथ उनसे वसूला जाय।
आयोग के फैसले की प्रति अग्नि पर्व टाइम्स के पास मौजूद है।
आयोग के आदेश पर 23 जून 2017 को फातिमा हाईस्कूल के चारों फादर्स (अनिल, अल्बर्ट गोन्साल्वेज, अजीत टेलीस और जोसेफ डिसूज़ा) के खिलाफ घाटकोपर पुलिस स्टेशन में महाराष्ट्र शैक्षणिक संस्था (कैपिटेशन फी प्रतिबंधक कानून -1988) की धारा 7(अ),7(अ,अ) के तहत एफआईआर (सीआरक्रमांक-141/2017) दर्ज की गई।
एफआईआर की प्रति अग्नि पर्व टाइम्स के पास मौजूद है।
हैरानी की बात यह है कि इतना सब होने के बावजूद फातिमा स्कूल के फादर्स और राजकुमार कोथमिरे पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सरकार और प्रशासन के इस रवैये से आहत विजय पाखरे ने कानून की पढ़ाई शुरू कर दी और अब वे कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका दूसरा वर्ष पूरा हो चुका है। डिग्री मिलते ही वे उपरोक्त
मामले की याचिका सबसे पहले मुंबई के उच्च न्यायालय में दायर करेंगे और फातिमा हाईस्कूल के चारों फादर्स और राजकुमार कोथमिरे को न्यायालय द्वारा सजा दिलाये बगैर छोड़ेंगे नहीं ऐसा विजय पाखरे का कहना है।
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